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Sunday, November 20, 2022

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की राह पर अब उत्तर प्रदेश भी

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की राह पर अब उत्तर प्रदेश भी 



लखनऊ। हिंदी पट्टी के उन छात्रों के लिए अच्छी खबर है जो मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं। मध्य प्रदेश के बाद यूपी ने मेडिकल व नर्सिंग की शिक्षा हिंदी में देने की पहल कर दी है। मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरुआत हुई है। वहां एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए हिंदी में एक घंटे की अतिरिक्त क्लास शुरू की गई है। 


कॉलेज ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से पूरे प्रदेश के मेडिकल छात्रों को जूम के जरिए हिंदी में पढ़ाने की अनुमति मांगी है। स्वीकृति मिलते ही प्रदेश के एमबीबीएस के सभी छात्र हिंदी में पढ़ने लगेंगे।


मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक यूपी के गांवों से आने वाले छात्रों की राह अब अंग्रेजी नहीं रोकेगी। प्रदेश में अब छात्र हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेंगे। विभिन्न विषयों की किताबें भी हिंदी में लिखवाई जा रही हैं। कुछ किताबें लिखी भी जा चुकी हैं, जिसमें एक मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने लिखी है।


 हिंदी में पाठ्यक्रम को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पूर्व में प्रोफेसर एनसी प्रजापति के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी। कमेटी ने प्रथम वर्ष में मध्य प्रदेश में प्रयोग होने वाली किताबों के प्रयोग का सुझाव दिया था। इधर, मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में काम शुरू हो चुका है। कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर आरसी गुप्ता बताते हैं कि 15 अगस्त को हमने हिंदी में पहला मेडिकल जर्नल पुनर्नवा प्रकाशित किया।



मेरठ नजीर बना: आसान हुई मेडिकल की पढ़ाई

मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में हिन्दी दिवस 14 सितंबर से शुरू हुई हिंदी माध्यम से | मेडिकल की पढ़ाई छात्रों को रास आ रही है। इससे पढ़ना-लिखना छात्रों के लिए जहां काफी आसान हो गया है। वहीं सुविधा और सहूलियत में भी इजाफा हो रहा है। मेडिकल कॉलेज संकाय का कहना है कि छात्रों में पढ़ाई का स्तर सुधर रहा है।


प्रभावी साबित हो रही हिंदी माध्यम से पढ़ाई

हिंदी माध्यम काफी प्रभावी साबित हो रहा है। शिक्षकों के लिए भी छात्रों को समझाना अब काफी सुविधाजनक है। मेडिकल कालेज के शिक्षक बताते हैं कि ऐसे छात्र जिन्हें पहले किसी भी विषय को समझने में काफी वक्त लगता था। कई बार अपनी झिझक के चलते वह कक्षा में सवाल पूछने से बचते थे। उनमें अब प्रभावी ढंग से बदलाव देखने को मिल रहा है।

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