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Thursday, April 20, 2023

अब अपनी मातृभाषा में दे सकेंगे परीक्षा, UGC ने जारी किए विशेष दिशा-निर्देश

उच्च शिक्षा : स्थानीय भाषा में विषयों को समझने के साथ-साथ परीक्षा में प्रदर्शन भी सुधरेगा, जानिए क्यों 



नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा, विद्यार्थी अपनी मातृभाषा या स्थानीय में विषयों को समझने के साथ-साथ परीक्षा में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकता है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई की सिफारिश की गयी है। इसी आधार पर विश्वविद्यालयों को स्थानीय भाषाओं में परीक्षा लिखने की अनुमति देने को कहा गया है। कुमार ने कहा, बेशक अभी पाठ्यक्रम का माध्यम अंग्रेजी है, लेकिन जल्द ही विभिन्न भारतीय भाषाओं में भी किताबें तैयार हो जाएंगी।

 स्थानीय भाषाओं में मूल लेखन के अनुवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए विश्वविद्यालयों में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में स्थानीय भाषा का उपयोग किया जाए। किताब भारतीय भाषाओं में तैयार करने के लिए शिक्षक भी सहयोग कर सकते हैं।



अब अपनी मातृभाषा में दे सकेंगे परीक्षा, UGC ने जारी किए विशेष दिशा-निर्देश


UGC: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने विश्वविद्यालयों से छात्रों को स्थानीय भाषाओं में परीक्षा लिखने की अनुमति देने के लिए कहा है।

UGC Chairman To universities: उच्च शिक्षा संस्थानों में परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार (M Jagadesh Kumar) ने विश्वविद्यालयों से छात्रों को स्थानीय भाषाओं में परीक्षा लिखने की अनुमति देने के लिए कहा है। भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में पेश किया गया हो।


उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान पाठ्यपुस्तकें तैयार करने और मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में शिक्षण-और सीखने की प्रक्रिया का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयोग ने जोर देकर कहा कि इन प्रयासों को मजबूत करना और "मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लिखने और अन्य भाषाओं से मानक पुस्तकों के अनुवाद सहित शिक्षण में उनके उपयोग को प्रोत्साहित करने जैसी पहल को बढ़ावा देना" आवश्यक है।


यूजीसी की तरफ से कहा गया है कि विश्वविद्यालय छात्रों को परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दें। भले ही परीक्षा कार्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो, और स्थानीय भाषाओं में मूल लेखन के अनुवाद को बढ़ावा देना और शिक्षण-और सीखने की प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालयों में स्थानीय भाषा का उपयोग करना होगा।


स्थानीय भाषा में विषयों को समझने के साथ-साथ परीक्षा में प्रदर्शन भी सुधरेगा


नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा, विद्यार्थी अपनी मातृभाषा या स्थानीय में विषयों को समझने के साथ-साथ परीक्षा में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई की सिफारिश की गयी है। इसी आधार पर विश्वविद्यालयों को स्थानीय भाषाओं में परीक्षा लिखने की अनुमति देने को कहा गया है। 


कुमार ने कहा, बेशक अभी पाठ्यक्रम का माध्यम अंग्रेजी है, लेकिन जल्द ही विभिन्न भारतीय भाषाओं में भी किताबें तैयार हो जाएंगी। स्थानीय भाषाओं में मूल लेखन के अनुवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए विश्वविद्यालयों में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में स्थानीय भाषा का उपयोग किया जाए। किताब भारतीय भाषाओं में तैयार करने के लिए शिक्षक भी सहयोग कर सकते हैं।



अब स्थानीय भाषाओं में भी दे सकेंगे स्नातक और परास्नातक की परीक्षाएं

नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों में स्नातक और परास्नातक विद्यार्थियों को अब क्षेत्रीय व स्थानीय भाषाओं में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर कहा कि पाठ्यक्रम भले ही अंग्रेजी में हो, लेकिन परीक्षा के लिए स्थानीय भाषा का विकल्प भी दें। यानी विद्यार्थी के पास हिंदी- अंग्रेजी के अलावा अब 13 भाषाओं में उत्तर देने का विकल्प होगा।

यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 से ही वार्षिक व सेमेस्टर परीक्षाओं में भी यह विकल्प दिया जाए। आयोग ने स्थानीय भाषाओं में किताबें तैयार कराने की दिशा में भी काम करने को कहा है।

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