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Sunday, January 8, 2023

माता-पिता की देखभाल को मिल सकता है अवकाश, संसदीय समिति ने नए कानून में इसे शामिल करने की सिफारिश की

संसदीय समिति ने बच्चों की देखभाल सहित दूसरे पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन के लिए दिए जाने वाले अवकाशों की तरह सरकारी कर्मचारियों को बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए भी अवकाश देने की सिफारिश की


माता-पिता की देखभाल को मिल सकता है अवकाश


🔴 इन्हें मिलेगी प्राथमिकता

• जिनके माता-पिता 80 वर्ष से ज्यादा के हैं या फिर वह दिव्यांग और गंभीर रूप से बीमार हैं।

• साथ ही ऐसे कर्मचारी जोकि अपने माता- पिता की इकलौती संतान हैं।


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🔵 बुजुर्गों का ख्याल

• सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने नए कानून में इसे शामिल करने की सिफारिश की

• बजट सत्र में लाया जा सकता है संबंधित संशोधन विधेयक समिति ने की हैं कई अहम सिफारिशें

• 12 करोड़ में देश में बुजुगों की के करीब है मौजूदा कुल संख्या

• 18 करोड़ हो जाएगी 2026 तक,  2050 में इसके 33 करोड़ होने का अनुमान



नई दिल्ली : देश में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या के साथ ही उनकी देखभाल का भी एक बड़ा संकट पैदा होने लगा है। खासकर ऐसे परिवार और बुजुर्ग जिनकी सिर्फ एक संतान है, वहां यह संकट और भी गंभीर हो जाता है। फिलहाल बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने बच्चों की देखभाल (चाइल्ड केयर) सहित दूसरे पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन के लिए दिए जाने वाले अवकाशों की तरह सरकारी कर्मचारियों को बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए भी अवकाश देने की सिफारिश की है। समिति ने इसके अलावा भी कई अहम सिफारिशें की हैं।


संसदीय समिति ने बुजुर्ग माता- पिता की देखभाल के लिए अवकाश से जुड़ी यह अहम सिफारिश तब की है, जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय आने वाले बजट सत्र में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण से जुड़े नियमों में बदलाव को लेकर एक नया विधेयक लाने की तैयारी में है।


वर्ष 2007 में बने मौजूदा कानून में बदलाव की पहल वैसे तो वर्ष 2019 में की गई थी और संसद में इसे लेकर उस समय विधेयक भी लाया गया था, मगर बाद में उसे संसदीय समिति को भेज दिया गया था। इस दौरान समिति ने प्रस्तावित विधेयक और बुजुर्गों के जुड़ी मौजूदा समस्याओं को देखते हुए अलग-अलग चरणों में कई सुझाव दिए हैं। 


इनमें जो अहम सुझाव है, उनमें माता-पिता अब सिर्फ अपने जैविक बच्चों से ही गुजारा भत्ता लेने के हकदार नहीं होंगे बल्कि इनमें नाती-पोते, दामाद या फिर ऐसे सगे-संबंधी भी शामिल होंगे जोकि उनकी संपत्ति के दावेदार होंगे। इसके अलावा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सहित सभी अस्पतालों में बुजुर्गों के उपचार की व्यवस्था रखने और सभी जिलों में बुजुर्गों की संख्या के हिसाब से वृद्धाश्रमों का निर्माण करने जैसी सिफारिशें भी की गई हैं। देश में बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी सारी व्यवस्था को सरकार चाकचौबंद कर लेना चाहती है।


हैसियत के हिसाब से ले सकेंगे गुजारा भत्ता

बुजुर्गों की देखभाल से जुड़े नए प्रस्तावित विधेयक के तहत बुजुर्ग को अपने बच्चों से उनकी हैसियत के हिसाब से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार होगा। अभी तक इसकी अधिकतम सीमा दस हजार रुपये ही थी। इसके साथ ही, बच्चों को अब तय होने वाला गुजारा भत्ता हर हाल में उन्हें देना ही होगा। ऐसा न करने पर उन्हें जुर्माना या छह महीने की जेल या दोनों सजा हो सकती हैं। प्रत्येक पुलिस थाने में भी एक सब-इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी बुजुर्गों से जुड़े मामलों को देखने के लिए विशेष रूप से नियुक्त होगा।

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