तीन दिन में गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से हटाएं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अल्टीमेटम
लखनऊ : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के विशेष सचिव को निर्देश दिए हैं कि अगले तीन दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों को वहां से निकाल कर उनके पठन-पाठन की अन्य शिक्षण संस्थानों में व्यवस्था की जाए।
आयोग इससे पहले पिछले साल आठ दिसम्बर को इस बारे में विस्तृत संस्तुति जारी कर चुका है। इस बारे में आठ दिसम्बर को प्रदेश के मुख्य सचिव को आयोग ने पत्र भी भेजा था, जिसे हिन्दुस्तान ने प्रकाशित किया था। 20 जनवरी को आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के विशेष सचिव को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया कि सात दिसम्बर 2022 को जारी आयोग के निर्देशों का अनुपालन कर तीन दिन में अवगत करवाएं।
मदरसा टीचर्स एसो. बाल आयोग से नाराज
मदरसा शिक्षकों के संगठन आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस -ए-अरबिया ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकाले जाने के बाबत दिए गए निर्देश पर सख्त नाराजगी जतायी है। एसोसिएशन के महासचिव वहीदुल्लाह खान ने कहा कि यह पत्र भ्रामक और छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व मदरसा बोर्ड में रार
आयोग ने मदरसा बोर्ड के निर्णय को बताया मूर्खतापूर्ण
गैर मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले मदरसों की जांच की हुई थी सिफारिश
लखनऊ : प्रदेश के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों की शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड में ठन गई है। मदरसा बोर्ड ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की उस सिफारिश को बुधवार को खारिज कर दिया था, जिसमें आयोग ने ऐसे सभी मदरसों की जांच के लिए कहा था जो कि गैर मुस्लिम बच्चों को दाखिला देते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब यूपी मदरसा बोर्ड के इस निर्णय को मूर्खतापूर्ण बताया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर स्कूल भेजने का काम आयोग कानूनी दायरे में करेगा ।
दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आठ दिसंबर को सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर उनको ऐसे सभी मदरसों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए थे, जिसमें गैर - मुस्लिम बच्चे जहां पढ़ रहे हैं। इसके साथ पत्र में कहा गया था कि गैर मुस्लिम बच्चों का दाखिला स्कूलों में कराया जाए। उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने आयोग से अपने पत्र पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।
मदरसा बोर्ड ने बुधवार को बैठक में बाल संरक्षण आयोग की सिफारिश को खारिज कर दिया था। मदरसा बोर्ड के इस निर्णय पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने काफी नाराजगी जताई है। उन्होंने ट्वीट किया... मदरसे प्राथमिक रूप से इस्लामिक धार्मिक शिक्षा सिखाते हैं, हिंदू या दूसरे गैर इस्लामिक बच्चों का वहां कोई काम नहीं है।
मदरसा शिक्षा परिषद ने खारिज की बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिश
गैर मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले मदरसों की जांच की सिफारिश का प्रकरण
लखनऊ : उप्र मदरसा शिक्षा परिषद ने बुधवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की उस सिफारिश को खारिज कर दिया जिसमें आयोग ने ऐसे सभी मदरसों की जांच के लिए कहा था जो गैर मुस्लिम बच्चों को दाखिला देते हैं। मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों का प्रवेश अन्य विद्यालयों में कराए जाने की भी सिफारिश आयोग ने की थी। आयोग ने यह पत्र सभी राज्यों को भेजा था। आयोग की इन्हीं सिफारिशों को मदरसा बोर्ड ने मानने से इन्कार कर दिया है।
मदरसा बोर्ड ने बुधवार को बैठक कर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए इसमें तय हुआ कि बेसिक शिक्षा की तर्ज पर मदरसा शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। यह भी तय हुआ कि उप्र अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा, मान्यता, प्रशासन एवं सेवा विनियमावली 2016 के संशोधन के संबंध में हित धारकों से पिछले दिनों लिए गए सुझाव समाहित करते हुए संशोधित प्रस्ताव शासन को भेजा जाए।
अनुदानित मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा ड्रेस वितरण में आ रही कठिनाइयों को दूर करने का निर्णय हुआ। बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने अधिकारियों से कहा कि जो भी दिक्कतें हैं उन्हें हर हाल में दूर किया जाए। बोर्ड ने बुधवार को अपने उस निर्णय को भी वापस लिया जिसमें अनुदानित मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध कराना था। पूर्व की भांति इस वर्ष भी बेसिक शिक्षा विभाग की पुस्तकें ही मदरसों में उपलब्ध कराई जाएंगी।
मदरसा बोर्ड ने बेसिक शिक्षा की तर्ज पर चरणबद्ध तरीके से एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है। बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि मदरसा बोर्ड काफी पहले ही एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर चुका है, किंतु किताबों की उपलब्धता न होने के कारण दिक्कत आ रही थी। अब तय हुआ है कि बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में जिस प्रकार चरणबद्ध तरीके से एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा उसी तरह मदरसों में भी इसे लागू किया जाएगा। इससे किताबें मदरसों को भी मिल जाएंगी।
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