छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में ढिलाई पड़ेगी भारी, पात्र छात्रों के आवेदन रोकने वाले शिक्षण संस्थानों पर होगी कार्रवाई
◆ पिछले सत्र में बड़ी संख्या में आगे नहीं बढ़ाया गया था डाटा
लखनऊ : छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में पात्र छात्रों के आवेदन अग्रसारित न करने वाले शिक्षण संस्थानों की जवाबदेही तय होगी। इस ही कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पिछले वित्त वर्ष में बड़ी संख्या में इस तरह के मामले सामने आने पर यह फैसला किया गया है। इसके लिए सभी शिक्षण संस्थानों को जरूरी निर्देश भेजे जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों और दो लाख रुपये तक सालाना आय वाले अन्य वर्गों के छात्रों को यह सुविधा देती है। इसमें छात्रवृत्ति के साथ ही शुल्क की प्रतिपूर्ति भी की जाती है। एससी व एसटी छात्रों के अलावा अन्य वर्गों के छात्रों के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों में शुल्क प्रतिपूर्ति की अधिकतम सीमा भी निर्धारित है।
पिछले सत्र में अंतिम तिथि निकलने के बाद भी संस्थानों के स्तर पर ही बड़ी संख्या में छात्रवृत्ति के आवेदन पेंडिंग रह गए थे। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए तिथि बढ़ाकर उनका डाटा अग्रसारित करने की सुविधा देनी पड़ी थी। नतीजतन, उनको भुगतान में देरी हुई थी। भविष्य में इस तरह की स्थिति न आने देने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि डाटा फॉरवर्ड करने में जिन संस्थानों की लापरवाही सामने आएगी, उन्हें नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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