क्षेत्रीय बोलियों को सहेजने का काम करेगा बेसिक शिक्षा विभाग
■ भोजपुरी, अवधी, ब्रज आदि बोलियों का बनाएंगे शब्दकोष
■ शिक्षकों के साथ छात्र-छात्राएं भी बोलियों के करीब आएंगे
बेसिक शिक्षा विभाग अब क्षेत्रीय बोलियों को भी सहेजेगा। नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को ध्यान में रखते हुए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने राज्य शिक्षा संस्थान एलनगंज को क्षेत्रीय बोलियों जैसे भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी आदि में शब्दकोष (डिक्शनरी) का विकास करने की जिम्मेदारी दी है। दूसरे क्षेत्र के शिक्षक बच्चों को उनकी बोली में विषय को अच्छी तरह से समझा पाएंगे।
इससे न सिर्फ इन बोलियों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि बेसिक शिक्षा परिषद के 1.50 लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक व छात्र-छात्राएं इनके करीब आएंगे। संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर ने बताया कि क्षेत्रीय बोलियों का शब्दकोष विकसित करने के आदेश मिले हैं। इसके लिए कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमें विषय विशेषज्ञों और बोलियों के जानकारों को आमंत्रित करेंगे।
भाषायी बाधाओं को दूर करने में मिलेगी मदद
क्षेत्रीय बोलियों का शब्दकोष तैयार होने पर भाषायी बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। एनईपी 2020 में भी कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम, घर की भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा रखने पर जोर है। फिर घर या स्थानीय भाषा को जहां भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। जहां शिक्षक-बच्चों की अनुपात दर ज्यादा हो या जहां साक्षरता की दर निम्न हो, वहां स्थानीय शिक्षक या भाषा से परिचित शिक्षकों को नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।
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