DGSE का दावा : नए सत्र में परिषदीय स्कूलों में किताबें 15 मार्च तक पहुंच जाएंगी
प्रयागराज । यूपी के परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन को सुधारने की दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है। नए सत्र में 15 मार्च तक सभी परिषदीय स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें, अभ्यास पुस्तिकाओं को पहुंचा दिया जाएगा।
यह दावा स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने प्रयागराज में किया। उन्होंने बताया कि नए सत्र में प्रदेश भर में करीब 17 करोड़ किताबें बच्चों तक पहुंचाई जाएंगी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अभी ही पूरी कर ली गई है। यह भी कहा कि बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत एनसीईआरटी की पुस्तकें दी जाएंगी।
प्रयागराज में मंडलीय कार्यशाला में शामिल हुए स्कूल शिक्षा महानिदेशक
प्रयागराज में निपुण भारत अभियान के तहत आयोजित मंडलीय कार्यशाला में शामिल होने आए स्कूल शिक्षा के महानिदेशक ने अनौपचारिक बातचीत में माना कि वर्तमान सत्र में अब तक सभी बच्चों को पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल सकी हैं। इसकी वजह टेंडर में विलंब होने सहित कई अन्य तकनीकी कारण हैं।
बेसिक स्कूलों में तिमाही परीक्षाएं हो रहीं : स्कूल शिक्षा के महानिदेशक ने विश्वास दिलाया कि अगले सत्र में इस तरह की चूक नहीं होगी। वर्तमान सत्र के संदर्भ में बताया कि मंडलवार सभी बेसिक स्कूलों में तिमाही परीक्षाएं कराई जा रही हैं।
प्रयागराज में नवंबर में यह परीक्षा सरल एप के माध्यम से कराई जाएगी। कहा कि परीक्षा के बाद प्रत्येक विद्यार्थी और अभिभावक तक रिपोर्ट कार्ड भी भेजा जाएगा।
बेसिक शिक्षा में रिक्त पद शीघ्र भरे जाएंगे : बेसिक शिक्षा में स्थायी निदेशक सहित जो भी अन्य पद रिक्त हैं वह शीघ्र भरे जाएंगे। यह भी कहा कि शासन का पूरा जोर शिक्षा के सुधार पर है। सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाई जाए। अध्यापन का स्तर सुधरे। इन सभी बातों को लेकर निपुण भारत अभियान चलाया जा रहा है। अध्यापकों को कई तरह के प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं।
जहां तक सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी में अधिकारियों की कमी की बात है तो वहां की परीक्षाएं दूसरे आयोग से होने जा रही हैं। ऐसे में पीएनपी का कार्य किताबों और डीएलएड परीक्षा कराने तक रह जाएगा। बेसिक शिक्षा में स्थाई निदेशक सहित जो भी अन्य पद रिक्त हैं वह शीघ्र भरे जाएंगे। यह भी कहा कि शासन का पूरा जोर शिक्षा के सुधार पर है। सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाई जाए। अध्यापन का स्तर सुधरे। इन सभी बातों को लेकर निपुण भारत अभियान चलाया जा रहा है। अध्यापकों को कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
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