विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थान में शिक्षक संकाय के रूप में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की हो सकेगी नियुक्ति, औपचारिक पात्रता अनिवार्य नहीं होगी।
अब प्रोफेसर बनना होगा आसान खत्म होगी डिग्री की बाध्यता
• विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को प्रोफेसर बना सकेंगे विश्वविद्यालय
• शोधपत्रों के प्रकाशन और अन्य योग्यता शर्तों से भी छूट दी जाएगी
नई दिल्ली : विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रोफेसर बनना अब आसान होगा। विभिन्न क्षेत्रों के मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों को उच्च शिक्षण संस्थान फैकल्टी मेंबर के तौर पर नियुक्त कर सकेंगे। 'प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस' योजना के तहुत शिक्षकों की नियुक्ति के लिए औपचारिक अकादमिक योग्यता (डिग्री) की कोई बाध्यता नहीं रहेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस योजना को अगले महीने अधिसूचित कर दिए जाने की उम्मीद है।
विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को प्रोफेसर बनाने के लिए शोधपत्रों के प्रकाशन व अन्य योग्यता शर्तों से भी छूट दी जाएगी। हालांकि, शिक्षण संस्थानों में प्रोफेसर आन प्रैक्टिस की संख्या कुल स्वीकृत पदों के 10 से अधिक नहीं होगी। यूजीसी की योजना के मुताबिक, इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता समाज विज्ञान, फाइन आर्ट, सिविल सेवा व सशस्त्र बल सहित अन्य क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को उच्च शिक्षण संस्थान प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त कर सकेंगे।
नई दिल्ली । विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही एक नई श्रेणी के तहत शिक्षक संकाय के रूप में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को नियुक्त कर सकेंगे। इसके लिए औपचारिक पात्रता अनिवार्य नहीं होगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पिछले सप्ताह हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (पेशेवर प्रोफेसर) योजना के अगले महीने अधिसूचित किए जाने की संभावना है। आयोग ने निर्णय किया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की संख्या मंजूर पदों के 10 फीसदी से अधिक नहीं होगी।
आयोग द्वारा मंजूर इस योजना के मसौदा दिशा निर्देश के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, लोक सेवा, सशस्त्रत्त् बल आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस श्रेणी में नियुक्ति के पात्र होंगे। मसौदे के अनुसार जिन लोगों ने विशिष्ट पेशों में विशेषज्ञता साबित हो या जिनका सेवा या अनुभव कम से कम 15 वर्षो का हो, विशेष रूप से वे वरिष्ठ स्तर पर हों, वे प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस श्रेणी के लिए पात्र होंगे। उनका शानदार पेशेवर अनुभव या कार्य हो, तब औपचारिक अकादमिक पात्रता अनिवार्य नहीं होगी।
आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि विशेषज्ञों को प्रोफेसर स्तर पर शिक्षक संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रकाशन एवं अन्य पात्रता दिशानिर्देशों से छूट होगी।
चयन पर समिति करेगी अंतिम फैसला
कुलपति या निदेशक ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के लिए जाने माने विशेषज्ञों से नामांकन आमंत्रित कर सकते हैं। इन नामांकनों पर चयन समिति विचार करेगी, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों के दो वरिष्ठ प्रोफेसर और एक बाहरी सदस्य शामिल होंगे।
अधिकतम तीन वर्ष की सेवा अवधि
शुरुआत में इन पदों पर एक वर्ष के लिए नियुक्ति की जाएगी। प्रारंभिक अवधि पूरा होने के बाद संस्थानों द्वारा मूल्यांकन के बाद अवधि को बढ़ाने के बारे में निर्णय लिया जा सकता है। ऐसे पदों की सेवा अवधि तीन वर्षों से अधिक नहीं हो सकती।
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