बीते साल 2022 में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के कई महत्वपूर्ण काम अधूरे रह गए। आला अधिकारी एक के बाद दूसरा आदेश जारी करते रहे, लेकिन महीनों बाद भी हासिल शून्य रहा। प्रस्तुत है कुछ ऐसे ही काम...।
बीता साल, फाइलों में ही दबे रहे कई महत्वपूर्ण काम, विभाग जमीन में योजनाओं को उतारने में हुए फेल
प्रयागराज : निजी स्कूलों में पढ़ने वाली माता-पिता की एक से अधिक बेटियों की फीस माफी पर भी निर्णय नहीं हो सका। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो अक्तूबर 2021 (गांधी जयंती) को निजी स्कूलों से अपील की थी कि दो बहनें एक साथ पढ़ रही हों तो एक की फीस माफ हो। सीएम ने घोषणा की थी अगर निजी स्कूल ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित विभाग एक छात्रा की फीस का प्रबंध करे। अफसर एक के बाद दूसरा पत्र तो जारी करते रहे, लेकिन अभिभावकों को राहत नहीं मिल सकी।
तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखने पर निर्णय नहीं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी से बाहर किए गए सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के 2090 तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखने पर भी निर्णय नहीं हो सका। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर रखने का प्रस्ताव शासन को चार महीने पहले भेजा गया था।
योग शिक्षकों की नियुक्ति भी अधर में फंसी
प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में योग शिक्षकों की नियुक्ति भी फंसी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने दो प्रस्ताव भेजा था। एक तो संविदा पर योग शिक्षकों को रखा जाए या फिर पहले से कार्यरत शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर प्रोत्साहन राशि देते हुए यह जिम्मेदारी दे दी जाए। हालांकि इस पर भी कोई निर्णय नहीं हो सका।
सैनिक स्कूल की स्थापना अटकी
मंडल स्तर पर सैनिक स्कूलों की स्थापना भी फाइलों तक सिमटी रह गई। राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों को सैनिक स्कूल के रूप में संचालित करने के लिए 22 अगस्त को प्रस्ताव मांगा गया था।
शिक्षक साथी योजना अधर में फंसी
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक स्कूलों और कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में शैक्षिक सहयोगात्मक पर्यवेक्षण प्रदान करने और लर्निंग आउटकम के सापेक्ष बच्चों में सीखने के स्तर में सुधार के लिए शिक्षक साथी का चयन भी नहीं हो सका।
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