250 संस्थानों की होगी जांच, शुल्क वापसी के बाद घटे छात्र, फर्जीवाड़े की आशंका, पहले चरण की जांच में 18 जिले शामिल
लखनऊ : प्रदेश में ऐसे 250 संस्थानों को चिह्नित किया गया है जिनमें शुल्क वापसी की सुविधा का लाभ लेने के बाद छात्रों ने बीच में ही उस पाठ्यक्रम की पढ़ाई छोड़ दी। 18 जिलों के ऐसे संस्थानों की अब जांच की जाएगी। इसके लिए समाज कल्याण निदेशालय ने टीम बनाई है।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि दो या तीन वर्ष के पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को शुल्क भरपाई के साथ छात्रवृत्ति की सुविधा देने पर वे पढ़ाई पूरी करते हैं। लेकिन, इस बार छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो हैरत में डालने वाले तथ्य सामने आए। तमाम संस्थानों में पाठ्यक्रम के प्रथम या द्वितीय वर्ष में विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ दिया, लेकिन इनमें से काफी विद्यार्थियों ने द्वितीय या तृतीय वर्ष में प्रवेश ही नहीं लिया। सामान्यतः ऐसा तब होता है, जब संस्थानों में फर्जी छात्र दिखाए जाते हैं। इसलिए प्रदेश सरकार ने जांच कराने का फैसला किया है। जांच में उन संस्थानों को रखा गया है, जहां विद्यार्थियों की संख्या में असामान्य तरीके से कमी या वृद्धि हुई है। पहले चरण में सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, कानपुर देहात, मेरठ, सहारनपुर, बरेली मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा, अयोध्या, झांसी, इलाहबाद, चित्रकूट, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर, बस्ती और गोंडा के करीब 250 संस्थानों की जांच होगी।
इनको सौंपी गई जांच की जिम्मेदारी
जांच मंडलों और निदेशालय में तैनात उप निदेशकों और संयुक्त निदेशकों से कराई जाएगी। प्रत्येक टीम में उनके साथ संबंधित जिला समाज कल्याण अधिकारी और समाज कल्याण अधिकारी (विकास) को भी लगाने को कहा गया है। टीमों को तत्काल जांच शुरू करने और शीघ्र रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
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