4 माह गुजरने को और बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे परिषदीय स्कूलों के बच्चे
लखनऊ। राजधानी के प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में पढ़ रहे करीब दो लाख बच्चों को अभी तक किताबें नहीं मिली हैं। 16 जून को स्कूल खुले थे। एक माह बीत गया है लेकिन अभी तक किताबें स्कूलों में नहीं पहुंची हैं। कुछ बच्चे ही पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं। करीब 30 से 50 फीसदी बच्चों के पास किताबें नहीं हैं। जिनके पास हैं भी वह फटी हैं या फिर आधी अधूरी। पुस्तकें न होने से शिक्षकों को भी पढ़ाने में बड़ी समस्या हो रही है।
लखनऊ के ग्रामीण व शहरी इलाकों में 1619 स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें दो लाख छह हजार बच्चे पंजीकृत हैं। करीब 18 लाख किताबें बच्चों को वितरित होनी हैं लेकिन अभी तक कक्षा तीन की करीब एक लाख पुस्तकें मिली हैं। जिन्हें बीएसए कार्यालय द्वारा वितरित कराया जा रहा है। 17 लाख से अधिक पुस्तकें आनी बाकी हैं।
काकोरी, भरोसा स्थित प्राथमिक व जूनियर स्कूल में 400 से अधिक बच्चे हैं। यहां किसी बच्चे को किताब नहीं मिली है। शिक्षकों ने बताया कि किताबें न होने से पाठ्यक्रम पिछड़ रहा है।
इसी स्कूल में कक्षा एक के छात्र के पास एक भी किताब नहीं मिली। जबकि तीन किताबें होनी चाहिए। हफ्ता भर पहले दाखिला हुआ है। स्कूल में जो शिक्षक पढ़ाते हैं। वही पढ़कर घर चला जाता है।
काकोरी के भरोसा कम्पोजिट स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा छह की छात्रा ने बताया कि सिर्फ पांच पुरानी किताबों से पढ़ाई हो रही है। जबकि 13 किताबें व कार्य पुस्तिका मिलनी चाहिए। दूसरे बच्चों की किताब की मदद से ले रहे हैं।
किन्हें कितनी किताबें मिलनी चाहिए
● कक्षा एक में तीन, दो में चार, तीन से 5 तक कक्षाओं में पांच-पांच किताबें और कार्य पुस्तिकाएं
● कक्षा छह, सात व आठ में 11-11 किताबें और कार्य पुस्तिकाएं
केवल 9 फीसदी किताबें यूपी के स्कूलों तक पहुंचीं
प्रदेश में अभी तक लगभग 90 लाख पाठ्य पुस्तकें यानी 9 फीसदी किताबें ही बच्चों तक पहुंच पाई हैं। लगभग एक दर्जन जिले ऐसे हैं जिसमें किताबों की सप्लाई भी शुरू नहीं हो पाई है।
अभी कक्षा तीन की किताबें मिली हैं। उन्हें वितरित कराया जा रहा है। एक हफ्ते के भीतर सभी स्कूलों को किताबें उपलब्ध करा दी जाएंगी। डॉ. मुकेश कुमार सिंह, एडी बेसिक
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