NEP : स्कूलों में बचपन अब खिलखिलाएगा, खोएगा नहीं, जानिए क्यों?
• नए स्कूली फ्रेमवर्क में बच्चों के संपूर्ण विकास पर है फोकस
नई दिल्ली : स्कूलों में बचपन अब खोएगा नहीं, बल्कि खिलखिलाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार किए जा रहे नए स्कूली पाठ्यक्रम का सूत्र वाक्य फिलहाल यही है। यही कारण है कि इस पाठ्यक्रम के लिए जो फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है, उसे कुछ इस तरह से बुना जा रहा है, जिससे बच्चों को पढ़ाई के साथ ही खेलकूद या फिर संपूर्ण विकास के लिए दूसरी जरूरी गतिविधियों में शामिल होने का पर्याप्त समय मिल सके।
फ्रेमवर्क में उन्हें ज्यादा से ज्यादा फ्री टाइम देने की कोशिश है। इसके लिए पाठ्यक्रम को थोड़ा छोटा और संगठित (कंपैक्ट) भी किया जा रहा है। यह बात सामने आ चुकी है कि वर्तमान स्कूली पाठ्यक्रम काफी भारी भरकम है। जिसे सुसंगठित करने के बजाय उसमें लगातार नई-नई चीजों को जोड़ा जा रहा है । होती हैं।
इतना ही नहीं, स्कूलों का जो मौजूदा तानाबाना है, उनमें रटाने-रटाने या फिर नंबरों की ऐसी होड़ है कि उनमें बचपन गुम-सा हो गया है। हालांकि, स्कूल स्तर पर इसमें सुधार के प्रयास भी किए गए हैं, लेकिन इसका कोई खास परिणाम सामने नहीं आया है। फिलहाल, स्कूलों के लिए अब जब नया पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इसमें इन बातों का ध्यान रखा जा रहा है।
स्कूली पाठ्यक्रम में सुधार की यह कोशिश फ्रेमवर्क स्तर से ही की जा रही है, जिसे इन दिनों तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। फ्रेमवर्क की प्रक्रिया नए पाठ्यक्रम को तैयार करने से पहले की प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे को किस स्तर पर कितनी सामग्री पढ़ानी है, उसका खाका तैयार किया जाता है। किसी भी विषय के कितने चैप्टर होंगे आदि चीजें फ्रेमवर्क में शामिल
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