डीएलएड के प्रति अभ्यर्थियों का घटा रुझान, चार वर्षों से नहीं भर रहीं सीटें
प्रयागराज : डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) के प्रति विद्यार्थियों का रुझान लगातार कम हो रहा है। बीते चार वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि डायट की सीटें तो भर जा रही हैं लेकिन, निजी कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जा रही है। यहां दाखिले के लिए अभ्यर्थी दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं। अभ्यर्थियों की बेरुखी की वजह से निजी कॉलेजों के प्रबंध तंत्र भी सकते में हैं।
प्रदेश में कुल 67 डायट और लगभग 3100 निजी संस्थानों में डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) के दाखिले होते हैं। इसमें कुल मिलाकर लगभग 2 लाख 41 हजार सीटें हैं। डायट में कुल 10.600 सीटें हैं। जबकि प्रदेश के निजी संस्थानों में लगभग 2 लाख 32 हजार सीटें हैं। आलम यह है कि कभी नौकरी की गारंटी माने जाने वाले इस कोर्स की पढ़ाई से छात्र कतरा रहे हैं। सत्र 2021-22 में स्थिति यह रही कि प्रदेश के 106 निजी कॉलेजों को एक भी छात्र नहीं मिला। सैकड़ों कॉलेजों को तो बमुश्किल एक दर्जन छात्र भी नहीं मिले। परिणामस्वरूप लगभग 1.32 लाख सीटें खाली रह गईं। ऐसे में इन कॉलेजों के प्रबंध तंत्र के सामने शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ गए।
बीते सत्र में सीटों के सापेक्ष कम आवेदन आने की वजह से आवेदन की तिथि तीन बार बढ़ाई गई लेकिन आवेदन नहीं बढ़े। इससे पहले का सत्र कोरोना की वजह से शून्य घोषित हो गया था। इसी तरह सत्र 2017-18 में डीएलएड की कुल सीटो 2.11 लाख के सापेक्ष 1.92 लाख ने दाखिला लिया था। फिर लगातार कोर्स का क्रेज घटता गया जबकि इससे पहले डीएलएड में दाखिले के लिए मारामारी मची रहती थी। डीएलएड का दायरा सीमितः डीएलएड कर चुके पंकज मिश्र का कहना है कि डीएलएड के लिए दायरा सीमित कर दिया गया है। डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी केवल प्राथमिक स्कूलों में आवेदन कर सकते हैं। वहीं 2018 में एनसीटीई ने बीएड को भी प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए मान्य कर दिया। बीएड के बाद प्राइमरी से लेकर इंटर कॉलेज के अतिरिक्त बीईओ समेत अन्य कई नौकरियों के लिए भी आवेदन किया जा सकता है। डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त प्रतियोगी छात्र आलोक बिलौरा कहते हैं, चार वर्ष पहले प्राइमरी में शिक्षक भर्ती आई थी, तब से नहीं आई। ऐसे में डीएलएड की अपेक्षा बीएड करना ज्यादा मुनासिब है।
डीएलएड में दोषपूर्ण परीक्षा पद्धति प्रवेश परीक्षा में रुझान कम होने की प्रमुख वजह है। प्रत्येक सेमेस्टर में आठ विषय हैं लेकिन इनकी परीक्षा मात्र तीन दिनों में होती है। प्रवेश परीक्षा फल घोषित करने में अनावश्चक विलंब होता है। प्रवेश प्रक्रिया भी नियमित रूप से शुरू नहीं होती है। डीएलएड के लिए केवल प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने का अवसर है, जबकि बीएड डिग्री हासिल करने वालों के पास प्राथमिक से लेकर इंटर और अन्य नौकरियों के लिए आवेदन का अवसर होता है।
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