पांच साल में आवेदन दोगुने, 3 साल से फीस प्रतिपूर्ति शून्य, आरटीई के तहत फीस प्रतिपूर्ति न होने से स्कूल संचालकों में नाराजगी
लखनऊ : आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश के लिए आवेदन का आंकड़ा पिछले पांच सालों में दोगुना पहुंच गया है। शुरुआती दो साल छोड़ दें तो पिछले तीन साल से सरकार ने निजी स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति के रूप में एक रुपये भी नहीं दिया है। इसे लेकर निजी स्कूल संचालकों में गहरा आक्रोश है। ऐसे में इस बार के दाखिलों में अभिभावक, स्कूल और सरकार के बीच खींचतान बढ़ने की आशंका है।
दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को उनकी पसंद के निजी स्कूल में दाखिला देने की मंशा से लागू निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत दाखिले का ग्राफ हर साल बढ़ता जा रहा है।
आरटीई के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर बाकी सभी स्कूलों को उनके यहां की 25 फीसदी सीटों पर दुर्बल आय वर्ग के बच्चे को निशुल्क दाखिला देना होता है। दाखिले के बाद फीस प्रतिपूर्ति राज्य सरकार को करनी होती है। निजी स्कूल में निशुल्क दाखिले के लिए अभिभावकों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। बीएसए आवेदनों की जांच करने के बाद सत्यापित करता है कि बच्चा दाखिले के लिए अर्ह है या नहीं। इसके बाद लॉटरी के द्वारा बच्चों को स्कूलों का आवंटन होता है।
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