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Friday, November 4, 2022

सुधार की होड़ बढ़ी तो बदलने लगी स्कूलों की सूरत, राज्यों में सुधार की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी

सुधार की होड़ बढ़ी तो बदलने लगी स्कूलों की सूरत, राज्यों में सुधार की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी


नई शिक्षा नीति में देश की स्कूली शिक्षा की जैसी कल्पना की गई है, उसकी तरफ राज्य बढ़ते नजर आ रहे हैं। राज्यों में शिक्षा की तस्वीर के मूल्यांकन को लेकर शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट कई सकारात्मक संकेत देने वाली है। राज्यों में सुधार की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है और वे जरूरी सुविधाओं और संसाधनों की निगरानी भी कर रहे हैं। शिक्षक छात्र अनुपात भी बेहतर हो रहा है। और शिक्षा के स्तर को लेकर राज्यों के बीच अंतर कम हो रहा है।


राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा पर शिक्षा मंत्रालय ने परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स' (पीजीआइ) नाम से रपट जारी की है। इससे पता चलता है कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने से लेकर ड्रापआउट पर अंकुश लगाने तक राज्यों में नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने की होड़ है। 


शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने यानी विद्यार्थियों के पंजीकरण, उन्हें स्कूल में बनाए रखने और ऊंची कक्षाओं तक उनके पहुंचने के मामले में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गुजरात, झारखंड और दिल्ली ने पिछले साल के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है। 


असम, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब और सिक्किम ने पिछले साल का स्तर बनाए रखा है, जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों का प्रदर्शन गिरा है। जहां तक स्कूलों में बुनियादी ढांचा और सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात है तो दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु और पुडुचेरी समेत केवल चार राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सभी ने पिछले साल के मुकाबले सुधार दिखाया है। तीसरे लेवल में वे राज्य हैं जिन्होंने एक हजार में से 851 से 900 तक अंक प्राप्त किए हैं। स्कूलों में शौचालय, स्वच्छ पेयजल, सफाई, बिजली, कंप्यूटर, इंटरनेट, पुस्तकालय और खेल से संबंधित सुविधाओं में कई राज्यों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।


घट रही असमानता

रिपोर्ट का एक अन्य उल्लेखनीय पहलू यह है कि राज्यों में स्कूली शिक्षा के ढांचे में असमानता का पहले जो स्तर होता था, वह अब घट रहा है। 2021-22 के सत्र में सबसे अधिक अंक (928) पाने वाले राज्य व सबसे कम अंक (669) पाने वाले राज्य के बीच 259 अंकों या 33% का फासला है। 2017-18 के सत्र में यह अंतर 51 प्रतिशत था।


अगले साल बदलेंगे संकेतक

शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग ने अब तक तीन पीजीआइ रिपोर्ट जारी की हैं। यह समग्र रूप से एक हजार अंकों के पूर्णांक पर राज्यों की ग्रेडिंग करती है। इसमें कुल 70 संकेतकों का सहारा लिया गया है, जिन्हें दो ग्रुपों में रखा गया है-प्रदर्शन और प्रशासन प्रबंधन । शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वह अगले साल से राज्यों के आकलन के लिए डिजिटल एजुकेशन समेत कुछ नए संकेतक शामिल करेगा। ग्रेडिंग के कुल अंक एक हजार ही रहेंगे।



PGI रेटिंग : शिक्षा मंत्रालय के प्रदर्शन सूचकांक में सात राज्य सर्वश्रेष्ठ,  उत्तर प्रदेश स्तर-3 में

केरल, महाराष्ट्र और पंजाब ने शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में किया शीर्ष स्थान हासिल, कोई भी राज्य उच्चतम स्तर को हासिल नहीं कर पाया


केरल, महाराष्ट्र और पंजाब ने शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, जिला स्तर पर स्कूली शिक्षा का आकलन करने वाले प्रदर्शन ग्रेड इंडेक्स 2020-21 में शीर्ष स्थान हासिल किया है। छह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने मंत्रालय के प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) 2020-21 में स्तर 2 (L2) की सर्वश्रेष्ठ रेटिंग प्राप्त की है, जो स्कूली शिक्षा प्रणाली के साक्ष्य-आधारित व्यापक विश्लेषण के लिए एक अद्वितीय सूचकांक है। हालांकि, कोई भी राज्य अब तक एल1 के उच्चतम स्तर को हासिल नहीं कर पाया है।


केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रदर्शन श्रेणी सूचकांक (पीजीआई) 2020-21 में छह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने स्तर-2 (एल-2) की सर्वश्रेष्ठ रेटिंग प्राप्त की है, जो स्कूली शिक्षा प्रणाली के साक्ष्य-आधारित व्यापक विश्लेषण के लिए अद्वितीय सूचकांक है। इसमें बताया गया कि कोई भी राज्य हालांकि अब तक एल-1 का सर्वश्रेष्ठ स्तर हासिल नहीं कर पाया।


 


सात राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जिन्होंने 2020-21 में एल-2 हासिल किया है, वे केरल, पंजाब, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश हैं। गुजरात, राजस्थान और आंध्रप्रदेश एल-2 स्तर पर पहुंचने वाले नए राज्य हैं।


नवगठित केंद्र शासित प्रदेश, लद्दाख ने 2020-21 में पीजीआई के सन्दर्भ में स्तर-8 से स्तर-4 हासिल करके अपने प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार किया है, अर्थात 2019-20 की तुलना में 2020-21 में उसने अपने अंकों में 299 अंकों का सुधार किया है, जो एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक सुधार है। 


पीजीआई संरचना में 70 संकेतकों के साथ 1000 अंक शामिल किए गए हैं, जिन्हें 2 श्रेणियों- परिणाम और शासन प्रबंधन (जीएम)- में बांटा गया है। इन श्रेणियों को आगे पांच उप-श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो सीखने के परिणाम (एलओ), पहुंच (ए), अवसंरचना और सुविधाएं (आईएफ), समानता (ई) और शासन प्रक्रिया (जीपी) हैं। पिछले वर्षों की तरह पीजीआई 2020-21 ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को दस श्रेणियों में वर्गीकृत किया है।


उत्तर प्रदेश स्तर-3 में


उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव ने 851 और 900 के बीच स्कोर के साथ स्तर-3 हासिल किया

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