15 जिलों के परिषदीय विद्यालयों में किताबों की आपूर्ति अब तक शुरू नहीं
लखनऊ : प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प कराने के साथ वहां पठन-पाठन कराने पर बेसिक शिक्षा विभाग का विशेष जोर है। शैक्षिक सत्र शुरू हुए करीब चार माह होने को है। अब तक सभी जिलों में किताबों की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है।
15 से अधिक जिले ऐसे हैं जहां आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। अन्य जिलों मैं भी छिटपुट यानी कुछ कक्षाओं की ही किताबें पहुंची हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में एक करोड़ 90 लाख से अधिक छात्र छात्राओं का प्रवेश हो चुका है।
बिना किताब भविष्य गढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल, शिक्षण सत्र को चार माह होने वाले, नौनिहालों को नहीं मिली पुस्तकें
बेसिक स्कूलों के बच्चों का कैसे होगा भविष्य निर्माण?
पीठ पर टंगे बस्ते, अंदर चंद कापियां, पेंसिल व कुछ पुरानी किताबों के सहारे बेसिक स्कूलों में बच्चों के भविष्य को गढ़ने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसी एक नहीं बल्कि लगभग बेसिक स्कूलों की तस्वीरें हैं। जहां पढ़ने वाले नौनिहाल किताबों का इंतजार कर रहे हैं। यह हाल तब है, जब कांवेंट की तर्ज पर बेसिक स्कूलों के छात्रों को भी सुविधाएं देकर शिक्षा मुहैय्या कराने का दावा हो रहा है।
योगी सरकार बेसिक स्कूलों की स्थिति सुधारने के साथ ही शिक्षा व्यवस्था पर भी फोकस कर रही है। हिन्दी के साथ अंग्रेजी माध्यम से भी हर न्याय पंचायत में स्कूल संचालित हो रहे हैं। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिड डे मील भोजन, जूता लिए जरूरी किताबों का अभाव, अवकाश के बाद 16 जून से बेसिक मोजा बैग के लिए खातों में 1200 ₹ की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है, लेकिन 1200₹ रुपये की दर से आर्थिक मदद दे रही सरकार के शासन में एक अप्रैल से नए शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद अभी तक बच्चों को किताबें मयस्सर नहीं है। इन सबके बावजूद ज्ञानार्जन का आगाज हो चुका है।
किताबों के अभाव से गृहकार्य बाधित
सरकारी व्यवस्था की ही देन है कि अभी तक किताबें नहीं उपलब्ध हो पाई है। शिक्षकों का कहना है कि किताबें न होने से बच्चों का गृह कार्य नहीं हो पा रहा है। साथ ही स्वाध्यन में भी ठप है। किताबें आने पर पढ़ाई और बेहतर होगी।
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