माध्यमिक शिक्षकों को अब विषय व वर्गवार दोनो श्रेणियों में दिए जाएंगे 18-18 पुरस्कार, नए मानकों पर दिए जाएंगे अवार्ड
माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में अब नए मानकों पर राज्य अध्यापक और मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार दिए जाएंगे। वहीं दोनों ही श्रेणियों में 18-18 पुरस्कार दिए जाएंगे। राज्य अध्यापक पुरस्कार अब विषयवार दिए जाएंगे। इस संबंध में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया।
अभी तक 9 अध्यापकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार और हर मंडल से एक शिक्षक को मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार दिया जाता था। अब मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार भी शिक्षक दिवस के मौके पर राज्य अध्यापक पुरस्कार की तरह दिए जाएंगे।
विषयों का बनेगा अलग-अलग समूह राज्य अध्यापक पुरस्कार के 18 पुरस्कारों में 2-2 पुरस्कार प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक और शेष 14 पुरस्कार शिक्षकों के लिए विषयवार-वर्गवार निर्धारित किए गए हैं। दोनों ही तरह के पुरस्कारों के लिए चयन नए मानकों के आधार पर होगा।
न्यूनतम 50 फीसदी अंक वाले ही कर सकेंगे आवेदन
वही शिक्षक आवेदन कर सकेंगे जो निर्धारित मानकों में न्यूनतम 50 फीसदी आर्हता अंक रखते हों। जिन्होंने यूपी बोर्ड में पिछले पांच वर्षों में संबंधित विषय में न्यूनतम 90 फीसदी रिजल्ट हर वर्ष दिया हो। इसके अलावा आपराधिक पृष्ठभूमि के लिए एलआईयू की जांच रिपोर्ट अनिवार्य होगी। चयन समिति के सामने शिक्षकों को अपना प्रस्तुतिकरण भी देना होगा। अभी तक राजकीय / सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियमित रूप से की गई सेवा को मान्य किया गया है लेकिन अब पुरस्कार के लिए मुख्य आकलन प्रदेश में किए गए शिक्षण कार्य के आधार पर किया जाएगा
राज्य अध्यापक पुरस्कार
अब जिले व मंडल स्तर की चयन समितियों से भेजे गए नामों का परीक्षण निदेशालय स्तर पर चयन समिति करेगी। इसके बाद राज्य चयन समिति नाम तय करेगी। अभी निदेशालय स्तर पर समिति नहीं होती थी। समय सारणी को और अधिक व्यावहारिक बनाया गया है। पुरस्कार के लिए केंद्र या अन्य राज्यों के राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियमित रूप से की गई सेवा को भी मान्य किया गया है। हालांकि पुरस्कार का आकलन प्रदेश में किए गए शिक्षण कार्य के आधार पर ही होगा।
मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार
अब तक मंडल व राज्य स्तरीय चयन समिति अध्यापक का चयन करती थी, लेकिन अब जिले व निदेशालय स्तर पर भी चयन समिति होगी। स्ववित्त पोषित विद्यालय के एक प्रधानाचार्य को भी इसमें सदस्य बनाया जाएगा, लेकिन शर्त होगी कि वह स्वयं पुरस्कार के लिए नामित न हो। यह पुरस्कार पहले दिसंबर या मुख्यमंत्री से निर्धारित तिथि पर दिया जाता था, लेकिन अब 5 सितंबर को दिया जाएगा।
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