फैसला : बीएड स्पेशल और बीएड दोनों डिग्री एक समान
नई दिल्ली : केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बीएड स्पेशल और बीएड दोनों डिग्री एक समान है। न्यायाधिकरण ने यह फैसला देते हुए कहा कि ऐसे में बीएड स्पेशल डिग्री धारक भी सामान्य शिक्षक बनने के योग्य हैं।
न्यायाधिकरण के इस फैसले से देशभर के बीएड स्पेशल डिग्री धारक करीब एक लाख युवाओं विशेष शिक्षक बनने के साथ-साथ अब उनके लिए समान्य शिक्षक बनने के रास्ते खुल सकते हैं।
न्यायाधिकरण के सदस्य जस्टिस आर.एन. सिंह और तरुण श्रीधर की पीठ ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के उस निर्णय को रद्द कर दिया है जिसमें उमा रानी को शिक्षक (टीजीटी हिंदी) के लिए आयोग्य ठहरा दिया था। पीठ ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए कहा कि बीएड स्पेशल और बीएड दोनों डिग्री एक समान है, ऐसे में याचिकाकर्ता महिला को टीजीटी हिंदी यानी समान्य शिक्षक बनने के लिए अयोग्य नहीं ठहरा सकते हैं। पीठ ने कहा, यदि महिला सफल हुई हैतो उसे नियुक्त करें।
बीएड स्पेशल वाले भी बन सकते हैं सामान्य शिक्षक
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने महत्पवूर्ण फैसले में कहा है कि बीएड स्पेशल और बीएड दोनों डिग्री एक समान है। न्यायाधिकरण ने यह फैसला देते हुए कहा कि ऐसे में बीएड स्पेशल डिग्री धारक भी सामान्य शिक्षक बनने के योग्य हैं। फैसले से देशभर के बीएड स्पेशल डिग्री धारक करीब एक लाख युवाओं का विशेष शिक्षक बनने के साथ-साथ सामान्य शिक्षक बनने का भी रास्ता खुल सकता है।
न्यायाधिकरण के सदस्य जस्टिस आर.एन. सिंह और तरुण श्रीधर की पीठ ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के उस निर्णय को रद्द कर दिया है, जिसमें एक महिला को टीजीटी हिंदी शिक्षक के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया था।
पीठ ने तथ्यों पर विचार करते हुए कहा कि बीएड स्पेशल और बीएड दोनों एक समान डिग्री हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता महिला को टीजीटी हिंदी यानी सामान्य शिक्षक बनने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। पीठ ने डीएसएसएसबी के फैसले के खिलाफ उमा रानी की ओर से अधिवक्ता अनुज अग्रवाल की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह फैसला दिया है।
याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार के स्कूल में टीजीटी हिंदी के लिए 2010 में डीएसएसएसबी की भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन किया था और परीक्षा में शामिल हुई। 2015 में परिणाम आया तो उनका परिणाम जारी नहीं किया गया था। बोर्ड ने उन्हें बताया गया कि बीएड की डिग्री न होने के चलते वह टीजीटी हिंदी के योग्य नहीं हैं। हालांकि, उनके पास बीएड स्पेशल की डिग्री थी। इसके बाद उन्होंने बोर्ड के फैसले को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की थी।
कैट का यह फैसला बीएड स्पेशल डिग्री धारक करीब एक लाख युवाओं के लिए राहत भरा है। बीएड स्पेशल डिग्री धारक शिक्षक विशेष जरूरत वाले बच्चों को शिक्षा देने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित होते हैं, ऐसे में वे समान्य बच्चों को भी बेहतर शिक्षा देंगे।
-शम्सउद्दीन, महासचिव,
मॉडर्न इंडियन लैंग्वेजेज अध्यापक परिवार
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