दारुल उलूम के मदरसे न मान्यता लेंगे न मदद
ये फैसले लिए गए
■ दारुल उलूम और इससे संबद्ध सभी मदरसे देश के किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं लेंगे
■ राज्य सरकार द्वारा कराए गए मदरसा सर्वे को सही ठहराया
■ मदरसों का दीनी पाठ्यक्रम नहीं बदलने का फैसला
■ कक्षा पांच तक स्कूली शिक्षा मदरसों में ही देने का निर्णय
सहारनपुर । देवबंद स्थित दारुल उलूम में रविवार को आयोजित राब्ता - ए मदारिस के सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि मदरसे किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं लेंगे, न ही उन्हें सरकारी मदद चाहिए। मदरसे अपना पाठ्यक्रम भी नहीं बदलेंगे, मगर बुनियादी तौर पर कक्षा पांच तक स्कूली शिक्षा मदरसों में देंगे। इस दौरान मदरसों की दिशा और दशा पर नौ सूत्री मांग पत्र भी रखा गया
सम्मेलन में देशभर के दारुल उलूम से संबद्ध तीन हजार मदरसा संचालकों ने भाग लिया। इस दौरान दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा, दारुल उलूम से संबद्ध मदरसा अपना पाठ्यक्रम नहीं बदलेंगे। हालांकि, बुनियादी तौर पर मदरसों की पढ़ाई में बुनियादी शिक्षा को भी शामिल किया जाएगा।
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