नहीं जारी हो सका वेतन, राजकीय शिक्षक आंदोलन पर अड़े
कल से स्कूल के बजाय मुख्यालय में उपस्थिति दर्ज कराएंगे शिक्षक व कर्मचारी
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से जुड़े करीब 1400 विद्यालयों का मामला
लखनऊ। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के तहत प्रदेश में संचालित राजकीय कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन शनिवार को भी जारी नहीं हो सका है। उनको चार-पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। इसलिए राजकीय शिक्षक संघ भी 11 जुलाई से आंदोलन करने पर अड़ा हुआ है। संघ ने पहले ही 11 जुलाई से आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। अब विभिन्न जिला इकाइयों ने अपने-अपने यहां प्रशासन को पत्र सौंपकर 11 जुलाई को मुख्यालय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की बात कही है।
संघ की प्रांतीय अध्यक्ष छाया शुक्ला ने कहा कि रमसा के तहत प्रदेश में 1400 से अधिक विद्यालयों का संचालन हो रहा है। इनमें लगभग 9000 प्रधानाचार्य, शिक्षक और कर्मचारी हैं। वेतन नहीं मिलने से इनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, ये राजकीय विद्यालय जिला मुख्यालय से दूरदराज इलाकों में स्थित हैं। ऐसे में शिक्षकों व कर्मचारियों को विद्यालय आने-जाने तक में दिक्कत हो रही है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से लेकर शासन तक कई बार वेतन समस्या दूर करने की मांग की गई लेकिन समय से वेतन भुगतान नहीं होता है। नतीजतन 11 जुलाई से विद्यालय बंद कर मुख्यालय पर उपस्थिति दर्ज कराने की चेतावनी देनी पड़ी है।
वेतन मद बदलवाने की हो रही कोशिश : माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि रमसा से जुड़े विद्यालयों का वेतन केंद्रांश व राज्यांश मिलाकर दिया जाता है। इनका वेतन मद सामान्य राजकीय विद्यालयों से अलग है। इसलिए वेतन का केंद्रीय हिस्सा आने में देरी होने पर वेतन भुगतान में देरी हो जाती है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इनका वेतन मद सामान्य राजकीय विद्यालयों की तरह करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री का अनुमोदन होते ही इस बाबत कार्यवाही होगी।
रमसा के राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों का रुका वेतन जारी कराना हमारी भी प्राथमिकता में है। शासन स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, जल्द ही वेतन भुगतान कराया जाएगा।
-सरिता तिवारी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा विभाग
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