चार वर्ष से परिषदीय शिक्षक भर्ती का इंतजार, हर साल बढ़ रहे सवा लाख डीएलएड प्रशिक्षु
डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए प्राथमिक शिक्षक भर्ती ही एक मात्र विकल्प
डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए प्रतिस्पर्धा भी कम नहीं है। एक मात्र प्राथमिक शिक्षक भर्ती में ही इन्हें अवसर मिलता है। इसमें बीएड वालों को भी शामिल कर लिए जाने से इनकी प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ जाती है। जबकि बीएड वालों के पास प्राथमिक से लेकर इंटर तक के कॉलेजों में शिक्षक भर्ती में आवेदन का मौका मिलता है। डीएलएड प्रशिक्षु आलोक मिश्र का कहना है कि भर्ती न आने की वजह से डीएलएड के प्रति अभ्यर्थियों का रुझान कम होता जा रहा है।
प्रयागराज । प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने का सपना लेकर डीएलएड करने वाले अभ्यर्थियों को चार साल से भर्ती का इंतजार है। पिछले चार सालों में भर्ती तो नहीं आई लेकिन डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या अलबत्ता हर वर्ष सवा लाख तक बढ़ जा रही है। इन अभ्यर्थियों के पास इस भर्ती के अलावा दूसरा विकल्प न होने से इंतजार के सिवा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।
प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में डीएलएड (बीटीसी) पास अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। हर साल प्रदेश के विभिन्न संस्थानों से लगभग सवा लाख डीएलएड पास अभ्यर्थी डिग्री लेकर निकलते हैं।
ऐसे में चार साल से भर्ती न आने से लगभग सात लाख अभ्यर्थी बेरोजगार घूम रहे हैं। कई बार अभ्यर्थी भर्ती की मांग को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं। लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।
डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी पंकज मिश्र ने बताया कि 2017 में प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षक भर्ती आई थी। इसके बाद 2018 69 हजार शिक्षक भर्ती आई। 2017 की भर्ती में शिक्षामित्र भी शामिल रहे। 2018 के बाद से प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती नहीं आई।
जबकि साल 2017 में लगभग 1 लाख 70 हजार, 2018 में लगभग 1 लाख 50 हजार, 2019 में लगभग 95 हजार डीएलएड प्रशिक्षुओं ने डिग्री हासिल की। ऐसे में इतने वर्षों में लगभग सात लाख डीएलएड प्रशिक्षु बेरोजगार हैं।
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