तदर्थ शिक्षकों के लिए कई विकल्पों पर विचार, अधिकतम 50 हजार मानदेय पर रखे जा सकते
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50 हजार मानदेय पर रखे जा सकते हैं शिक्षक, इन तीन विकल्पों पर विचार कर रही योगी सरकार
शिक्षक भर्ती को लेकर इंतजार कर रहे लोगों के लिए राहत देने वाली खबर है। ऐसे लोगों को अब जल्द ही योगी सरकार नौकरी देने जा रही है। माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 2090 तदर्थ शिक्षकों को राहत देने के लिए शासन तीन विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसके तहत इन शिक्षकों को मानदेय पर रखा जाएगा, जिसमें अधिकतम 50 हजार तक मानदेय देने की व्यवस्था होगी। इन शिक्षकों का वेतन फिलहाल रोक दिया गया है और उन पर सेवाएं समाप्त किए जाने का खतरा मंडरा रहा है।
शासन के निर्देश पर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) की तरफ से संशोधित प्रस्ताव उपलब्ध करा दिया गया है। अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक विधायकों की मांग पर इस कमेटी का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तदर्थ शिक्षकों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो जाने पर मामले में मानवीय आधार पर विचार करते हुए यह संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया है।
इसमें तीसरा विकल्प यह दिया गया है कि तदर्थ शिक्षक के वर्तमान बेसिक पे में प्रत्येक आगामी पांच वर्षों की सेवा पर 10 हजार रुपये की वृद्धि करते हुए मानदेय का निर्धारण किया जाए। साथ ही यह शर्त भी होगी कि यह मानदेय अधिकतम 50 हजार रुपये की सीमा तक होगा। इस विकल्प में ज्यादातर वरिष्ठ तदर्थ शिक्षकों को 50 हजार रुपये तक मानदेय मिल सकेगा। इन शिक्षकों के मानदेय पर सालाना 240 करोड़ रुपये व्यय भार आने का अनुमान है।
संशोधित प्रस्ताव में यह शर्त भी जोड़ी गई है कि यह मानदेय उन्हीं शिक्षकों को दिया जाएगा, जो सत्र 2021-22 तक वेतन पाए हों और संस्था में कार्यरत हों। साथ ही वह शिक्षक पद सृजन के सापेक्ष कार्यरत हो। मौजूदा कुल शिक्षकों में वर्ष 2000 से पूर्व के तदर्थ शिक्षकों की संख्या 979 है जिसमें 110 प्रवक्ता और 869 सहायक अध्यापक हैं। इसी तरह वर्ष 2000 के बाद के तदर्थ शिक्षकों की संख्या 1111 है, जिसमें 206 प्रवक्ता और 905 सहायक अध्यापक हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की परीक्षा में शामिल शिक्षकों में से 40 तदर्थ शिक्षक भारांक हासिल करके उत्तीर्ण हो गए हैं।
सरकार तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखेगी, इस सम्बन्ध में तैयार किया जा रहा प्रस्ताव
प्रयागराज : सूबे में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में तैनात तदर्थ शिक्षकों के लिए राहत भरी खबर है। उनकी दीर्घकालिक सेवा को देखते हुए शासन उन्हें मानदेय पर रखने पर विचार कर रहा है। ताकि, इन शिक्षकों के सामने जीवन यापन की समस्या न उत्पन्न हो।
सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पारित आदेश 26 अगस्त 2020 व सात दिसंबर 2021 के क्रम में तदर्थ शिक्षकों के संबंध में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में नौ जुलाई को हुई बैठक में मंथन किया गया। इस दौरान पाया गया कि इन शिक्षकों के समक्ष जीवन यापन की समस्या उत्पन्न हो रही है। विचार विमर्श में दिए गए निर्देश के क्रम में इन शिक्षकों के भरण-पोषण के संबंध में प्रस्ताव उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
शिक्षा निदेशक माध्यमिक की ओर से तैयार प्रस्ताव में तय हुआ है कि तदर्थ शिक्षकों की सेवा के संबंध तिथि निर्धारण अवश्य किया जाए। ताकि, उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में बड़ी संख्या में दीर्घ अवधि तक सेवा करने वाले शिक्षकों के समक्ष जीवन यापन का संकट दूर किया जा सके। राज्य सरकार मानवीय आधार पर विचार करते हुए तदर्थ शिक्षकों को दीर्घ कालीन सेवा के दृष्टिगत उन्हें विशेष प्रावधान करते हुए आर्थिक सहायता / अनुतोष देने पर विचार कर सकती है। इसके लिए कई विकल्प सुझाए गए हैं। जैसे वर्तमान देय कुल परिलब्धि का 50 प्रतिशत और ग्रोथ रेट या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (वार्षिक फिक्स रेट), वर्तमान बेसिक पे और ग्रोथ रेट या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (वार्षिक फिक्स रेट), तदर्थ शिक्षक का वर्तमान बेसिक पे व प्रत्येक आगामी पांच वर्षों की सेवा पर 10 हजार रुपये की वृद्धि (अधिकतम 50,000 तक) देने का प्रस्ताव है। इन विकल्पों को लागू किए जाने में कुछ प्रतिबंधों को लागू किया जाना भी समीचीन बताया गया है।
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