उर्दू, असमिया और मलयालम में भी होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, AICTE ने शुरू की विशेष मुहिम, UGC ने भी दिखाई सक्रियता
AICTE ने पाठ्यक्रम की तैयारी में दिखाई तेजी, अभी नौ भारतीय भाषाओं में ही तैयार हुआ इंजीनियरिंग कोर्स
नई दिल्ली: मातृभाषा में पढ़ाई की पहल अब विस्तार लेने लगी है। हिंदी, मराठी व तमिल जैसी कुछ चुनिंदा भारतीय भाषाओं में शुरू हुई इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब जल्द ही सभी भारतीय भाषाओं में शुरू होगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इसके लिए एक विशेष मुहिम शुरू की है। इसके तहत इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब जल्द ही उर्दू, असमिया और मलयालम में होगी। इसके लिए कोर्स तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है, जो इस साल के अंत तक पूरा हो सकता है।
एआईसीटीई ने यह पहल तब की है, जब इंजीनियरिंग से जुडे. डिग्री और डिप्लोमा के कोर्स नौ भारतीय भाषाओं में तैयार किए जा चुके हैं। इनमें करीब छह भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग के कोर्स शुरू भी हो चुके हैं। इन कोर्सों की शुरुआत देश के 20 इंजीनियरिंग कालेजों से की गई है, जहां छात्रों की पहले साल की पढ़ाई पूरी हो रही है।
इस बीच एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग से जुड़े सभी डिग्री और डिप्लोमा के पहले वर्ष से लेकर अंतिम वर्ष तक के कोर्सों को सभी भाषाओं में तैयार करने की एक विस्तृत योजना तैयार की है। इस पर 18 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी। इस दौरान इंजीनियरिंग से जुड़े करीब 88 विषयों को पहचान की गई है, जिसे इन सभी भाषाओं में इस साल के अंत तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
खास बात यह है कि इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की भी मदद ली जा रही है। ऐसे तकनीकी शब्दों से बिल्कुल भी छेड़छाड़ नहीं की जा रही है, जो प्रचलन में है। एआईसीटीई ने भारतीय भाषाओं में तैयार होने वाली इंजीनियरिंग की इन किताबों को उस राज्य के सभी तकनीकी संस्थानों को मुहैया कराने की भी योजना बनाई है।
यूजीसी ने भी दिखाई सक्रियता
एआईसीटीई की मातृभाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने की पहल को देखते हुए यूजीसी ने भी केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से भारतीय भाषाओं में अपने कोर्सों को तैयार करने का सुझाव दिया है। इनमें कुछ ऐसे कोर्सों को भी चिन्हित किया गया है, जिनकी पढ़ाई अभी सिर्फ अंग्रेजी में ही होती है। इनमें प्रबंधन और विज्ञान से जुड़े कोर्स प्रमुख है। मातृभाषा में शिक्षा देने की यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद शुरू की गई है।
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