आंगनबाड़ी केंद्रों को जनप्रतिनिधि व अधिकारी गोद लें : सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने किया 700 आंगनबाड़ी केंद्रों का लोकार्पण व शिलान्यास
जानिए एप को
•'सहयोग' एप - आंगनबाड़ी कार्यक्रम की निगरानी की जा सकेगी।
• ' बाल पिटारा' एप - इसमें तीन से छह वर्ष तक की आयु के बच्चों की परवरिश की जानकारी के साथ ही ई - बुक्स, वीडियो एवं आडियो हैं।
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर शुक्रवार को जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से आंगनबाड़ी केंद्र गोद लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि समाज के सक्षम तबके के लोग आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेकर वहां की बुनियादी सुविधाएं ठीक करवाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहले से बहुत अधिक सुधार हुआ है। पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यूपी फिसड्डी होता था। पांच वर्षों के अथक परिश्रम की बदौलत आज एनीमिया में यूपी का औसत राष्ट्रीय औसत से भी अच्छा है। शिशु व मातृ मृत्यु दर भी कम करने में सफलता मिली है।
राष्ट्रीय पोषण माह के मौके पर लोक भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 700 आंगनबाड़ी केंद्रों का लोकार्पण व शिलान्यास किया। उन्होंने 'सक्षम' एवं 'सशक्त आंगनबाड़ी' पुस्तिका का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने 'सहयोग' एवं 'बाल पिटारा' एप का भी शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने छह वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए 'दुलार' कार्यक्रम भी शुरू किया है। इसमें बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा, उनकी देखभाल व सुरक्षा के बारे में जानकारी फोन काल के माध्यम से दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में 1.70 करोड़ बच्चे पंजीकृत हैं। इनकी नींव मजबूत करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। बचपन व वर्तमान सुरक्षित है तो देश का भविष्य सुरक्षित रहेगा। मुख्यमंत्री ने पोषण माह को राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाने के लिए प्रधानमंत्री और आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेने का अभियान संचालित कराने के लिए राज्यपाल का आभार जताया। कहा कि पहले पोषण मिशन एक मकड़जाल था। पोंटी चड्ढा की कंपनी की ओर इशारा करते हुए कहा कि पहले जो लोग शराब बेचते थे, वे ही पोषण का पोषाहार भी बेच रहे थे। हमने यह काम महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया। 60 हजार से अधिक महिला स्वयंसेवी समूहों से जुड़ी बहनों को इससे जोड़ा गया है। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से मोबाइल फोन पर सारी सूचनाएं अपलोड करने की आदत डालने की अपील की। कहा कि बहुत अच्छा करने के बाद भी हम डाटा के मामले में पिछड़ जाते हैं।
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