नए आदेश से उठे सवाल! बिना बजट सात दिन हलवा - खीर खिलाएंगे तो बाकी दिन MDM कैसे बनवाएंगे?
परिषदीय स्कूलों के MDM खाते खाली, लड्डु, हलवा व खीर परोसे जाने का आदेश बना मुसीबत
दाल-रोटी खिलाने के लाले, छात्रों को कैसे खिलाएं हलवा-खीर और लड्डू
देवरिया। आजादी के अमृत महोत्सव पर हर घर तिरंगा कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को दोपहर में एक सप्ताह तक विशेष भोजन कराया जाना है।
छात्रों को भोजन के साथ लड्डू, हलवा, खीर खिलाई जानी है। अब प्रधानाध्यापकों की समझ में नहीं आ रहा है कि 4.97 और 7.45 रुपये में कैसे व्यवस्था करें। इसके लिए अतिरिक्त बजट नहीं है।
दूसरी तरफ, रसोइया ये पकवान बनाने में असमर्थ हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत परिषदीय विद्यालयों के छात्रों को लड्डू, हलवा, खीर खिलाने और फल वितरण के आदेश दिए गए हैं। शासन के आदेश पर परिषदीय स्कूलों में तैयारी भी की जा रही है।
बहराइच : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित परिषदीय विद्यालयों में बनने वाले मिड-डे मील वितरण में करीब पांच माह से बजट न आने के कारण दिक्कत आ रही है। अब स्वतंत्रता सप्ताह के तहत स्कूलों में बच्चों को लड्डु, हलवा व खीर परोसे जाने का आदेश आ गया है। यह शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जिले में 2,803 परिषदीय स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
बहराइच : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित परिषदीय विद्यालयों में बनने वाले मिड-डे मील वितरण में करीब पांच माह से बजट न आने के कारण दिक्कत आ रही है। अब स्वतंत्रता सप्ताह के तहत स्कूलों में बच्चों को लड्डु, हलवा व खीर परोसे जाने का आदेश आ गया है। यह शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जिले में 2,803 परिषदीय स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। इसमें करीब 5.95 लाख छात्र छात्राएं पंजीकृत हैं। अभी तक यहां मीनू के हिसाब से खाना दिया जा रहा है। अभी तक यहां की कन्वर्जन कास्ट में पैसा नहीं भेजा जा सका हैं।
सीतापुर : आजादी के अमृत महोत्सव के तहत परिषदीय विद्यालय के नौनिहालों को हलवा, खीर व लड्डू खिलाने के आदेश तो कर दिए गए हैं लेकिन विभाग के पास मौजूद 15 करोड़ का बजट महज छह दिन मैं ही खर्च हो जाएगा उसके बाद विद्यालय में हलवा, खीर तो दूर एमडीएम बनना भी मुश्किल होगा।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 11 से 17 अगस्त तक हर घर तिरंगा कार्यक्रम मनाया जाएगा। इस सप्ताह परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों को निर्धारित मेन्यू के अलावा अन्य स्वादिष्ट भोजन खिलाया जाएगा। प्रत्येक विद्यालय में नौनिहालों को हलवा, खीर, लड्डू, बूंदी व फल खिलाया जाएगा। शासन स्तर से निर्देश जारी होते ही बेसिक शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत बजट को लेकर आएगी।
नौनिहालों को एक सप्ताह तक लगातार हलवा, खीर, लड्डू व फल का वितरण किया जाना है। एक अनुमान के मुताबिक एक बच्चे पर करीब 40 रुपये का रोजाना खर्च आएगा इस हिसाब से जिले के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे छह लाख नौनिहालों के लिए करीब 16.80 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। छह लाख बच्चों के लिए रोजाना करीब 35 लाख रुपये का खर्च आता है। आप यह पोस्ट प्राइमरी का मास्टर डॉट इन पर पढ़ रहे हैं। अगर हलवा, खीर व लड्डू का बजट जोड़ लिया जाए तो करीब 2.75 करोड़ का खर्च एक दिन में आएगा। यानि यह बजट महज छह दिन में ही खर्च हो जाएगा। उसके बाद विद्यालय में इसका वितरण तो दूर एमडीएम बनना भी मुश्किल हो जाएगा।
वितरण पर असमंजस की स्थिति
एक नौनिहाल पर कितने रुपये का बजट खर्च किया जाएगा, यह बजट किस मद से खर्च होगा, कन्वर्जन कास्ट से बजट लिया जाएगा या कोई बजट अलग से दिया जाएगा, इसकी स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो सकी है। ऐसे में हलवा, खीर, लड्डू, बूंदी व फल के वितरण को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। शिक्षक से लेकर अफसर तक शासन के स्पष्ट आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
40 रुपये प्रति बच्चा खर्च
स्कूल में रोजाना एमडीएम बनवा रहे एक शिक्षक ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक 50 ग्राम हलवा 10 रुपये का मिलेगा। बूंदी व लड्डू सात-सात रुपये में मिलेंगे। छह रुपये का एक केला मिलेगा। खीर पर करीब 10 रुपये का खर्च आएगा। इस लिहाज से एक नौनिहाल पर करीब 40 रुपये खर्च होंगे।
यह है रेट
परिषदीय विद्यालय के नौनिहालों के लिए कन्वर्जन कास्ट का रेट निर्धारित है। प्राथमिक विद्यालय के एक नौनिहाल के लिए 4.97 रुपये मिलते हैं। इसी तरह उच्च प्राथमिक विद्यालय के एक बच्चे के लिए 7.45 रुपये मिलते हैं। इस तरह एक दिन में छह लाख बच्चों के लिए करीब 35 लाख का खर्च आता है।
हो रहा है बजट के आदेश का इंतजार
"अमृत महोत्सव के तहत नौनिहालों को हलवा, खीर व लड्डू का वितरण किया जाएगा। इसकी मात्रा व बजट के बावत शासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। जिले में कन्वर्जन कास्ट का पर्याप्त बजट है। बृजमोहन सिंह, डीसी, एमडीएम
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