50 फीसदी से कम नवीनीकरण पर अयोग्य घोषित होंगे शिक्षण संस्थान
छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई योजना : आपदा में ही इस नियम से मिलेगी राहत
लखनऊ : छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई योजना में घपले रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। अब बिना वैध कारण के किसी भी शिक्षण संस्थान में नवीनीकरण श्रेणी के छात्रों की संख्या 50 फीसदी से कम है, तो उन संस्थानों को अयोग्य घोषित किया जाएगा। वैध कारणों में बाढ़, सूखा, अनदेखी घटनाएं और कानून-व्यवस्था को रखा गया है। शासन ने जिलास्तरीय अधिकारियों को आदेश का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, राज्य सरकार एससी-एसटी के ढाई लाख तक सालाना आय और अन्य वर्गों के लिए दो लाख तक सालाना आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा देती है। देखने में आया है कि तमाम विद्यार्थी किसी भी पाठ्यक्रम के पहले वर्ष में दाखिला तो लेते हैं, लेकिन दूसरे या तीसरे वर्ष में पढ़ाई छोड़ देते हैं। ऐसे में इनके फर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे निपटने के लिए शासन ने नियमावली को प्रावधानों के सख्ती से लागू करने को कहा है। अगर कोई छात्र किसी पाठ्यक्रम में एक साल योजना का लाभ लेता है और अगले साल नवीनीकरण का आवेदन नहीं करता है तो दी गई राशि संस्था को छात्र से वसूलकर विभाग को वापस करना होगा।
शिक्षण संस्थान यह सुनिश्चित करेंगे कि योजना का लाभ लेने वाले नवीन छात्रों के सापेक्ष कम से कम 50 फीसदी छात्र नवीनीकरण का आवेदन करें। अगर इससे कम नवीनीकरण के आवेदन होते हैं तो शिक्षण संस्थान को वैध कारण बताने होंगे। वैध कारण न बता पाने की स्थिति में नव प्रवेशित छात्रों के लिए संस्था छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए अयोग्य होगी।
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