पहली बार जून में खूले परिषदीय स्कूल, छात्र उपस्तिथि हो रही कम
ग्रीष्मकालीन अवकाश इस बार 15 दिन पहले ही खत्म हो गया। पहली बार हुआ जब जून में ही प्राथमिक विद्यालय खुल गए। बृहस्पतिवार को परिषदीय विद्यालय खुले तो बच्चों की संख्या काफी कम रही। बताया गया कि विभिन्न स्कूलों में कायाकल्प का कार्य चल रहा है। इसकी वजह से भी बच्चों की संख्या प्रभावित रही। जिन स्कूल में बच्चे पहुंचे उनका स्वागत किया गया। बच्चों को खेल-खेल में ही पढ़ाया गया।
गर्मी अधिक होने के कारण अभिभावक बच्चों को कतरा रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों को फोन करके छात्रों को विद्यालय बुलाया गया। काफी अभिभावकों को अभी विद्यालय खुलने की जानकारी नहीं हैं। इस कारण विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति कम रही।
बढ़ती गर्मी भी विद्यालयों में छात्रों की शत प्रतिशत संख्या में बाधा बना। ऐसे में स्कूल 7.30 से 1.30 तक रहा। शिक्षकों को कहना हैं कि एक तो भीषण गर्मी हो रही हैं, इसमें विद्यालयों में कायाकल्प का कार्य भी चल रहा है। इस कारण बच्चों, शिक्षकों दोनो को ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। ऐसे में जुलाई से ही सत्र शुरू होना चाहिए था। अभी ज्यादातर अभिभावकों को स्कूल खुलने की जानकारी नहीं हैं। इस कारण भी छात्र संख्या कम रही।
प्रतिकूल मौसम और जून माह में परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति शिक्षकों के लिए बनी बड़ी चुनौती
प्रतिकूल मौसम होने के बावजूद बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित परिषदीय स्कूलों में बच्चों की शतप्रतिशत उपस्थिति विभाग के लिए चुनौती बनी हुई है। ग्रीष्मावकाश की छुट्टियां खत्म होने पर पहले दिन स्कूल खुलने पर बहुत कम बच्चे विद्यालय पहुंच सके। अगले दिन शुक्रवार को भी कमोबेस इतनी ही संख्या स्कूल पहुंची। भीषण गर्मी में एमडीएम खाने के नाम पर भी सौ फीसदी बच्चे नहीं जुट रहे हैं। शिक्षक घर-घर भ्रमण कर बच्चों को स्कूल पहुंचने तथा अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने की अपील कर रहे हैं। इसके बावजूद सौ फीसदी बच्चे विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं।
पिछले 20 मई से जिले के सभी परिषदीय स्कूल बंद हो गये थे। पहली बार 16 जून से परिषदीय स्कूल खुले हैं। इसके पूर्व विद्यालय पहली जुलाई को खुलते थे। 15 दिन पूर्व स्कूल खुलने का असर बच्चों पर दिख रहा है। शिक्षकों की स्कूलों में पहले दिन उपस्थिति शतप्रतिशत रही, लेकिन बच्चे सिर्फ 20 फीसदी ही पहुंच सके। बेसिक शिक्षा विभाग ने जिम्मेदारों को नामांकन के सापेक्ष स्कूलों में शतप्रतिशत बच्चों की उपस्थिति का निर्देश दिया है।
ऐसे में स्कूलों के जिम्मेदार गांव में डोर टू डोर भ्रमण कर बच्चों को बुलाकर स्कूल ले जाने तथा अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने की अपील कर रहे हैं। स्कूलों में गरमा गरम भोजन बनने के बावजूद बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। लगन का मौसम तथा समय से पहले स्कूल खुलना बच्चों की उपस्थिति को प्रभावित किया है।
शिक्षकों के भ्रमण में अधिकांश बच्चों के रिश्तेदार में पहुंचने का मामला सामने आ रहा है। वहीं पहले दिन से जिलों में गठित टास्क फोर्स की टीमें स्कूलों पर पहुंचकर जांच कर रही है। टीम स्कूलों में पहुंचकर शासन की प्राथमिकता वाले आठ बिंदुओं के बारे में जांच कर रही है। परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की उपस्थिति शतप्रतिशत के साथ बच्चों की उपस्थिति, विद्यालयों की साफ-सफाई, एमडीएम, खेलकूद सामग्री, ब्लूटूथ स्पीकर की खरीदारी, ऑपरेशन कायाकल्प आदि के बारे में स्थलीय निरीक्षण करना है।
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