नियमों में संशोधन के फेर में फंसीं संस्कृत शिक्षकों की भर्तियां
भर्ती चयन बोर्ड को करनी है, लेकिन उसके लिए अधिनियम में संशोधन जरूरी
छह साल पहले यह शासनादेश हो गया कि संस्कृत शिक्षकों की भर्तियां भी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करेगा। अधियाचन भी भेजा गया लेकिन भर्तियों के लिए जरूरी है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन हो। उस संशोधन के लिए वोर्ड का गठन हो। वोर्ड में इस समय सिर्फ अध्यक्ष और सचिव हैं। बाकी सदस्यों के पद खाली पड़े हैं। यही तकनीकी पेच है कि संस्कृत शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही। जबकि वैठकों में लगातार भर्ती का मुद्दा उठता है। और स्कूलों से वार वार खाली पदों का व्योरा मांगा जाता है।
बोर्ड को करवाना है संशोधन
इस बारे में उप शिक्षा निदेशक संस्कृत सीएल चौरसिया का कहना है कि भर्तियों का शासनादेश है वह चयन बोर्ड से ही होनी हैं। जहां तक बोर्ड के अधिनियम में संशोधन की बात है तो यह काम बोर्ड को कराना है। बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि बोर्ड में सदस्यों की तैनाती शासन स्तर से होनी है।
इस कारण फंसा पेच
अब एक बार फिर जब शिक्षकों की भर्ती का मसला उठता है तो चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन ही आड़े आता है। अफसर अभी तक इस मसले को सुलझा नहीं पा रहे। क्या है ये पेच, आइए समझते हैं:
■ संस्कृत विद्यालय पहले संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध होते थे।
■ अलग बोर्ड बनने के बाद ये माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन आ गए।
■ माध्यमिक एडेड विद्यालयों में भर्ती चयन बोर्ड करता है इसलिए 2016 में यह सहमति बनी कि इनमें भी चयन बोर्ड ही भर्ती करे।
■ इस बाबत शासनादेश भी जारी कर दिया गया कि संस्कृत शिक्षकों की भर्ती चयन बोर्ड से ही होंगी।
■ उसी के बाद करीब 2,300 शिक्षकों की भर्ती के लिए अधियाचन भी भेजा गया लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी था कि चयन बोर्ड अधिनियम में बदलाव किया जाए।
■ वह संशोधन अभी तक इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि वह चयन बोर्ड को कराना है। इस संशोधन के लिए जरूरी है कि चयन बोर्ड का कोरम पूरा हो।
शिक्षकों के 50% पद खाली
संस्कृत विद्यालयों में बड़ी संख्या में पद खाली हैं। क्या है विद्यालयों में शिक्षकों की स्थिति आइए एक नजर डालते हैं:
■ प्रदेश में 973 एडेड संस्कृत विद्यालय हैं।
■ इनमें लगभग 50% शिक्षकों के पद खाली हैं।
■ दो साल पहले 420 शिक्षक संविदा पर रखे गए।
■ इनको भी जोड़ लें तो भी करीब 40 फीसदी शिक्षकों की कमी है।
■ संविदा पर शिक्षकों की भर्ती भी इसीलिए की गई थी क्योंकि नियमित शिक्षकों की भर्ती में पेंच फंसा हुआ है।
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