खेल-खेल में सीखेंगे ‘बच्चे, बुनियादी शिक्षा पाठ्यक्रम का मसौदा जारी
इसे तैयार करने में चार हजार विशेषज्ञ, 1.3 लाख शिक्षक व संस्थान, 10 लाख छात्र व अभिभावक, दुनिया की सबसे बेहतरीन रिसर्च को शामिल
नई दिल्ली। अब बच्चे खेल-खेल में जमा, घटाव, जानवरों के नाम, रंगों की पहचान करना, सामान्य ज्ञान और भाषा सीखेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को तीन से आठ साल के बच्चों के बुनियादी शिक्षा पाठ्यक्रम का मसौदा जारी किया। इससे कई चीजों के लिए किताबों की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
प्रधान ने कहा, जाने-माने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति ने इसे तैयार किया है। यह देश के भविष्य निर्माताओं यानी बच्चों को आकार देने वाला है। बच्चे खेल, खिलौनों, संगीत, चलने और बात करने के तरीके से सीखते हुए पढ़ाई करेंगे। उन्होंने कहा, बंसत पंचमी तक मसौदे पर मिलने वाले सुझावों के आधार पर एनसीईआरटी समग्र मंथन के बाद ही पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक तैयार करेगी।
कई चीजों के लिए किताबें तैयार करने की जरूरत नहीं
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, यह मसौदा शिक्षा मंत्रालय, स्कूलों, सीबीएसई बोर्ड समेत अन्य सभी की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। कोई भी व्यक्ति मसौदे पर अपने सुझाव दे सकते हैं। एनसीईआरटी आगे राज्यों के शिक्षा विभाग, उनका पाठ्यक्रम तैयार करने वाले विभागों से इस मसौदे को साझा करेगी। उन्होंने कहा कि इसमें कई चीजों के लिए पाठ्यपुस्तक तैयार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये खेल और प्रोजेक्ट आधारित हैं। वहीं, कुछ विषयों में पढ़ाई की पद्धति महत्वपूर्ण है।
शुरुआती आठ वर्ष महत्वपूर्ण: अब बच्चे तकनीक के माध्यम से जल्दी सीखते हैं। इस मसौदे में कहा गया है कि बच्चों के शुरुआती आठ वर्ष काफी महत्वपूर्ण होते हैं। उनका 85 फीसदी विकास इस दौरान हो। चुका होता है, क्योंकि ये शारीरिक गतिविधि, संज्ञानात्मक बोध प्रक्रिया तथा सामाजिक भावनात्मक विषयों के विकास से जुड़े होते हैं। ऐसे में यह रूपरेखा बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने को महत्व देती है।
प्रौद्योगिकी से जुड़े युवा छोटे-छोटे वीडियो बनाकर करें सहयोग
केंद्रीय मंत्री ने कहा, यह मसौदा सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा, ताकि आम लोग भी इसे समझ सकें। उन्होंने आम लोगों समेत प्रौद्योगिकी से जुड़े युवाओं से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को लेकर छोटे-छोटे वीडियो, नवाचार आधारित गेम (खेल), संगीत आदि तैयार करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वे मसौदे के आधार पर इसमें अपना सहयोग कर सकते हैं।
भारतीय संस्कृति और परंपराएं भी सीखेंगे
इसे दो भागों में बांटा गया है, जिसमें गृह आधारित यानी 03 आयु वर्ग के बच्चे व संस्थागत स्तर पर 3-8 आयु वर्ग के बच्चों को रखा गया है। यहां किताबी ज्ञान पर ही फोकस नहीं किया गया है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को भी जगह मिली है।
खेल-खेल में सीखेंगे स्कूली बच्चे जिस विषय में कमजोर होंगे, उस पर ज्यादा ध्यान देकर निखारा जाएगा
नई दिल्ली: स्कूल अब बच्चों के लिए रुचिकर होंगे, जहाँ बच्चे खेल-खेल में पढ़ेंगे और सीखेंगे। उनके आसपास के वातावरण और विकास की लगातार मैपिंग भी होगी, ताकि उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। जिस विषय या क्षेत्र में बच्चे कमजोर होंगे, उस पर ज्यादा ध्यान देकर निखारा जाएगा।
कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) का आधार पारंपरिक भारतीय शिक्षा शास्त्र के 'पंचकोष विकास' सिद्धांत को बनाया गया है। इसके तहत बच्चों के शारीरिक, प्राणमय, मानसिक, बौद्धिक और चेतना कोष पर फोकस किया जाएगा। बुनियादी स्तर के फ्रेमवर्क में इन्हें महत्व दिया गया है। पाठ्यक्रम में कहानी व खेल आदि को शामिल किया जाएगा, जिनसे उनका पूर्ण विकास हो सके।
बुनियादी स्तर ( फाउंडेशनल स्टेज) के फ्रेमवर्क में बच्चों को पर्याप्त फ्री टाइम देने की व्यवस्था की गई है। यही वजह है कि गणित को छोड़कर कोई भी क्लास 30 मिनट से ज्यादा की नहीं होगी। इस दौरान भी बच्चों की ज्यादातर पढ़ाई उन्हें अलग-अलग गतिविधियों से जोड़कर कराई जाएगी, जो रुचिकर और जल्द सीखने वाली होगी। इस स्तर पर बच्चों के लिए तीन लक्ष्य रखे गए हैं। पहला- बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी समझ, दूसरा बोलचाल में दक्षता और तीसरा - लगातार सीखने की प्रवृत्ति को विकसित करना है।
स्कूली शिक्षा के बुनियादी स्तर के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) जारी किया। इसके तहत स्कूलों में बालवाटिका ( प्ले स्कूल) के तीन साल और पहली व दूसरी कक्षा के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है। प्रधान ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद इसे स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा कदम बताया। कहा, बच्चों की शुरुआती शिक्षा बेहतर होगी, तो आगे भी शिक्षा बेहतर ही रहेगी ।
बच्चों के 85 प्रतिशत मस्तिष्क का विकास इसी काल में होता है। इस पूरे फ्रेमवर्क को तीन से आठ साल की उम्र के बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली शिक्षा के चार चरण तय किए गए हैं। यह 5 प्लस 3, प्लस 3 प्लस 4 होगा। इससे पहले स्कूली शिक्षा में सिर्फ दो ही स्तर थे।
जल्द स्कूली शिक्षा के दूसरे स्टेज का भी फ्रेमवर्क होगा जारी
बुनियादी स्तर के बाद शिक्षा मंत्रालय ने जल्द ही दूसरे स्टेज का फ्रेमवर्क भी जारी करने का संकेत दिया है। मंत्रालय का मानना है कि फरवरी तक स्कूली शिक्षा के सभी स्टेज का फ्रेमवर्क जारी हो जाएगा। बुनियादी स्तर के लिए तैयार फ्रेमवर्क को एनसीईआरटी को सौंप दिया गया है। यह अब इसके मुताबिक पाठ्यक्रम तैयार करेगा। प्रधान ने इसे बसंत पंचमी तक तैयार करने का लक्ष्य दिया है। इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने देश के 49 केंद्रीय विद्यालयों में प्रायोगिक तौर पर बालवाटिका ( प्ले स्कूल) की शुरुआत भी की।
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