यूपी बोर्ड : एनसीईआरटी किताबें खरीदने का छात्रों पर दबाव बना रहे अधिकारी, डीआईओएस के आदेश से स्कूलों में शिक्षक के साथ अभिभावक भी परेशान
◆ 2 लाख बच्चे यूपी बोर्ड में कक्षा नौ से 12 तक पंजीकृत
◆ 20 हजार बच्चों को ही पूरी किताबें मिल सकी हैं अभी
लखनऊ : यूपी बोर्ड के कक्षा नौ से 12 तक के शैक्षिक सत्र शुरू हुए पांच माह होने वाले हैं। शासन द्वारा अधिकृत एनसीईआरटी की सभी किताबें बाजार में अभी तक उपलब्ध नहीं हो पायी हैं। किताबें न मिलने पर पढ़ाई पिछड़ने की वजह से शिक्षकों ने बच्चों को दूसरे प्रकाशकों की किताबें खरीदवा कर पढ़ाई शुरू करा दी। बच्चों ने पढ़ाई के साथ ही नोट्स भी बना लिये हैं।
मंगलवार को डीआईओएस द्वारा प्रधानाचार्यों को भेजे पत्र में बच्चों को अधिकृत एनसीईआरटी की किताबें खरीदवाने और शिक्षकों पर इन्हीं पुस्तकों से पढ़ाने के आदेश से बच्चे और अभिभावकों के साथ शिक्षक व प्रधानाचार्य भी हैरान हैं।
प्रकाशक भी मुहैया नहीं करा पाए पुस्तकें बाजार में किताबें न मिलने पर जुलाई के आखिर में डीआईओएस राकेश कुमार पाण्डेय के निर्देश पर राजकीय जुबिली कॉलेज में अधिकृत प्रकाशकों ने पांच दिन स्टाल लगवाया था। यहां सिर्फ 16 हजार किताबें बिकीं। अंग्रेजी, फिजिक्स, केमेस्ट्री, हिन्दी की किताबें कम पड़ गईं थी।
डीआईओएस राकेश कुमार पाण्डेय ने प्रधानाचार्यों को भेजे आदेश में कहा कि विशेष सचिव की अध्यक्षता में मंगलवार को ऑनलाइन बैठक में परिषद द्वारा अधिकृत प्रकाशकों की एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने के निर्देश जारी किये हैं। जिसके बाद उन्होंने लखनऊ के सभी प्रधानाचार्या को इसका पालन सुनश्चित किये जाने के निर्देश दिये।
निजी प्रकाशकों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी
प्रधानाचार्य सूचना पट पर अधिकृत प्रकाशकों के नाम उनकी पुस्तकों के नाम, दाम लिखें। बच्चों से कहें कि वह ये किताबें खरीदें। शिक्षक इन्हीं किताबों से बच्चों को पढ़ाएं। विभाग द्वारा निरीक्षण में दूसरे प्रकाशकों की किताबें पढ़ाते पाए जाने पर प्रधानाचार्य जिम्मेदार होंगे। निजी प्रकाशकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
अभिभावक बोले
अधिकृत किताबों के लिए दो बार अमीनाबाद गए लेकिन नहीं मिलीं। शिक्षकों के दबाव के बाद दूसरे प्रकाशकों की किताबें खरीदी हैं। अब दोबारा किताबें खरीदना संभव नहीं है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
करन रावत, मोहनलालगंज
बेटे को किताबें दिलाने के लिए मोहनलालगंज से लेकर लखनऊ तक एनसीईआरटी की किताबों की तलाश की। शिक्षकों के कहने पर दूसरे प्रकाशकों की किताबें खरीदकर बेटा पढ़ाई कर रहा है। दोबारा खरीदना संभव नहीं है। मो. ताहिर, रहीमाबाद
34 किताबों में सिर्फ दर्जन भर उपलब्ध
कक्षा नौ से 12 तक परिषद द्वारा पढ़ाने के लिए 34 किताबें अधिकृत की गईं। इनमें से सिर्फ एक दर्जन किताबें ही बाजार में उपलब्ध हैं। इसमें हाईस्कूल की गणित, सामाजिक विज्ञान और इंटरमीडिएट में फिजिक्स, केमेस्ट्री गणित जीव विज्ञान, अर्थशास्त्रत्त्, इतिहास आदि की किताबें पुस्तक विक्रेताओं के पास नहीं हैं। पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि प्रकाशकों द्वारा मांग के अनुसार किताबें उपलब्ध नहीं करायी जा रही।
बीच सत्र में दबाव ठीक नहीं, आर्थिक बोझ पड़ेगा संघ
उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता व प्रदेश मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि शासन की लापरवाही से बच्चों को समय से किताबें नहीं मिल पायी हैं। सत्र अप्रैल में शुरू होता है। माध्यमिक शिक्षा परिषद को पहले से पुस्तकों के प्रकाशकों के नाम तय करने चाहिए थे ताकि समय से बच्चों को पुस्तकें मिल सकें। सभी स्कूलों के बच्चों ने किताबें खरीद ली हैं। अब बीच सत्र में नई किताबें खरीदवाने का कोई औचित्य नहीं है। इससे अभिभावकों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।
जिन्होंने किताबें नहीं लीं, उनके लिए आदेश डीआईओएस
डीआईओएस राकेश कुमार पाण्डेय का कहना है कि जिन बच्चों ने किताबें नहीं खरीदी हैं। उन्हें अधिकृत किताबें खरीदने के लिए प्रधानाचार्यों से कहा गया है। प्रकाशकों के पास अधिकृत पुस्तकें उपलब्ध हैं। पुस्तक विक्रेता अधिकृत प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं बेच रहे हैं। अब इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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