बच्चों, महिलाओं का कुपोषण दूर करने में सरकार नाकाम : हाईकोर्ट, महिला एवं बाल कल्याण विभाग से मांगा जवाब, संचालित योजनाओं के साथ ही देनी होगी रिक्त पदों की जानकारी
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में कुपोषण के बढ़ते मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि बच्चों व महिलाओं को कुपोषण मुक्त बनाने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। सरकार के स्तर से चल रही योजनाओं का प्रबंधन व संचालन उचित तरीके से नहीं हो पा रहा है। कोर्ट ने मामले में अपर मुख्य सचिव महिला व बाल कल्याण से जवाब-तलब किया है।
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने अपर मुख्य सचिव को विभागीय स्तर पर महिलाओं व बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए संचालित योजनाओं के साथ ही इनके क्रियान्वयन में आने वाले मानव संसाधनों की कमी के बारे में भी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया है। याची ने कोर्ट को बताया कि विभाग में करीब 5000 कर्मियों के स्वीकृत पदों में से 52 फीसदी खाली हैं। इसी कारण कुपोषण की समस्या दूर नहीं हो पा रही है।
कोर्ट ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग को छह हफ्ते में जवाबी हलफ नामा दाखिल करने व इसके बाद दो सप्ताह में इसका प्रति उत्तर देने का समय याचिकाकर्ता को देते हुए इसे सूचीबद्ध करने का आदेश भी दिया।
निचले तबके को नहीं मिल रहा लाभ : याचिकाकर्ता का कहना था कि सर्वाधिक कुपोषित बच्चे यूपी में हैं। महिलाएं भी काफी संख्या में कुपोषण से ग्रस्त हैं। इनको लेकर राज्य सरकार पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। हालांकि इस परेशानी को दूर कराने के लिए सरकार कई लाभकारी योजनाएं चला रही है, लेकिन मानव संसाधन की कमी के कारण इनका वास्तविक लाभ निचले तबके को नहीं मिल पा रहा है।
चल रहे कई कार्यक्रम
कुपोषण दूर करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा प्रदेश में समन्वित बाल विकास सेवा योजना के तहत कई कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। इनमें गर्भवती, धात्री महिलाओं के साथ 1 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों के पोषण का ख्याल रखा जा रहा है।
■ अनुपूरक पोषाहार का वितरण
■ स्वास्थ्य प्रतिरक्षण कार्यक्रम (टीकाकरण) स्वास्थ्य की नियमित जांच
■ पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम स्कूल पूर्व शिक्षा कार्यक्रम ■ निर्देशन एवं संदर्भ सेवा कार्यक्रम
■ महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम
■मिशन पोषण अभियान पोषण ट्रैकर कार्यक्रम
■ मिशन वात्सल्य कार्यक्रम
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