प्रदेशभर में स्कूलों के बकाया करोड़ों रुपये, RTE के तहत निजी स्कूल बच्चों को प्रवेश देने के बदले मिलती है फीस प्रतिपूर्ति
प्रयागराज : निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश पाने वाले 3031 बच्चों की फीस का 2.81 करोड़ फंस गया है। दो साल से शासन की ओर से बजट जारी नहीं होने के कारण निजी स्कूलों को फीस का प्रतिपूर्ति नहीं की जा सकी है। स्कूल प्रबंधन बेसिक शिक्षा विभाग से तकादा कर रहे हैं।
प्रयागराज से 30 सितंबर को शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए मांगपत्र शासन को भेजा गया था, लेकिन दो महीने बाद भी धन आवंटित नहीं हुआ है। जिलेभर के कुल 172 निजी स्कूलों की बकाया फीस का भुगतान होना है। अधिकांश स्कूलों का 2019-20, 2020-21 और 2021-22 सत्र का बकाया है।
किताब-ड्रेस का भी 1.5 करोड़ से अधिक नहीं मिलानिजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले वंचित वर्ग के बच्चों की फीस भुगतान के साथ ही सरकार प्रति वर्ष प्रत्येक बच्चे को पांच हजार रुपये किताब-कॉपी और यूनिफॉर्म आदि के लिए देती है।
प्रयागराज जिले में पंजीकृत 3031 नौनिहालों को इस मद में मिलने वाली वित्तीय सहायता का भी इंतजार है।
3031 बच्चों का ही पांच हजार रुपये के हिसाब से 1.5 करोड़ से अधिक पड़ता है, जबकि सैकड़ों बच्चों का पुराना भी बकाया है।
प्रदेशभर में यही स्थिति, स्कूलों के बकाया करोड़ों रुपये
पूरे प्रदेश में यही स्थिति बनी हुई है। दो साल से शुल्क प्रतिपूर्ति न होने के कारण स्कूलों का करोड़ों रुपया बकाया है। कुछ जिलों में प्रति छात्र पांच हजार वित्तीय सहायता की राशि पहुंच गई है। लेकिन प्रयागराज समेत तमाम जिलों में अब तक न तो शुल्क प्रतिपूर्ति हुई है और न ही किताब-यूनिफॉर्म का रुपया मिला है।
आरटीई में प्रवेश पाने वाले बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति के संबंध में निजी स्कूलों से प्राप्त मांगपत्र का सत्यापन कराने के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी गई है। बजट मिलते ही स्कूलों को भुगतान की कार्यवाही की जाएगी। -प्रवीण कुमार तिवारी बेसिक शिक्षा अधिकारी
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