उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रकरणों के निस्तारण में लापरवाही पर शासन खफा, तय किया प्रकरणों के निस्तारण का उत्तरदायित्व
लखनऊ। उच्च शिक्षा निदेशालय स्तर से निस्तारित किए जाने वाले प्रकरणों में लापरवाही और लेटलतीफी सामने आई है। इस पर शासन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पेंशन, जीपीएफ, वेतन निर्धारण, मृतक आश्रित, अनुमोदन, वेतन भुगतान, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अनापत्ति प्रमाण पत्र, अवकाश स्वीकृति के लिए संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों का उत्तरदायित्व तय कर दिया है।
शासन के संज्ञान में आया है कि निदेशालय स्तर पर इस सभी प्रकरणों के निस्तारण में काफी देरी होती है। साथ ही इनसे संबंधित निर्णयों व निस्तारण में पारदर्शिता व सही न्याय भी नहीं मिलता है। प्रकरण के निस्तारण के बाद इसकी सूचना संबंधित को नहीं मिलती है। इसकी वजह से न्यायालय में भी कई वाद चले जाते हैं।
इन्हीं सब प्रकरणों को देखते हुए यह निर्देश दिया गया है कि इसके निस्तारण के बाद उसकी एक प्रति विभाग की वेबसाइट पर उसी दिन अपलोड की जाए। साथ ही संबंधित कॉलेज व क्षेत्रीय कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर भी भेजी जाए। कुछ प्रकरणों के निस्तारण के लिए अधिकतम दो सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की गई है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा डॉ. सुधीर एम बोबडे ने निदेशक उच्च शिक्षा, प्रयागराज को निर्देश दिया है कि इनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि उक्त निर्देशों के अनुपालन के निरीक्षण का दायित्व संबंधित सहायक / संयुक्त निदेशक का होगा।
शासन ने तय की उच्च शिक्षा निदेशालय की जवाबदेही
लखनऊ : प्रयागराज स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय के स्तर से निस्तारित होने वाले मामलों में अत्यधिक विलंब की शिकायतों को देखते हुए शासन ने कार्यप्रणाली में बदलाव करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा सुधीर एम. बोबड़े ने इस संबंध में निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है निदेशालय स्तर से प्रकरणों के निस्तारण में अत्यधिक विलंब होने की शिकायतें मिल रही हैं। इसके साथ ही प्रकरण में निर्णय या निस्तारण की सूचना भी संबंधित व्यक्तियों को नहीं प्राप्त होती है। इस कार्यप्रणाली से न्यायालय में अनेक मुकदमे भी दाखिल हो रहे हैं।
प्रमुख सचिव ने कहा है कि संबंधित पटल सहायक द्वारा प्रकरण पर आनलाइन कंप्यूटर क्रमांक दर्ज होने के बाद ही अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया जाए। यह क्रमांक अंकित किए बिना किसी प्रकरण को निस्तारित न करें।
No comments:
Write comments