फीस लौटाने का आदेश न मानने वाले स्कूलों पर सख्ती के संकेत
100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद से निजी स्कूल प्रबंधकों में मची खलबली
लखनऊ : कोरोना काल में स्कूलों में वसूली गई फीस को वापस करने के हाईकोर्ट के सख्त फैसले के बाद भी प्रदेश भर के हजारों स्कूलों ने अब तक फीस की वापसी या समायोजन नहीं किया है। नोएडा के डीएम ने जब इस मामले में वहां के स्कूलों पर अर्थदण्ड लगाया तो पूरे प्रदेश में यह मामला एक बार फिर से गरम हो गया है।
सरकार ने भी इस मुद्दे पर जारी शासनादेश का हवाला देते हुए कार्रवाई करने के स़ंकेत दिए हैं। बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में शासन की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किए जा चुके हैं। इसे सभी स्कूलों को मानना ही होगा अन्यथा कार्रवाई होगी। बताया जाता है कि शासनादेश के बाद कुछ ही स्कूलों ने कोरोना काल में ली गई ज्यादा फीस को अब तक वापस या समायोजित किया है।
सरकार ने कोर्ट के आदेश के तत्काल बाद ही सभी स्कूलों के लिए कोर्ट के आदेश के अनुसार कदम उठाने के लिए बकायदा शासनादेश जारी कर दिया था। उस निर्देश में यह भी व्यवस्था दी थी कि जो स्कूल फीस वापस नहीं करेंगे उनके खिलाफ अभिभावक जिला व मण्डल स्तरीय अपीलीय संगठन में जा सकते हैं। शासनादेश में कहा गया है कि प्रदेश में संचालित समस्त बोर्डों के सभी विद्यालयों द्वारा निर्धारित शुल्क दरों के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2020-21 में लिए गए शुल्क की 15 प्रतिशत राशि को वर्तमान शैक्षिक सत्र में समायोजित किया जाए।
100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद से निजी स्कूल प्रबंधकों में मची खलबली
कोरोना काल की 15 फीस वापसी या समायोजन नहीं कर रहे निजी स्कूल, नहीं मान रहे कोर्ट का आदेश
16 फरवरी को शासन ने निर्देश जारी किये थे, डीएम व डीआईओएस भी स्कूलों को आदेश कर चुके हैं
● हाईकोर्ट का आदेश नहीं मान रहे निजी स्कूल
● स्कूल प्रबंधक बोले, उन्होंने पहले ही माफ कर दी फीस
लखनऊ के निजी स्कूल कोरोना काल में ली गई फीस का 15 फीसदी अभिभावकों न लौटा रहे हैं न ही यह धनराशि बच्चों की अगली कक्षा में समायोजित कर रहे हैं। तीन माह पहले जनवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सत्र 2020-21 के बच्चों की फीस वापसी व समायोजन के आदेश को लखनऊ के निजी स्कूल प्रबंधक नहीं मान रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के लिए शासन, डीएम और डीआईओएस भी इन स्कूलों को निर्देश जारी कर चुके हैं। इसके बावजूद इन स्कूलों पर कोई असर नहीं है।
बुधवार को नोयडा व ग्रेटर नोयडा डीएम द्वारा फीस वापसी व समायोजित न करने पर 100 से अधिक निजी स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद से लखनऊ के स्कूल प्रबंधकों में खलबली मची है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छह जनवरी को एक याचिका पर सुनवायी के बाद कोरोना काल व लॉकडाउन में स्कूलों द्वारा सत्र 2020-21 में ली गई फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा की फीस में समायोजित करने का आदेश दिया था। साथ ही स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को 15 फीसदी फीस लौटाने के आदेश दिये थे।
अभिभावक संघ का पक्ष
नोयडा की तरह लखनऊ के डीएम को भी स्कूलों पर सख्ती करनी चाहिए। हाईकोर्ट का आदेश न मानने वाले स्कूलों पर जुर्माना लगाना चाहिए। फीस वापसी और समायोजन के मुद्दे पर डीएम से मिलकर वार्ता करेंगे।
प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ
डीआईओएस ने एक दिन में मांगा ब्योरा
डीआईओएस राकेश कुमार पाण्डेय ने गुरुवार को लखनऊ के सभी बोर्ड के निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर 15 फीसदी समायोजित करने व वापसी का शुक्रवार तक ब्योरा मांगा है। स्कूलों को भेजे प्रारूप में सत्र 2020-21 में पंजीकृत छात्रों की संख्या, कितने बच्चों की फीस अगली कक्षा में समायोजित की व कितने की लौटायी है और धनराशि का ब्योरा मांगा है।
कोर्ट का आदेश न मानने पर कार्रवाई होगी – डीएम
डीएम सूर्यपाल गंगवार ने कहा कि डीआईओएस से 2020-21 सत्र में स्कूलों द्वारा ली गई फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा में समायोजित करने व लौटाने की रिपोर्ट तीन दिन में मांगी है। कोर्ट के आदेश का पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
दो मिशनरी स्कूलों में फीस का समायोजन शुरू
लामार्टीनियर ब्वॉयज कॉलेज ने कोरोना काल में ली गई फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा में समायोजन शुरू किया है। वहीं स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की फीस लौटायी है। हजरतगंज स्थित कैथेड्रल सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल ने भी 15 फीसदी फीस समायोजित व वापसी की कार्रवाई शुरू कर दी है।
अभिभावकों को वापस मिलेगी 15 फीसदी फीस, कोरोना काल के दौरान लिए गए शुल्क में मिलेगी राहत, जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी प्रधानाचार्यों को जारी किया पत्र
प्रयागराज : कोविड संक्रमण के दौरान सभी बोर्ड के स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2020-21 में लिए गए शुल्क का 15 फीसदी अभिभावकों को वापस मिलेगा। हाईकोर्ट के छह जनवरी 2023 के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर 15 प्रतिशत फीस वर्तमान सत्र 2023-24 में समायोजित करने और जो बच्चे स्कूल छोड़कर जा चुके हैं उनको उक्त धनराशि वापस करने के निर्देश दिए हैं।
शासन के विशेष सचिव ने 16 फरवरी सभी जिलाधिकारियों, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर फीस वापसी सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए थे। निर्देशों का अनुपालन न करने पर यदि कोई छात्र या अध्यापक शिकायत करता है तो उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 के तहत जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत रखते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने 21 अप्रैल को सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर हाईकोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट एक सप्ताह में मांगी है।
एक बच्चे की नौ हजार तक फीस वापस होगी
प्रयागराज। हाईकोर्ट के आदेश पर कोरोना काल में ली गई फीस में से 15 प्रतिशत वापस करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वैसे तो प्रत्येक स्कूल का अलग फीस ढांचा है लेकिन शहर के बड़े निजी स्कूलों की बात करें तो एक बच्चे की औसतन नौ हजार तक फीस वापस मिलने की उम्मीद है। उदाहरण के तौर पर सेंट मेरीज कान्वेंट स्कूल में यदि कोई छात्रा 2020-21 सत्र में कक्षा सात में थी तो उसकी फीस 44520 रुपये ली गई थी। इसका 15 प्रतिशत यानि 6678 रुपये वापस होगा। इसी प्रकार सेंट जोसेफ कॉलेज में 2020-21 सत्र में कक्षा 11 या 12 पीसीएम (कम्प्यूटर) के छात्र से 61010 रुपये सालाना फीस ली गई थी। इसका 15 प्रतिशत 9151 रुपये वापस मिलेंगे।
निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में की याचिका
प्रयागराज : 2020-21 सत्र में ली गई फीस का 15 प्रतिशत वापस करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की है। हाईकोर्ट के छह जनवरी के आदेश के खिलाफ स्कूल संचालकों ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पुनर्विचार याचिका भी खारिज होने के बाद स्कूल संचालकों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। हालांकि कानूनी लड़ाई को लेकर अभी कोई स्कूल संचालक कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
हाईकोर्ट और शासन के आदेश के क्रम में फीस वापसी के लिए सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई अभिभावक संतुष्ट नहीं है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
पीएन सिंह, डीआईओएस
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