पांच साल बाद निजी स्कूलों को आरटीई अन्तर्गत प्रवेश के लिए मिलेगी शुल्क प्रतिपूर्ति
लखनऊ। राजधानी के निजी स्कूलों को पांच वर्षाें बाद आरटीई की सीटों की शुल्क प्रतिपूर्ति मिलने जा रही है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को हाल ही में वर्ष 2017 से लंबित मांगपत्र के सापेक्ष 29 करोड़ रुपये की शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि आवंटित हो गई है। इसे सत्यापन के बाद जिले के 806 स्कूलों को बांटा जाएगा।
यह जानकारी देते हुए बीएसए अरुण कुमार ने बताया कि इन स्कूलों की करीब 33 हजार सीटों पर आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जा रहा है। आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति न होने से निजी स्कूलों का इस व्यवस्था से मोहभंग होता जा रहा था। इसके चलते आरटीई के तहत आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश कराना अधिकारियों के लिए कठिन हो गया था। मांग के सापेक्ष करीब 67 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की धनराशि जिले में पहुंचने से निजी स्कूलों ने राहत की सांस ली है।
लॉटरी से पहले धनराशि पहुंचने से राहत
यह जानकारी देते हुए बीएसए अरुण कुमार ने बताया कि इन स्कूलों की करीब 33 हजार सीटों पर आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जा रहा है। आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति न होने से निजी स्कूलों का इस व्यवस्था से मोहभंग होता जा रहा था। इसके चलते आरटीई के तहत आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश कराना अधिकारियों के लिए कठिन हो गया था। मांग के सापेक्ष करीब 67 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की धनराशि जिले में पहुंचने से निजी स्कूलों ने राहत की सांस ली है।
लॉटरी से पहले धनराशि पहुंचने से राहत
जानकारी के मुताबिक, आगामी 15 मार्च को आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों के लिए पहली लॉटरी होने जा रही है। ऐसे समय में प्रतिपूर्ति धनराशि आने से अधिकारियों ने राहत की सांस ली है।
इस बार आए 10309 आवेदन
इस बार आए 10309 आवेदन
पहले चरण के लिए इस बार 2050 निजी स्कूलों की सीटों पर 10309 आवेदन आए हैं। इनका 13 मार्च तक सत्यापन किया जाएगा।15 मार्च को लॉटरी होगी। इसके बाद दो अन्य चरणों में लॉटरी के लिए आवेदन आएंगे। वहीं, पिछले पांच वर्षाें के आवेदनों की संख्या में दोगुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 में 4810 प्रवेश हुए। वर्ष 2019- 20 में यह संख्या 4680, 2020-21 में 6358, 2021-22 में 6387 और 2022-23 में 8020 पहुंच गई।
प्रतिपूर्ति राशि ऊंट के मुंह में जीरा
यह शुल्क प्रतिपूर्ति ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है। जिले के स्कूलों का 43 करोड़ रुपये पांच साल से बकाया है। पांच साल बाद 29 करोड़ मिला है। हमलोग लगातार यह मांग कर रहे हैं कि प्रतिपूर्ति की राशि न्यायालय के निर्णय के अनुसार दी जाए। नियमानुसार व समय से शुल्क प्रतिपूर्ति न देने से निजी स्कूलों का मोहभंग हो रहा है। - अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
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