निजी स्कूलों में महंगी होगी पढ़ाई, नए शैक्षणिक सत्र से फीस में 12 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का तैयार किया प्रस्ताव
निजी स्कूल संगठन का दावा- अधिनियम के अनुसार ही बनाया गया है प्रस्ताव
लखनऊ। निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ने वाला है। राजधानी के प्राइवेट स्कूलों ने नए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से नर्सरी से लेकर 12वीं की कक्षाओं की फीस में 12 प्रतिशत तक की वृद्धि करने की तैयारी पूरी कर ली है।
निजी विद्यालयों के संगठन अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अनुसार उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियम ) अधिनियम 2018 में दिए गए फॉर्मूले के अनुसार ही फीस बढ़ाने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसमें कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) का औसत और पांच प्रतिशत फीस वृद्धि को जोड़कर फीस में कुल बढ़ोतरी की दर निकाली जाती है। इस बार यह 11.61 प्रतिशत तक आ रही है।
वर्ष 2020 में कोरोना के चलते शासन ने फीस वृद्धि पर रोक लगाई थी, जो 2021 में भी जारी रही। साल 2022 में फीस बढ़ाने को लेकर निजी स्कूलों के संगठनों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद उन्होंने वर्तमान सत्र की फीस में वृद्धि की थी। इसे देखते हुए अप्रैल में शासन ने भी फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी। इसके बाद फीस में नौ प्रतिशत का इजाफा किया गया। अब फिर से इसे 12 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि महंगाई काफी बढ़ गई है। इससे सीपीआई में भी वृद्धि हुई है। इसके आंकड़े सरकार ही जारी करती है। पिछले 12 महीने का औसत सीपीआई 6.61 प्रतिशत तक है। इसमें पांच प्रतिशत फीस वृद्धि मिलाकर कुल बढ़ोतरी 11.61 प्रतिशत तक बनती है और इसी दर का प्रस्ताव तैयार किया है। नियम अनुसार ही फीस बढ़ाई जाएगी।
जिले के बाद प्रदेश के स्कूलों के साथ होगी बैठक
अनिल अग्रवाल ने बताया कि फीस वृद्धि का प्रस्ताव नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के पहले हफ्ते में जिले के संगठन से जुड़े स्कूलों के प्रतिनिधियों की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद प्रदेश के जितने भी स्कूल संगठन हैं, उनसे भी बात की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अधिनियम में दिए गए फॉर्मूले के अनुसार से ज्यादा कोई फीस बढ़ाएगा तो संगठन उसका विरोध करेगा। जिले की कमेटी उस पर कार्रवाई भी कर सकती है।
एक साल में अतिरिक्त तीन प्रतिशत तक की वृद्धि
निजी स्कूलों की फीस में एक ही वर्ष में अतिरिक्त तीन प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिए निजी स्कूलों के संगठन ने नौ प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया था। इस बार सीपीआई ज्यादा होने पर 11.61 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव है।
स्कूली वाहनों के शुल्क में पहले ही किया जा चुका है इजाफा
वर्तमान शैक्षणिक सत्र के बीच में ही स्कूली वाहनों का शुल्क बढ़ाया जा चुका है। सीएनजी के रेट बेतहाशा बढ़ने से स्कूली वाहन संचालकों ने हर तीन किमी पर प्रति छात्र 700 से लेकर एक हजार रुपये रुपये तक की वृद्धि की है। अब नए सत्र में फीस की बढ़ोतरी अभिभावकों की कमर तोड़ सकती है।
अपनी-अपनी बात
दो सालों से नहीं बढ़ाई गई है फीस
वर्ष 2020 और 2021 में फीस नहीं बढ़ाई गई थी। आज महंगाई दर ज्यादा है। स्टाफ का वेतन भी बढ़ाना है। व्यवस्था चलाने व लोन की किस्त भी बढ़ चुकी है। अधिनियम में दिए गए फॉर्मूले के अनुसार की फीस वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
-अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड
प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन
ज्यादा फीस बढ़ाई तो कमेटी लेगी निर्णय
स्कूल अधिनियम 2018 में दिए फॉर्मूले से ज्यादा फीस बढ़ाते हैं तो प्रकरण जिला कमेटी में रखा जाएगा। इसके अध्यक्ष डीएम होते हैं। कमेटी स्कूल के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर मामले पर निर्णय लेगी।
- राकेश कुमार, डीआईओएस
मनमानी पर अंकुश लगाए सरकार
अभिभावक चौतरफा महंगाई के बोझ तले दबा है। स्कूल वाहन, बैग और यूनिफॉर्म के रेट पहले से ही बढ़ चुके हैं। ऊपर से निजी स्कूल हर साल मनमानी फीस बढ़ा देते हैं। सरकार को चाहिए कि इस पर अंकुश के लिए निगरानी सेल बनाए। स्कूल चुपचाप 15 से 20 प्रतिशत तक फीस बढ़ा देते हैं। यह हर साल नहीं होना चाहिए।
- राकेश कुमार सिंह, अध्यक्ष, लखनऊ अभिभावक विचार परिषद
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