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Sunday, April 30, 2023

अब लाभार्थियों की वास्तविक संख्या के आधार पर तैयार होगी पोषाहार की मांग, डीएम की संस्तुति के बाद ही जारी होंगे पोषाहार के आपूर्ति आदेश

अब लाभार्थियों की वास्तविक संख्या के आधार पर तैयार होगी पोषाहार की मांग

अब डीएम की संस्तुति के बाद ही जारी होंगे पोषाहार के आपूर्ति आदेश


लखनऊ। खुले बाजार में पोषाहार की बिक्री किए जाने के तमाम मामलों के सामने आने के बाद बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग पोषाहार वितरण की व्यवस्था फूलप्रूफ बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत तय किया गया है कि लाभार्थियों की वास्तविक संख्या के आधार पर आपूर्ति आदेश जारी किया जाएगा।


 यह भी तय हुआ है कि निदेशालय द्वारा आपूर्ति आदेश तभी जारी होगा, जब संबंधित जिले के डीएम के स्तर से आपूर्ति की मांग का सत्यापन व अनुमोदन किया जाएगा। पोषाहार आपूर्ति की व्यवस्था में बदलाव के बाद जरूरत से ज्यादा पोषाहार की आपूर्ति दिखाकर हो रहे घालमेल पर लगाम लगेगा।


दरअसल बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग इन दिनों काफी दिनों से पोषाहार आपूर्ति व्यवस्था में गड़बड़ी को लेकर सूर्खियों में रहा है। इसके मद्देनजर ही सरकार ने आपूर्ति व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का निर्देश दिया है। 


इसके तहत विभाग ने तय किया है कि लाभार्थियों ( 6 माह से 6 साल के बच्चे और गर्भवती व धात्री माताओं) की वास्तविक संख्या के आधार पर आपूर्ति आदेश (डीआई) जारी की जाएगी। 

आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध कराएं सभी अवस्थापना सुविधाएं : सीएम योगी

आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध कराएं सभी अवस्थापना सुविधाएं : सीएम योगी


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में अवस्थापना सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अधिकारियों को बिजली, पेयजल, शौचालय और रसोई घर में सिंक के साथ नल से जलापूर्ति जैसी व्यवस्था करने में लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए हैं। जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाली गर्भवती महिलाओं, बच्चों समेत अन्य लाभार्थियों को कोई दिक्कत न होने पाए।


 गौरतलब है कि इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी केंद्रों की अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर बनाने और उसे मॉडल केंद्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। इसी कड़ी में विभाग ने प्रथम चरण में आठ आकांक्षात्मक जिलों में स्थित 2,349 आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन करने की कार्ययोजना तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई थी। इसके लिए धनराशि मंजूर कर दी गई है। वहीं, दूसरे चरण में 38,120 आंगनबाड़ी केंद्रों का उन्नयन करने के लिए भी कार्ययोजना केंद्र सरकार को भेजी गई है। उम्मीद है इसके लिए जल्द ही धनराशि जारी की जाएगी। इसके बाद काम शुरू करा दिया जाएगा। 

Saturday, April 29, 2023

सेवानिवृत्ति का विकल्प देने वाले शिक्षक को पहले ही वीआरएस लेने पर ग्रेच्युटी पाने का हक, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नौ फीसदी ब्याज समेत ग्रेच्युटी के भुगतान का दिया निर्देश

सेवानिवृत्ति का विकल्प देने वाले शिक्षक को पहले ही वीआरएस लेने पर ग्रेच्युटी पाने का हक, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नौ फीसदी ब्याज समेत ग्रेच्युटी के भुगतान का दिया निर्देश


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प देने वाले 50 वर्ष की आयु में 27 साल, नौ माह 28 दिन की सेवा के बाद वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने वाले शिक्षक को नौ फीसदी ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया है।


कोर्ट ने कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर 29 अगस्त 1981 का शासनादेश लागू नहीं होगा। कोर्ट ने ग्रेच्युटी का भुगतान करने का हकदार न मानने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ग्रेच्युटी का भुगतान पहले से मिल रही पेंशन के अतिरिक्त होगा।


यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने डॉ. अशोक कुमार तोमर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। मामले में याची की 1982 में लेक्चरर पद पर नियुक्ति की गई और अक्तूबर 2002 में प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त हुआ। 2009 में याची ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी दी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। उसे सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 


कोर्ट ने संयुक्त शिक्षा निदेशक सहारनपुर को निर्णय लेने का निर्देश दिया। उन्होंने नौ दिसंबर 2010 को पेंशन का आदेश दिया किंतु ग्रेच्युटी का हकदार नहीं माना। कहा कि याची ने 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा था। ग्रेच्युटी भुगतान एक्ट के अंतर्गत इस आदेश को लेकर नियंत्रक प्राधिकारी के समक्ष वाद दायर किया। छह सितंबर 2013 को नियंत्रक प्राधिकारी ने छह लाख 46 हजार 041 रुपये ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया। जिसके खिलाफ अपील मंजूर करते हुए आदेश रद्द कर दिया गया। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।


याची के अधिवक्ता का कहना था कि कानून की गलत व्याख्या की गई है और शासनादेश याची के मामले में लागू नहीं होगा। कोर्ट ने याची को ग्रेच्युटी पाने का हकदार माना और गणना कर मय ब्याज भुगतान का निर्देश दिया है।


कोर्ट आर्डर 👇


उत्तर प्रदेश शैक्षिक सेवा समूह ख उच्चतर के पदों के विवरण के संबन्ध में मांगी गई सूचना

उत्तर प्रदेश शैक्षिक सेवा समूह ख उच्चतर के पदों के विवरण के संबन्ध में मांगी गई सूचना 



वीडियो कॉल के जरिए निरीक्षण आदेश को RSM ने बताया शिक्षकों को अपमानित करने वाला, की वापसी की मांग

वीडियो कॉल के जरिए निरीक्षण आदेश को RSM ने बताया शिक्षकों को अपमानित करने वाला, की वापसी की मांग


महानिदेशक स्कूल शिक्षा को सौंपा ज्ञापन, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व बेसिक शिक्षा मंत्री को भी भेजा ज्ञापन

आदेश निरस्त न होने पर निजी संसाधनों से किए जाने वाले समस्त ऑनलाइन विभागीय कार्यों के बहिष्कार की चेतावनी


 लखनऊ। 28 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह के नेतृत्व में महानिदेशक स्कूल शिक्षा से मिला व मूल्यांकन प्रकोष्ठ द्वारा वीडियो कॉल से विद्यालयों के निरीक्षण का कड़ा विरोध किया।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महानिदेशक, स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक लखनऊ के कार्यालय आदेश पत्रांक 2244-2544 / 2023-24 दिनांक 24 अप्रैल 2023 के द्वारा प्रतिदिन 10 परिषदीय विद्यालयों का ऑनलाइन निरीक्षण (वीडियोकॉल/वायस कॉल) जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान में मूल्यांकन प्रकोष्ठ के गठित करके किया जाना है। उक्त आदेश के कारण बेसिक शिक्षा परिषद का शिक्षक स्वयं को अपमानित महसूस करता है, क्योंकि कार्यालय महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा जारी आदेश के क्रम में प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों का स्थलीय निरीक्षण जुलाई 2022 से जनपद स्तरीय टास्क फोर्स के द्वारा निरन्तर अब तक किया जा रहा है, निरीक्षण में अनुपस्थित शिक्षकों की सूची को डिफाल्टर शिक्षक सूची के नाम से महानिदेशक कार्यालय से जारी किया जाना शिक्षक की गरिमा को कंलकित करने का कार्य है तथा महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय से जारी वीडियो/ऑडियो कालिंग के माध्यम से ऑनलाइन निरीक्षण का नवीनतम आदेश शिक्षकों की विश्वसनीयता को समाज में संदिग्ध व कामचोर सिद्ध करने की कुत्सित मानसिकता से जारी किया गया है,जिसका राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश घोर निन्दा करता है। वीडियो कॉल से शिक्षिकाओं की निजता का हनन व सुरक्षा प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

     प्रदेश मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी का बेसिक शिक्षा के प्रति विशिष्ट दृष्टिकोण है, जिसको पूर्ण करने के लिए शिक्षक अपने विद्यालयों का कायाकल्प से लेकर निपुण प्रदेश बनाने तक पूर्ण समर्पित भाव से कार्य कर रहा है। किन्तु विभागीय अधिकारियों द्वारा शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं यथा पदोन्नति/नियुक्ति, अन्तः व अन्तर जनपदीय स्थानान्तरण आदि तथा विभागीय विफलताओं से ध्यान हटाने की नीयत से नित नए आदेश जारी करके शिक्षकों को अपमानित करके मनोबल गिराने का कार्य किया जा रहा है। जबकि डीबीटी, यूडायस प्लस, प्रेरणा डीसीएफ, छात्र रजिस्ट्रेशन,दीक्षा प्रशिक्षण, दीक्षा ऐप,सरल ऐय,समर्थ ऐप, रीड एलांग ऐप, निपुण लक्ष्य ऐप, शारदा ऐप, स्विफ्ट चैट, गूगल मीट,यू ट्यूब सेशन आदि के साथ साथ परिवार सर्वेक्षण जैसे अत्यन्त जटिल कार्यों को बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश बिना कोई संसाधन उपलब्ध कराये जबरन शिक्षकों से करा रहा है। जिसके मूल में बेसिक शिक्षा विभाग में संचालित ऑनलाइन व्यवस्था/विभिन्न ऐप के इंस्टालेशन व डाटा व्यय पर हितसाधक समूह की अवैध कमाई है तथा शिक्षा में गुणवत्ता व नवाचार के नाम पर लागू ऑनलाइन व्यवस्था शिक्षक को सृजनात्मकता से विरत करके भय का वातावरण बनाकर लिपिक बनाने तथा बेसिक शिक्षा /शिक्षक को निरीक्षण के नाम पर दुष्प्रचार व बदनाम करने की गहरी साजिश प्रतीत हो रही है।

      प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शिक्षकों की गरिमा व शिक्षिकाओं की सुरक्षा तथा  समाज में शिक्षक का विशिष्ट स्थान होने के दृष्टिगत ऑनलाइन निरीक्षण (वीडियो कॉल/वायस कॉल) आदेश को तत्काल रद्द किया जाए तथा परिवार सर्वेक्षण जैसे तकनीकी रूप से जटिल  कार्य को बिना संसाधन उपलब्ध कराये शिक्षकों पर अनुचित दबाव डालकर विभागीय अधिकारियों द्वारा जबरन कराया जाना स्थगित किया जाये। अन्यथा की स्थिति में संगठन जनपद के शिक्षकों का आह्वान करेगा कि वे अपने व्यक्तिगत मोबाइल/ टैबलेट अथवा लैपटाप से कोई भी ऑनलाइन विभागीय कार्य न करें तथा बेसिक शिक्षा विभाग के सोशल प्लेटफार्मों का सम्पूर्णं बहिष्कार करेगा।




कॉल और वीडियो कॉल के जरिए शिक्षकों की निगरानी को गरिमा के विपरीत बताते हुए VBTC शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की आदेश को वापस लेने की मांग

कॉल और वीडियो कॉल के जरिए शिक्षकों की निगरानी को गरिमा के विपरीत बताते हुए VBTC शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की आदेश को वापस लेने की मांग





मूल्याकंन प्रकोष्ठ के जरिए मूल्यांकन को शिक्षकों के सम्मान का हनन करना बताते हुए PSPSA ने की आदेश को वापस लेने की मांग

मूल्याकंन प्रकोष्ठ के जरिए मूल्यांकन को शिक्षकों के सम्मान का हनन करना बताते हुए PSPSA ने की आदेश को वापस लेने की मांग।
 


नियम रद्द होने पर सेवा का दावा नहीं कर सकते शिक्षक –सुप्रीम कोर्ट

नियम रद्द होने पर सेवा का दावा नहीं कर सकते शिक्षक –सुप्रीम कोर्ट 


उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार को राहत देते हुए एक फैसले में कहा है कि शिक्षकों की भर्ती के नियम बदल जाने पर पुराने नियमों को वैध नहीं माना जा सकता। भर्ती नए नियमों के तहत ही की जाएगी।


यह कहते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया, जिसमें यूपी के मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक इंटर कॉलेजों में शिक्षकों को असंशोधित यूपी इंटरमीडिएट कॉलेज ऐक्ट- 1921 के तहत की गई भर्ती को सही ठहराया गया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नियमों का मतलब है मौजूदा नियम यानी नए नियम, यह नहीं कि पुराने नियम जो मौजूद ही नहीं हैं।


मामले के अनुसार, अल्संख्यक कॉलेजों में सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई थी और उसे मंजूरी के लिए जिला स्कूल निरीक्षक को भेजा गया। लेकिन निरीक्षक ने मामले को वापस कर दिया और कहा कि कानून की धारा-16 एफएफ (4) में मार्च 2018 में संशोधन हो गया है। इसलिए नए कानून के अनुसार भर्ती करें।

Friday, April 28, 2023

फीस लौटाने का आदेश न मानने वाले स्कूलों पर सख्ती के संकेत

फीस लौटाने का आदेश न मानने वाले स्कूलों पर सख्ती के संकेत

100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद से निजी स्कूल प्रबंधकों में मची खलबली

लखनऊ : कोरोना काल में स्कूलों में वसूली गई फीस को वापस करने के हाईकोर्ट के सख्त फैसले के बाद भी प्रदेश भर के हजारों स्कूलों ने अब तक फीस की वापसी या समायोजन नहीं किया है। नोएडा के डीएम ने जब इस मामले में वहां के स्कूलों पर अर्थदण्ड लगाया तो पूरे प्रदेश में यह मामला एक बार फिर से गरम हो गया है।


सरकार ने भी इस मुद्दे पर जारी शासनादेश का हवाला देते हुए कार्रवाई करने के स़ंकेत दिए हैं। बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में शासन की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किए जा चुके हैं। इसे सभी स्कूलों को मानना ही होगा अन्यथा कार्रवाई होगी। बताया जाता है कि शासनादेश के बाद कुछ ही स्कूलों ने कोरोना काल में ली गई ज्यादा फीस को अब तक वापस या समायोजित किया है।


सरकार ने कोर्ट के आदेश के तत्काल बाद ही सभी स्कूलों के लिए कोर्ट के आदेश के अनुसार कदम उठाने के लिए बकायदा शासनादेश जारी कर दिया था। उस निर्देश में यह भी व्यवस्था दी थी कि जो स्कूल फीस वापस नहीं करेंगे उनके खिलाफ अभिभावक जिला व मण्डल स्तरीय अपीलीय संगठन में जा सकते हैं। शासनादेश में कहा गया है कि प्रदेश में संचालित समस्त बोर्डों के सभी विद्यालयों द्वारा निर्धारित शुल्क दरों के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2020-21 में लिए गए शुल्क की 15 प्रतिशत राशि को वर्तमान शैक्षिक सत्र में समायोजित किया जाए।


100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद से निजी स्कूल प्रबंधकों में मची खलबली

कोरोना काल की 15 फीस वापसी या समायोजन नहीं कर रहे निजी स्कूल, नहीं मान रहे कोर्ट का आदेश

16 फरवरी को शासन ने निर्देश जारी किये थे, डीएम व डीआईओएस भी स्कूलों को आदेश कर चुके हैं

● हाईकोर्ट का आदेश नहीं मान रहे निजी स्कूल
● स्कूल प्रबंधक बोले, उन्होंने पहले ही माफ कर दी फीस

लखनऊ के निजी स्कूल कोरोना काल में ली गई फीस का 15 फीसदी अभिभावकों न लौटा रहे हैं न ही यह धनराशि बच्चों की अगली कक्षा में समायोजित कर रहे हैं। तीन माह पहले जनवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सत्र 2020-21 के बच्चों की फीस वापसी व समायोजन के आदेश को लखनऊ के निजी स्कूल प्रबंधक नहीं मान रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के लिए शासन, डीएम और डीआईओएस भी इन स्कूलों को निर्देश जारी कर चुके हैं। इसके बावजूद इन स्कूलों पर कोई असर नहीं है।

बुधवार को नोयडा व ग्रेटर नोयडा डीएम द्वारा फीस वापसी व समायोजित न करने पर 100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद से लखनऊ के स्कूल प्रबंधकों में खलबली मची है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छह जनवरी को एक याचिका पर सुनवायी के बाद कोरोना काल व लॉकडाउन में स्कूलों द्वारा सत्र 2020-21 में ली गई फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा की फीस में समायोजित करने का आदेश दिया था। साथ ही स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को 15 फीसदी फीस लौटाने के आदेश दिये थे।


अभिभावक संघ का पक्ष

नोयडा की तरह लखनऊ के डीएम को भी स्कूलों पर सख्ती करनी चाहिए। हाईकोर्ट का आदेश न मानने वाले स्कूलों पर जुर्माना लगाना चाहिए। फीस वापसी और समायोजन के मुद्दे पर डीएम से मिलकर वार्ता करेंगे।
प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ


डीआईओएस ने एक दिन में मांगा ब्योरा

डीआईओएस राकेश कुमार पाण्डेय ने गुरुवार को लखनऊ के सभी बोर्ड के निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर 15 फीसदी समायोजित करने व वापसी का शुक्रवार तक ब्योरा मांगा है। स्कूलों को भेजे प्रारूप में सत्र 2020-21 में पंजीकृत छात्रों की संख्या, कितने बच्चों की फीस अगली कक्षा में समायोजित की व कितने की लौटायी है और धनराशि का ब्योरा मांगा है।


कोर्ट का आदेश न मानने पर कार्रवाई होगी – डीएम

डीएम सूर्यपाल गंगवार ने कहा कि डीआईओएस से 2020-21 सत्र में स्कूलों द्वारा ली गई फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा में समायोजित करने व लौटाने की रिपोर्ट तीन दिन में मांगी है। कोर्ट के आदेश का पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होगी।


दो मिशनरी स्कूलों में फीस का समायोजन शुरू

लामार्टीनियर ब्वॉयज कॉलेज ने कोरोना काल में ली गई फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा में समायोजन शुरू किया है। वहीं स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की फीस लौटायी है। हजरतगंज स्थित कैथेड्रल सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल ने भी 15 फीसदी फीस समायोजित व वापसी की कार्रवाई शुरू कर दी है।



अभिभावकों को वापस मिलेगी 15 फीसदी फीस, कोरोना काल के दौरान लिए गए शुल्क में मिलेगी राहत, जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी प्रधानाचार्यों को जारी किया पत्र

प्रयागराज : कोविड संक्रमण के दौरान सभी बोर्ड के स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2020-21 में लिए गए शुल्क का 15 फीसदी अभिभावकों को वापस मिलेगा। हाईकोर्ट के छह जनवरी 2023 के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर 15 प्रतिशत फीस वर्तमान सत्र 2023-24 में समायोजित करने और जो बच्चे स्कूल छोड़कर जा चुके हैं उनको उक्त धनराशि वापस करने के निर्देश दिए हैं।

शासन के विशेष सचिव ने 16 फरवरी सभी जिलाधिकारियों, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर फीस वापसी सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए थे। निर्देशों का अनुपालन न करने पर यदि कोई छात्र या अध्यापक शिकायत करता है तो उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 के तहत जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत रखते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने 21 अप्रैल को सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर हाईकोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट एक सप्ताह में मांगी है।


एक बच्चे की नौ हजार तक फीस वापस होगी

प्रयागराज। हाईकोर्ट के आदेश पर कोरोना काल में ली गई फीस में से 15 प्रतिशत वापस करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वैसे तो प्रत्येक स्कूल का अलग फीस ढांचा है लेकिन शहर के बड़े निजी स्कूलों की बात करें तो एक बच्चे की औसतन नौ हजार तक फीस वापस मिलने की उम्मीद है। उदाहरण के तौर पर सेंट मेरीज कान्वेंट स्कूल में यदि कोई छात्रा 2020-21 सत्र में कक्षा सात में थी तो उसकी फीस 44520 रुपये ली गई थी। इसका 15 प्रतिशत यानि 6678 रुपये वापस होगा। इसी प्रकार सेंट जोसेफ कॉलेज में 2020-21 सत्र में कक्षा 11 या 12 पीसीएम (कम्प्यूटर) के छात्र से 61010 रुपये सालाना फीस ली गई थी। इसका 15 प्रतिशत 9151 रुपये वापस मिलेंगे।


निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में की याचिका

प्रयागराज : 2020-21 सत्र में ली गई फीस का 15 प्रतिशत वापस करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की है। हाईकोर्ट के छह जनवरी के आदेश के खिलाफ स्कूल संचालकों ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पुनर्विचार याचिका भी खारिज होने के बाद स्कूल संचालकों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। हालांकि कानूनी लड़ाई को लेकर अभी कोई स्कूल संचालक कुछ बोलने को तैयार नहीं है।




हाईकोर्ट और शासन के आदेश के क्रम में फीस वापसी के लिए सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई अभिभावक संतुष्ट नहीं है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

पीएन सिंह, डीआईओएस

Thursday, April 27, 2023

शिक्षिकाओं / बालिकाओं की निजता के उल्लंघन की संभावना के दृष्टिगत वीडियो कॉल से वार्ता का आदेश निरस्त करने हेतु महिला शिक्षक संघ का पत्र

शिक्षिकाओं / बालिकाओं की निजता के उल्लंघन की संभावना के दृष्टिगत वीडियो कॉल से वार्ता का आदेश निरस्त करने हेतु महिला शिक्षक संघ का पत्र



हाईकोर्ट और शासन के आदेश के बावजूद फीस नहीं लौटाई, सौ निजी स्कूलों पर एक-एक लाख जुर्माना, हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने पर गौतमबुद्धनगर के डीआइओएस ने चलाया चाबुक

उदाहरण : हाईकोर्ट और शासन के आदेश के बावजूद फीस नहीं लौटाई, इस जनपद के सौ निजी स्कूलों पर एक-एक लाख जुर्माना


हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने पर गौतमबुद्धनगर के डीआइओएस ने स्कूलों पर की कार्रवाई

10 दिनों में राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त पांच लाख का अर्थदंड भी



ग्रेटर नोएडा: कोरोना काल के दौरान सत्र 2020-21 में अभिभावकों से ली गई फीस का 15 प्रतिशत वापस करने के हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन ने 100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि 10 दिनों के अंदर जमा नहीं करने वाले स्कूलों पर अतिरिक्त पांच लाख का अर्थदंड लगाया जाएगा।


जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक में डीएम मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में यह फैसला लिया गया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में संचालित करीब 225 में से 100 से अधिक स्कूलों पर कार्रवाई हुई है। वहीं 81 से अधिक स्कूलों की ओर से डीआइओएस डा. धर्मवीर को फीस समायोजित या वापस करने की सूचना दी गई है। 


डीआइओएस ने बताया कि हाईकोर्ट ने छह जनवरी को स्कूलों को वर्तमान शैक्षिक सत्र में 15 प्रतिशत फीस समायोजित या वापस करने के निर्देश दिये थे। सरकार की ओर से भी 16 फरवरी को फीस समायोजित करने का निर्देश दिया गया था। 25 फरवरी को जिले स्तर से भी सभी स्कूलों को नोटिस जारी किए गए। कुछ स्कूलों को छोड़कर अन्य स्कूलों की ओर से फीस समायोजित नहीं की गई। इसके साथ ही हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना की जा रही थी।


 लगातार नोटिस को नजरअंदाज करने पर आठ अप्रैल को 10 स्कूलों और 15 अप्रैल को सभी स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया कि क्यों न उनपर कार्रवाई की जाए। इसके बाद कुछ निजी स्कूलों को छोड़कर अन्य स्कूलों ने संज्ञान नहीं लिया।


इस बीच डीएम ने शासन को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि जिन स्कूलों की और से कोरोना काल में पहले ही 20 से 30 प्रतिशत फीस माफ की जा चुकी है। ऐसे में उन स्कूलों को न्यायालय के आदेश में शामिल किया जाए कि नहीं। कुछ स्कूलों ने डीआइओएस को जवाब में बताया है कि कोरोना काल में उन्होंने अभिभावकों को स्वयं अपनी तरफ से 20 से 30 प्रतिशत की छूट दी थी।


बिना अनुमति फीस वृद्धि करने पर लगाया अर्थदंड : एपीजे स्कूल नोएडा ने वर्तमान शैक्षिक वर्ष में 35 प्रतिशत फीस वृद्धि किये जाने से पूर्व जिला शुल्क नियामक समिति से अनुमोदन प्राप्त नहीं किया। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम-2018 के प्रविधानों का उल्लंघन करने से जिला शुल्क नियामक समिति ने स्कूल पर एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है।

वॉइस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होंगी मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं, 17 से 24 मई तक होंगी परीक्षाएं

वॉइस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होंगी मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं

17 से 24 मई तक दो पाली बजे में होंगी परीक्षाएं, 1.70 लाख परीक्षार्थी होंगे शामिल

जमीन व दरी पर बैठकर परीक्षा नही देंगे परीक्षार्थी, फर्नीचर का रहेगा इंतजाम

लखनऊ। मदरसा बोर्ड की मुंशी- मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल परीक्षाएं इस बार आवाज रिकार्ड करने ( वायस रिकॉर्डिंग ) की सुविधा से लैस सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होंगी। परीक्षाएं 17 मई से 24 मई तक चलेंगी। इस बार कोई भी परीक्षार्थी जमीन व दरी पर बैठकर परीक्षा नहीं देगा। मदरसा बोर्ड ने परीक्षा कार्यक्रम घोषित करते हुए परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी है।


मदरसा बोर्ड की सेकेंडरी (मुंशी-मौलवी), सीनियर सेकेंडरी (आलिम), कामिल और फाजिल की परीक्षाओं में प्रदेश भर से 1,70,418 परीक्षार्थी शामिल होंगे। इसके लिए प्रदेश में 539 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं। परीक्षाएं सुबह 8 बजे से 11 बजे तक और दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक दो पाली में कराई जाएंगी।


मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तेखार जावेद ने बताया कि सभी 539 परीक्षा केन्द्रों पर वायस रिकॉर्डिंग की सुविधा से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है। नकल पर रोक लगाने के लिए उड़न दस्ते तैयार किए जाएंगे। परीक्षा केन्द्र बनाने में इस बात का ख्याल रखा गया है कि वहां पर परीक्षार्थियों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था हो। इस बार कोई भी परीक्षार्थी जमीन व दरी पर बैठकर परीक्षा नही देगा।

माध्यमिक विद्यालयों में होगी खेल एकेडमी की स्थापना

माध्यमिक विद्यालयों में होगी खेल एकेडमी की स्थापना


लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा है कि स्पोर्ट्स फॉर स्कूल (एसएफएस) कार्यक्रम के तहत विद्यालयों में खेल संस्कृति को विकसित किया जाए। प्रथम चरण में 11 खेलों के लिए 21 हजार टीमों के गठन का लक्ष्य रखा गया है। हर विद्यालय में टीमों का गठन कराया जाए। मुख्य सचिव बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठक कर रहे थे।


मुख्य सचिव ने कहा कि खेल विभाग, स्थानीय संस्थाओं, सीएसआर के सहयोग से खिलाड़ी विद्यार्थियों के लिए खेल किट उपलब्ध कराएं। माध्यमिक विद्यालयों में खेल एकेडमी की स्थापना की जाए। प्रशिक्षकों की उपलब्धता के साथ ही विद्यालयों में खेल सुविधाओं को बेहतर किया जाए। 


उन्होंने कहा कि स्कूल चलो अभियान में इस वर्ष दो करोड़ छात्रों के पंजीकरण का लक्ष्य रखा गया है। कक्षा एक से आठ तक के बच्चों का नामांकन 10 मई को समाप्त हो रहा है। इसलिए अभियान के प्रचार-प्रसार में तेजी लाते हुए लक्ष्य को शत- प्रतिशत प्राप्त करें। 

वीडियो कॉलिंग/वाइस कालिंग के माध्यम से निगरानी किये जाने सम्बन्धी आदेश को निरस्त किये जाने के सम्बन्ध में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र

वीडियो कॉलिंग/वाइस कालिंग के माध्यम से निगरानी किये जाने सम्बन्धी आदेश को निरस्त किये जाने के सम्बन्ध में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र 


यूपी में 27 नए सरकारी नर्सिंग कॉलेज खोले जाएंगे

 यूपी में 27 नए सरकारी नर्सिंग कॉलेज खोले जाएंगे


 देश में 157 नर्सिंग कॉलेज खुलेंगे। इनमें से 27 यूपी में खोले जाएंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इनकी स्थापना को मंजूरी दे दी है। ये कॉलेज साल 2014 के बाद से देश में खुले नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ स्थापित किए जाएंगे, जिनमें बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कराई जाएगी।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल (आर्थिक मामलों की समिति) की बैठक में इन कॉलेजों की स्थापना के लिए 1570 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बताया कि इससे गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा उपलब्ध होगी। पहले से चल रहे मेडिकल कॉलेजों के साथ इनकी स्थापना से नए कॉलेजों को मेडिकल कॉलेज के अस्पताल एवं अन्य संसाधनों का फायदा मिलेगा।


एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जिस राज्य में जितने ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं, उतने ही नर्सिंग कॉलेज उसे मिलेंगे। जैसे यूपी को 27, राजस्थान को 23, बिहार को आठ एवं झारखंड को पांच नर्सिंग कॉलेज मिलेंगे।

मध्यान्ह भोजन में मिलेंगे मोटे अनाज के व्यंजन, मिड डे मील के लिए 62 हजार टन बाजरे की मांग की

मध्यान्ह भोजन में मिलेंगे मोटे अनाज के व्यंजन, मिड डे मील के लिए 62 हजार टन बाजरे की मांग की



लखनऊ। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में परोसे जाने वाले मध्यान्ह भोजन में बच्चे जल्द ही पौष्टिकता से भरपूर श्री अन्न यानी मोटे अनाज से बने व्यंजनों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। राज्य सरकार मिड डे मील के मैन्यू में श्रीअन्न को शामिल करने जा रही है। बच्चे श्रीअन्न से बने भोज्य पदार्थों को आसानी से स्वीकार कर सकें इसके लिए उसे बच्चों की अभिरुचि के अनुसार स्वादिष्ट 
बनाकर परोसा जाएगा।


श्री अन्न को जल्द से जल्द मिड डे मील में शामिल करने के लिए सरकार ने फिलहाल 62 हजार टन बाजरे की मांग की है। बताया जाता है कि मिड,डे मील के लिए एफसीआई के गोदामों से अनाजों की आपूर्ति होती है। और एफसीआई की भंडारण वाली सूची में मोटे अनाजों का उल्लेख नहीं है। लिहाजा आपूर्ति के लिए एफसीआई की सूची में इन्हें शामिल कराने और वहीं से आपूर्ति कराने के लिए राज्य सकार की ओर से केन्द्र सरकार को अनुरोध पत्र भी भेजा गया है।


 प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में मोटे अनाजों का उत्पादन काफी कम है। ऐसे में प्रदेश के 87, 984 प्राथमिक विद्यालयों एवं 55,083 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के करीब सवा दो करोड़ बच्चों के लिए इतने अधिक मात्रा में मोटे अनाजों की व्यवस्था काफी कठिन माना जा रहा है।


दो करोड़ से अधिक बच्चों को दिया जाता है मिड डे मील

प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के 1.83 करोड़ बच्चे तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 39 लाख बच्चों को प्रत्येक कार्यदिवस में अलग-अलग मेन्यू के अनुसार परोसा जाता है मिड डे मील। यह योजना प्रदेश के 87, 984 प्राथमिक विद्यालयों एवं 55,083 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चलाया जा रहा है।

परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का ऑनलाइन मूल्यांकन होगा, विरोध में शिक्षक

परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का ऑनलाइन मूल्यांकन होगा, विरोध में शिक्षक

हर जिले में बनेगी टीम

● डायट प्राचार्य की अध्यक्षता में बनेगी पांच सदस्यीय टीम

● टीम स्कूल के शिक्षक के मोबाइल पर करेगी वीडियो कॉल

● तीन बार फोन न उठाने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

● स्कूल महानिदेशक ने हर जिले में टीम बनाने के निर्देश दिए


प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई का ऑनलाइन मूल्यांकन होगा। विभागीय अधिकारी स्कूल वार शिक्षकों के मोबाइल पर वीडियो कॉल व वॉयस कॉल कर पठन पाठन और अन्य गतिविधियों की निगरानी करेंगे। तीन बार कॉल न उठाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई होगी। शिक्षक नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि एक ओर से अधिकारी स्कूल समय में मोबाइल का प्रयोग न करने की नसीहत देते हैं। दूसरी ओर स्कूल महानिदेशक का वीडियो कॉल से निगरानी का आदेश।


निगरानी के लिए मूल्यांकन प्रकोष्ठ का गठन स्कूल महानिदेशक विजय किरण आनंद ने स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का मूल्यांकन और निगरानी के लिए मूल्यांकन प्रकोष्ठ का गठन किया है। जिले वार जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान (डॉयट) में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। टीम में डायट प्राचार्य, दो प्रवक्ता समेत तकनीकी सहायक शामिल होंगे। यह टीम ब्लॉक वार हर रोज 10 स्कूलों में वीडियो कॉल करके शैक्षिक गतिविधियों की जानकारी हासिल करेंगे। बीएसए शिक्षकों के मोबाइल नम्बर मूल्यांकन प्रकोष्ठ टीम को मुहैया कराएंगे।


शिक्षक नेता बोले

वीडियो कॉल से शिक्षण कार्य का निरीक्षण आदेश बिल्कुल अनुचित व अव्यावहारिक है। अधिकारियों को स्कूल आकर निरीक्षण करना चाहिए। ताकि सामने जो भी कमियां हो। उन्हें शिक्षक दूर कर कर सकें। विनय कुमार सिंह, प्रान्तीय अध्यक्ष
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन


शिक्षकों के निजी मोबाइल पर वीडियो कॉल करने का कोई औचित्य नहीं है। स्कूल समय में शिक्षक मोबाइल लेकर नहीं बैठे रहेंगे। विभाग को सीयूजी नम्बर देने के साथ टेबलेट उपलब्ध कराना चाहिए। शालिनी मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन

नकल की सुविधा न मिलने के कारण निजी स्कूलों के लाखों छात्रों ने छोड़ी थी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा परीक्षा


नकल की सुविधा न मिलने के कारण निजी स्कूलों के लाखों छात्रों ने छोड़ी थी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा परीक्षा



यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा छोड़ने वाले सर्वाधिक छात्र-छात्राएं वित्तविहीन या निजी स्कूलों के थे। यह ट्रेंड राजकीय या सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में देखने को नहीं मिलता। बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 2023 की हाईस्कूल परीक्षा के लिए प्रदेशभर के 20737 वित्तविहीन स्कूलों के 20,31,752 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इनमें से 18,15,386 परीक्षा में शामिल हुए और 2,16,366 (10.64 प्रतिशत) विद्यार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी।


वहीं 2355 राजकीय स्कूलों में 10वीं की परीक्षा के लिए पंजीकृत 1,82,297 छात्र-छात्राओं में से 1,75,855 परीक्षा में सम्मिलित हुए और 6442 (3.53 फीसदी) गैरहाजिर रहे। तो 4509 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में पंजीकृत 8,92,108 परीक्षार्थियों में से 8,63,638 उपस्थित रहे और 28470 (3.19 प्रतिशत) ने परीक्षा छोड़ी। स्पष्ट है कि राजकीय और एडेड कॉलेजों की तुलना में 10वीं की परीक्षा छोड़ने वाले वित्तविहीन स्कूलों के विद्यार्थियों की संख्या तीन गुना है।


पिछले साल भी वित्तविहीन स्कूलों के 2,26,673 छात्र-छात्राओं ने हाईस्कूल की परीक्षा छोड़ दी थी। वहीं राजकीय विद्यालयों के 5267, जबकि सहायता प्राप्त विद्यालयों के 25775 छात्र-छात्राएं गैरहाजिर थे।


इंटर में भी निजी स्कूल के सर्वाधिक छात्र गैरहाजिर


इंटरमीडिए की बोर्ड परीक्षा में भी निजी स्कूल के सर्वाधिक छात्र गैरहाजिर रहे। 2023 की इंटर परीक्षा में वित्तविहीन स्कूलों के पंजीकृत 1666440 विद्यार्थियों में 1517663 उपस्थित हुए और 148777 अनुपस्थित रहे। राजकीय के पंजीकृत 101471 परीक्षार्थियों में से 99064 शामिल हुए और 2407 अनुपस्थित थे तो वहीं सहायता प्राप्त स्कूलों में पंजीकृत 817807 छात्र-छात्राओं में से 794675 उपस्थित थे और 23132 ने परीक्षा छोड़ दी थी।



नकल की सुविधा न मिलना बड़ा कारण

निजी स्कूलों में सर्वाधिक छात्र-छात्राओं के परीक्षा छोड़ने का बड़ा कारण नकल की सुविधा न मिलना है। जानकारों की मानें तो सैकड़ों स्कूलों के प्रबंधक नकल के दम पर परीक्षा पास कराने का ठेका लेते हैं। चूंकि हाईस्कूल का प्रमाणपत्र न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता है और आयु प्रमाणपत्र का भी काम करता है, इसलिए हाईस्कूल में नकलची छात्रों और परीक्षा छोड़ने वाले भी अधिक होते हैं।

यूपी बोर्ड एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड के छात्र भी पढ़ेंगे कोडिंग-रोबोटिक्स, डिजिटल साक्षरता बढ़ाने को पाठ्यक्रम में करेंगे शामिल

यूपी बोर्ड एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड के छात्र भी पढ़ेंगे कोडिंग-रोबोटिक्स

● डिजिटल साक्षरता बढ़ाने को पाठ्यक्रम में करेंगे शामिल

● विद्यार्थियों में वैज्ञानिक स्वभाव व सोच विकसित करेंगे।



प्रयागराज : डिजिटल साक्षरता में यूपी बोर्ड और संस्कृत शिक्षा बोर्ड के छात्र-छात्राएं अब किसी भी दूसरे बोर्ड के बच्चों से पीछे नहीं रहेंगे। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यूपी बोर्ड और संस्कृत शिक्षा बोर्ड से जुड़े प्रदेशभर के 29 हजार से अधिक स्कूलों में कोडिंग, रोबोटिक्स, ई-कॉमर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी की है। अगले दो साल की कार्ययोजना में शामिल इस महत्वाकांक्षी पहल की जिम्मेदारी दोनों बोर्ड के सचिवों को दी गई है।


इसका मकसद छात्र-छात्राओं को डिजिटल साक्षरता, कोडिंग और कम्प्यूटेशनल चिंतन की तकनीकी जानकारी और प्रयोग से अपडेट करना है। इन विषयों की पढ़ाई से विद्यार्थियों में वैज्ञानिक स्वभाव, गणित व कम्प्यूटेशनल और साक्ष्य आधारित सोच और कौशल का विकास होगा। वर्तमान डिजिटल क्रांति युग में विद्यार्थियों को एक अच्छे, सफल, अभिनव, अनुकूलनीय और उत्पादक बनाने के लिए ये विषय सहायक होंगे।


446 राजकीय स्कूलों में बनेगी कम्प्यूटर लैब

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के 446 राजकीय स्कूलों में अगले दो साल में कम्प्यूटर लैब बनाने की योजना भी बनाई है। इससे हर साल 2,45,300 छात्र-छात्राओं को लाभ मिलेगा। विद्यार्थियों में करके सीखने से समझ और कौशल में वृद्धि होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

Wednesday, April 26, 2023

RTE : दूसरे दूसरे चरण में 45 हजार विद्यार्थियों को मिलेगा दाखिला, तीसरे चरण के लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू

RTE : दूसरे दूसरे चरण में 45 हजार विद्यार्थियों को मिलेगा दाखिला

तीसरे चरण के लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू, निजी स्कूलों में मिलेगा दाखिला


लखनऊ। प्रदेश में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा के लिए दूसरे चरण की लाटरी कर दी गई है। दूसरे चरण में 45092 विद्यार्थियों को स्कूलों में दाखिले का अवसर मिला है। इसी के साथ तीसरे चरण के लिए आवेदन भी शुरू हो गए हैं।


आरटीई के तहत दाखिले को लेकर इस बार सत्र की शुरुआत से ही शासन काफी सक्रिय है। इसे लेकर पिछले दिनों बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रक्रिया शुरू की गई और प्राइवेट कॉलेजों से भी संपर्क कर प्रवेश के लिए कहा गया। इसके तहत ऑनलाइन बच्चों के रजिस्ट्रेशन करवाए गए। हाल में दूसरे चरण की लाटरी जारी की गई। इसमें कुल आवेदक 93209 में से 45092 बच्चों को स्कूल का आवंटन किया गया है।


ये विद्यार्थी आवंटित स्कूलों में संपर्क कर दाखिला ले सकते हैं। विभागीय अधिकारियों को भी 28 अप्रैल तक इनका दाखिला सुनिश्चित कराने को कहा गया है। जबकि पहले चरण में 146739 आवेदन में से 64092 बच्चों को स्कूल आवंटित किया गया था। इनकी प्रवेश प्रक्रिया आखिरी चरण में है। इसी के साथ तीसरे चरण के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। इच्छुक अभ्यर्थी 12 मई तक आवेदन कर सकते हैं।


इस सत्र में विभाग जुलाई तक तीन चरण में आरटीई में प्रवेश कार्यवाही संचालित कर बच्चों का दाखिला कराएगा। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराया जाता है। शासन इन स्कूलों को 450 रुपये शुल्क और 5000 रुपये अन्य चीजों के लिए भुगतान करता है। पिछले दिनों शासन ने लगभग पांच साल बाद विद्यालयों के शुल्क के लिए बजट भी जारी कर दिया था ताकि वे बच्चों के दाखिले में आनाकानी न करें।


राजकीय /सहायता प्राप्त/वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों की नियमित निरीक्षण के संबंध में आदेश जारी

बेसिक के बाद अब माध्यमिक के विद्यालयों में भी सख्ती, स्थलीय निरीक्षण शुरू

राजकीय /सहायता प्राप्त/वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों की नियमित निरीक्षण के संबंध में आदेश जारी




लखनऊ। बेसिक के बाद अब माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों में भी मंडल स्तर के अधिकारियों को हर सप्ताह आधा दर्जन से अधिक विद्यालयों का निरीक्षण कर मुख्यालय को रिपोर्ट देनी होगी। इसके आधार पर मुख्यालय स्तर से कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।


माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक व मंडलीय उप शिक्षा निदेशक को हर सप्ताह तीन-तीन विद्यालय और जिला विद्यालय निरीक्षक को छह राजकीय, सहायता प्राप्त, वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है। ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके। 


नए सत्र में इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने बताया कि पहले निरीक्षण में 558 माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण किया जाना था। इसमें से 100 विद्यालयों की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। ऐसे अधिकारियों को तुरंत इसका विवरण उपलब्ध कराने को कहा गया है।

Tuesday, April 25, 2023

यूपीबोर्ड : हाईस्कूल(10th) एवं इंटरमीडिएट(12th) का रिजल्ट घोषित, यहां क्लिक करके देखें

यूपी बोर्ड : प्रदेश की मेरिट में 63 जिलों के मेधावियों को मिला स्थान, किसी परीक्षार्थी का परिणाम अपूर्ण नहीं



बोर्ड के परिणाम की खासियत यह भी रही कि किसी परीक्षार्थी का परिणाम अपूर्ण नहीं रहा। पूर्व के वर्षों में अपूर्ण परिणाम रहने के कारण परीक्षार्थी महीनों जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से लेकर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों तक चक्कर लगाते रहते थे। सचिव दिब्यकांत ने बताया कि इस बार किसी का परिणाम अपूर्ण नहीं है।

प्रयागराज । यूपी बोर्ड की ओर से मंगलवार को जारी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा की मेरिट सूची में जिन 432 छात्र-छात्राओं को स्थान मिला है, वो 63 जिलों के रहने वाले हैं। यह पहला मौका है जब मेरिट में इतनी ज्यादा संख्या में विद्यार्थियों को जगह मिली है। पिछले साल यानी 2022 की मेरिट सूची में हाईस्कूल में 27 (19 छात्राएं और आठ छात्र) तो इंटर में 28 (15 छात्राएं और 13 छात्र) मेधावियों के नाम शामिल थे।


12 जिले ऐसे हैं, जहां के छात्रों को मेरिट में जगह नहीं मिली है। जिन जिलों को मेरिट में स्थान नहीं मिल सका है उनमें गोरखपुर, सोनभद्र, संत कबीरनगर, संभल, सहारनपुर, रामपुर, मुजफ्फरनगर, मऊ, गौतमबुद्धनगर, बलरामपुर, बलिया व बागपत शामिल है। इंटर की टॉप-10 सूची में कुल 253 परीक्षार्थी हैं जिनमें से 135 छात्राएं और 118 छात्र हैं। वहीं हाईस्कूल की टॉप-10 सूची में कुल 179 परीक्षार्थियों का नाम है जिनमें 95 बालिकाएं और 84 बालक हैं। इंटरमीडिएट के टॉप-5 मेधावियों में कुल 30 विद्यार्थी शामिल हैं जबकि छह से लेकर दसवें नंबर तक कुल 223 परीक्षार्थियों के नाम है। इसी तरह हाईस्कूल के टॉप-5 में 18 परीक्षार्थी हैं जबकि छह से दस तक की रैंक में 161 विद्यार्थियों के नाम हैं।


पहली बार ओएमआर पर कराई गई 10वीं की परीक्षा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 2023 में पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा में ओएमआर शीट का भी उपयोग किया गया। छात्र-छात्राओं को 70 में से 20 नंबर के बहुविकल्पीय प्रश्नों के जवाब ओएमआर पर देना था। इसमें उच्च क्रम चिंतन कौशल (हॉट्स) संबंधी प्रश्न भी पूछे गए। उत्तरपुस्तिकाओं की सुरक्षा के लिए पहली बार क्यूआर कोड तथा यूपी बोर्ड का लोगो लगाया गया। सभी कॉपियों की सिलाई कराई गई थी ताकि पन्ने न बदले जा सके।


मई के दूसरे सप्ताह तक अंकपत्र मिलने की संभावना

प्रयागराज। यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं को मई के दूसरे सप्ताह तक अंकपत्र सह प्रमाणपत्र मिलने की संभावना है। परिणाम घोषित होने के साथ ही तीन दिन की छुट्टी हो गई है। उसके बाद शनिवार और रविवार को भी अवकाश रहेगा। अगले सप्ताह सोमवार से बोर्ड का कामकाम सामान्य होगा। अंकपत्र सह प्रमाणपत्र छपने में दस दिन का समय लग जाता है। उसके बाद फर्मों से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों और वहां से जिलों को भेजे जाएंगे। इस सबमें कम से कम दो सप्ताह का समय लग जाएगा।



यूपी बोर्ड : हाईस्कूल में प्रियांशी तो इंटर में शुभ बने टॉपर, मेरिट में छोटे शहरों और कस्बों के मेधावियों का दबदबा 


प्रयागराज, । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2023 का परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिया गया। हाईस्कूल और इंटर की मेरिट में छोटे शहरों और कस्बों के मेधावियों का दबदबा है। पहली बार इंटर और हाईस्कूल की टॉप-10 मेधावियों की सूची में कुल 432 छात्र-छात्राओं को स्थान मिला है, इससे पूर्व कभी मेरिट में इतनी ज्यादा संख्या में विद्यार्थी शामिल नहीं रहे। इनमें अधिकतर छोटे शहरों और कस्बों के विद्यार्थी हैं। ज्यादातर बड़े शहरों का पत्ता साफ है।


हाईस्कूल में सीतापुर के सीता बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज महमूदाबाद की छात्रा प्रियांशी सोनी ने 600 में से 590 (98.33 प्रतिशत) अंक हासिल कर पूरे प्रदेश में टॉप किया है। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा में महोबा के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज चरखारी के शुभ चपरा ने 500 में से 489 (97.80 फीसदी) अंक प्राप्त कर मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। हाईस्कूल में पंजीकृत 31,16,454 परीक्षार्थियों में से 25,70,987 (89.78) सफल हुए। इंटरमीडिएट में 27,68,180 विद्यार्थियों में से 19,41,717 (75.52) पास हैं।


मां सरस्वती की कृपा से सभी का भविष्य उज्ज्वल हो –योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा में उत्तीर्ण सभी छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों व गुरुजनों को हृदय से बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि आप सभी ‘नए उत्तर प्रदेश’ के स्वर्णिम भविष्य के आधार स्तंभ हैं। मां सरस्वती की कृपा से आप सभी का भविष्य उज्ज्वल हो, यही कामना है।



यूपीबोर्ड : हाईस्कूल(10th) एवं इंटरमीडिएट(12th) का रिजल्ट घोषित, यहां क्लिक करके देखें।