छात्रवृत्ति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज, ईडी ने की कार्रवाई, सीबीआई जांच की सिफारिश की तैयारी, कॉलेज संचालकों को समन, 150 करोड़ से अधिक के घोटाले की पुष्टि
लखनऊ। शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों और फिनो पेमेंट बैंक के एजेंटों की मिलीभगत से अंजाम दिए गए छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर लिया है। ईडी के इसी केस के आधार पर हजरतगंज कोतवाली में भी कॉलेज संचालकों और बैंक एजेंटों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। सूत्रों की मानें तो इस घोटाले के तार कई राज्यों में फैले हैं। लिहाजा जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की तैयारी चल रही है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से गरीबों, अल्पसंख्यकों, दिव्यांगों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की रकम को हड़पने वाले 13 कॉलेज संचालकों और फिनो बैंक के मैनेजर व चार एजेंटों के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। दरअसल, ईडी की जांच में सामने आया है कि लखनऊ स्थित हाईजिया ग्रुप के संचालक इस घोटाले के मास्टरमाइंड हैं।
उन्होंने ही तमाम कॉलेजों का संपर्क फिनो बैंक के एजेंटों से कराया जिसके बाद 3000 से ज्यादा फर्जी बैंक खाते खोलकर छात्रवृत्ति की रकम हड़प ली गई। इस ग्रुप से जुड़े कई कॉलेजों में घोटाला अंजाम देने के पुख्ता सुबूत ईडी के हाथ लग चुके हैं। घोटाले में 150 करोड़ रुपये से अधिक हड़पने की पुष्टि हो रही है। ईडी ने नामजद कॉलेज संचालकों को समन जारी कर पूछताछ शुरू कर दी है।
कई शहरों में मिली संपत्तियां
ईडी की जांच में कॉलेज संचालकों की कई शहरों में बेनामी संपत्तियाँ होने का पता चला है। साथ ही रिश्तेदारों और कॉलेज के कर्मचारियों के बैंक खातों में भी तमाम संदिग्ध लेन-देन सामने आए हैं। ये संपत्तियां किसके नाम पर हैं, इसकी जानकारी के लिए संबंधित जिलों के रजिस्ट्री कार्यालयों से दस्तावेज तलब किए हैं। जल्द इन संपत्तियों को अटैच करने की कवायद शुरू की जाएगी।
ईडी ने गत 16 फरवरी को लखनऊ, बरेली, फर्रुखाबाद, हरदोई समेत कई जिलों में कॉलेजों में छापा मारकर इस घोटाले का खुलासा किया था।
10 शैक्षणिक संस्थानों पर पोस्ट मैट्रीकुलेशन छात्रवृत्ति वितरण में घोटाले का आरोप
लखनऊ। प्रदेश के दस शिक्षण संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे 100 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति हड़पने के मामले में 18 नामजद और कई अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई ईडी की ओर से फरवरी संस्थानों की जांच में मिली गड़बड़ी के आधार पर की गई गई है। छात्रवृत्ति हड़पने के लिए संस्थानों ने अपने कर्मचारियों व अन्य काल्पनिक व्यक्तियों के नाम से बैंक एजेंट से मिलकर फर्जी खाते खोलकर उनके डेबिड कार्ड भी अपने पास रख लिए।
प्रभारी निरीक्षक हजरतगंज अखिलेश मिश्रा के मुताबिक, मामले की रिपोर्ट संयुक्त पुलिस संचालक, आयुक्त कानून-व्यवस्था उपेंद्र कुमार अग्रवाल के आदेश पर हजरतगंज थाने में तैनात एसएसआई दयाशंकर द्विवेदी ने दर्ज कराई है। आरोपी शिक्षण संस्थानों ने 2015 से प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कमजोर श्रेणी के लाभार्थियों को दी जाने वाली करीब 100 करोड़ से अधिक की पोस्ट मैट्रीकुलेशन छात्रवृत्ति हड़प ली।
इसके लिए संस्थानों ने कूटरचित दस्तावेजों, फर्जी बैंक खातों और काल्पनिक व्यक्तियों के नाम का सहारा लिया। कॉलेजों के कॉमन प्रबंधक, कर्मचारी और मोबाइल नंबरों की जांच की गई। पता चला कि कई छात्रों का खाता एक ही ई-मेल आईडी से खोला गया।
कर्मचारियों व काल्पनिक नामों के आधार पर खोले गये खाते
प्रभारी निरीक्षक के मुताबिक शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति हड़पने के लिए अपने कर्मचारियों व अन्य काल्पनिक व्यक्तियों के नाम से बैंक खाते खोले। इनमें कुछ नाबालिग और बुजुगों भी थे, जिन्हें खाता खोले और छात्रवृत्ति तक की जानकारी नहीं थी। इन खातों से हो कई लोगों को भुगतान किया गया।
आरोप है कि इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ही जिम्मेदार है। यह गबन फिनो बैंक के एजेंट के साथ मिलकर किया गया एजेंट खाता खुलवाकर नेट बैकिंग यूजर आईडी और पासवर्ड प्रयोग कर संस्थानों को देता था। पड़ताल में सामने आया कि करीब 3000 फर्जी खाते खोले गये। इसके लिए 1200 फर्जी दस्तावेज लगाकर सिम कार्ड और 1200 डेविट कार्ड तैयार किए गए। खास बात यह रही कि सभी डेविट कार्ड संस्थानों ने अपने पास ही रखे।
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