● एनसीईआरटी ने नए सत्र में वाणिज्य के कोर्स में किया बदलाव
● वित्तीय विवरणों का विश्लेषण, वित्तीय बाजार भी हटाया गया
प्रयागराज, सीबीएसई और यूपी बोर्ड से 12वीं कर रहे कॉमर्स के छात्र अब उद्योग पर सरकारी नीतियों का प्रभाव नहीं पढ़ेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए पाठ्यक्रम में जो कटौती की है, उसमें ‘व्यवसाय अध्ययन-प्रबंध के सिद्धांत और कार्य भाग-1‘ की किताब में व्यावसायिक पर्यावरण अध्याय से ‘व्यवसाय एवं उद्योग पर सरकारी नीतियों का प्रभाव’ एवं निर्देशन अध्याय से ‘अच्छे नेतृत्वकर्ता के गुण’ टॉपिक को हटाया गया है।
इसी प्रकार ‘व्यवसाय अध्ययन – व्यवसाय, वित्त और विपणन भाग-2’ की किताब से वित्तीय बाज़ार पाठ एवं उपभोक्ता संरक्षण अध्याय से ‘उपभोक्ता संगठनों एवं गैरसरकारी संगठनों की भूमिका’ टॉपिक को हटाया है। ‘लेखाशास्त्रत्त्-अलाभकारी संस्थाएं एवं साझेदारी खाते भाग-एक’ शीर्षक किताब से अलाभकारी संस्थाओं के लिए लेखांकन अध्याय को हटा गया है।
‘लेखाशास्त्र-कंपनी खाते एवं वित्तीय विवरणों का विश्लेषण’ की किताब से वित्तीय विवरणों का विश्लेषण हटा दिया गया है। 11वीं की किताब ‘लेखाशास्त्र-वित्तीय लेखांकन भाग-1’ से विनिमय विपत्र जबकि भाग-2 से अपूर्ण अभिलेखों से खाते, लेखांकन में कंप्यूटर का अनप्रुयोग, कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली अध्याय पूरी तरह से हटा दिया गए हैं।
ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा मुगल दरबार का मुद्दा
एनसीईआरटी की ओर से 12वीं इतिहास की किताब से मुगल दरबार (लगभग सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियां) को हटाने का मुद्दा ट्विटर पर छाया हुआ है। सोमवार शाम छह बजे मुगल हैशटैग के साथ पांचवें नंबर पर ट्रेंड कर रहा था। अध्याय को हटाने के समर्थन और विरोध में लोग अपने-अपने तर्क रख रहे हैं।
NCERT BOOKS : विस्तृत विषय वाले पाठ्यक्रम में 40 प्रतिशत तक कटौती
प्रयागराज : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए कई विषयों के पाठ्यक्रम में बदलाव किया है। विस्तृत विषयों वाले पाठ्यक्रम में 40 प्रतिशत तक की कटौती भी हुई है। इससे यूपी बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के विद्यार्थी प्रभावित होंगे। इंटरमीडिएट में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताब भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग-2 के शासक और इतिवृत्त- मुगल दरबार (लगभग सेलहवीं और सत्रहवीं सदी) को हटा दिया गया है।
भारतीय इतिहास के भाग-2 नामक पुस्तक में दिए गए अकबरनामा और बाबरनामा की जानकारी देने वाले तथ्य भी पढ़ाए जाएंगे। इसमें मुगल काल के शासकों का इतिहासद्ध वर्णित था, इसे भी बाहर कर दिया गया है। वहीं पुस्तक में उस समय की पांडुलिपियों की भी जानकारी दी गई थी। इसके साथ ही तत्कालीन मुगल शासकों की लड़ाई, उनकी घेराबंदी, शिकार, इमारत निर्माण, दरबारी दृश्य आदि का उल्लेख था। अब यह सब पढ़ने को नहीं मिलेगा।
अकबरनामा के लेखक अबुल फजल के बारे में भी बताया गया था, उक्त अध्याय में यह भी उल्लेख था कि अबुल फजल को अकबर ने दरबार में इसलिए स्थान दिया कि राज्य में धार्मिक रूढ़िवादियों को नियंत्रित किया जा सके। एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए अध्याय में मुगल शासक और उनका साम्राज्य, पांडुलिपियों की रचना के कई चित्र भी थे।
नहीं पढ़ाया जाएगा जन आंदोलनों का उदय
12 वीं में नागरिकशास्त्र की पुस्तक समकालीन विश्व राजनीति से समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व और शीतयुद्ध का दौर अब विद्यार्थी नहीं पढ़ेंगे। इस अध्याय में कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी का विवरण समाहित था। 10वीं में पढाई जाने वाली लोकतांत्रिक राजनीति-2 की किताब से लोकतंत्र और विविधता, जनसंघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां भी नहीं पढ़ाया जाएगा।
एनसीईआरटी ने सत्र 2023-24 के लिए विषयवार पुनर्सयोजित पाठ्यक्रम जारी किया है। यूपी बोर्ड में भी उसी पाठ्यक्रम को पढ़ाया जा रहा है। बोर्ड की वेबसाइट पर इस संबंध में विस्तृत विवरण है। स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली संशोधित पुस्तकें बाजार में उपलब्ध है। विद्यार्थी उन्हें ले सकते हैं। –दिव्यकांत शुक्ल
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