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Wednesday, May 31, 2023

सारथी बनकर NEP को समझाएंगे, UGC ने शुरू की मुहिम, हर विश्वविद्यालय से अधिकतम तीन प्रतिभाशाली छात्र बनेंगे ब्रांड एंबेसडर

सारथी बनकर NEP को समझाएंगे, UGC ने शुरू की मुहिम, हर विश्वविद्यालय से अधिकतम तीन प्रतिभाशाली छात्र बनेंगे ब्रांड एंबेसडर
 


भारतीय शिक्षा तंत्र के महत्वपूर्ण बदलावों में शुमार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में विद्यार्थी अब ब्रांड एंबेसडर बनकर नए विद्यार्थियों को इस नीति को समझाएंगे. इसके लिए यूजीसी ने एनईपी सारथी मुहिम शुरू की है. देशभर में कुल तीन सौ विद्यार्थियों को एनईपी सारथी चुनते हुए इसके दायरे को और विस्तृत किया जाएगा.


छात्र-छात्राओं से मिले फीडबैक से एनईपी में सुधार होगा. सारथी का अर्थ है-स्टूडेंट एंबेसडर फॉर एकेडमिक रिफॉर्म्स इन ट्रांसफोर्मिंग हायर एजुकेशन इन इंडिया. एनईपी देशभर के अधिकांश विश्वविद्यालयों में लागू हो चुकी है, लेकिन अभी तक छात्र, शिक्षक एवं संस्थान तीनों में विभिन्न बिंदुओं पर भ्रम की स्थिति है.



ऐसे बनेंगे NEP सारथी

● यूजीसी इसके लिए कुलपति, निदशेकों से नामांकन मांगेगी.

● प्रत्येक विवि अधिकतम तीन छात्रों को कर सकती है नामित.

● 300 एनईपी सारथी चुने जाएंगे देशभर के विश्वविद्यालय से.

● एनईपी सारथियों को यूजीसी देगी प्रशिक्षण.

● उच्च शिक्षा में विभिन्न कक्षाओं के छात्र होंगे अर्ह.

● शैक्षिक-गैर-शैक्षिक गतिविधियों में प्रतिभाशाली विद्यार्थी होंगे यह.

● चयनित एनईपी सारथी को हाइब्रिड मोड में ट्रेनिंग भी.
एनईपी सारथी का यह काम

● एंबेसडर के रूप में एनईपी-2020 का प्रचार करेंगे.

● एनईपी-2020 को लेकर जागरूकता लाएंगे.

● एनईपी-2020 की सूचनाओं को प्रसारित करेंगे.

● एनईपी-2020 की पहल को सोशल मीडिया पर प्रमोट करेंगे.

● छात्र-छात्राओं से एनईपी को लेकर फीडबैक लेंगे.

● विद्यार्थियों को गाइड करते हुए एनईपी के लाभ बताएंगे.
छात्रों को यह फायदा

● यूजीसी एनईपी सारथी को मान्यता देते हुए सर्टिफिकेट देगा.

● यूजीसी के सोशल मीडिया हैंडल पर एनईपी सारथी को पहचान मिलेगी.

● यूजीसी द्वारा होने वाले कार्यक्रम में सहभागिता.

● यूजीसी न्यूजलेटर में आर्टिकल प्रकाशित कराने का मौका.
चुनौती मूल्यांकन का परिणाम जारी





NEP लागू करने में ‘सारथी’ बनेंगे छात्र, नई शिक्षा नीति के प्रति साथी छात्रों को प्रोत्साहित करेंगे


नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव को विश्वविद्यालयों में सहज तरीके से लागू करने में छात्र ‘सारथी’ की भूमिका निभाएंगे। ये छात्र नई शिक्षा नीति के प्रति साथी छात्रों को प्रोत्साहित करेंगे और इनसे बदलाव के ‘फीडबैक’ भी लिए जाएंगे।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि आयोग, नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत परिवर्तनकारी प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले छात्रों की भूमिका पहचानता है। वे शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।


उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को बदलने के लिए सभी प्रमुख हितधारकों, कुलपतियों, निदेशकों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों और कॉलेजों के प्रधानाचार्यों, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और सबसे महत्वपूर्ण छात्रों की सामूहिक भागीदारी और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।


अध्यक्ष ने बताया कि एनईपी 2020 में उल्लिखित उच्च शिक्षा प्रणाली में विभिन्न सुधारों के बारे में छात्रों की भागीदारी बढ़ाने और जागरूकता पैदा करने के लक्ष्य के साथ, यूजीसी नई पहल सारथी (स्टूडेंट एम्बेसडर फॉर एकेडमिक रिफॉर्म इन ट्रांसफॉर्मिंग हायर एजुकेशन इन इंडिया) की घोषणा कर रहा है। उन्होंने कहा कि एनईपी सारथी भारत में उच्च शिक्षा को बदलने में राजदूत की भूमिका निभाएंगे।



300 एनईपी सारथी का होगा चयन
एनईपी सारथी की संख्या 300 होगी। नामांकन के आधार पर यूजीसी 300 एनईपी सारथी का चयन करेगा। जो छात्र वर्तमान में विभिन्न स्तरों पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे इस पहल में भाग ले सकेंगे।


विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ाएंगे
यूजीसी प्रमुख ने कहा कि इसका उद्देश्य ऐसे वातावरण को बढ़ावा देना है, जहां छात्र सार्थक रूप से बदलाव से जुड़ सकें और एनईपी 2020 के प्रावधानों का प्रभावी उपयोग करने के लिए छात्रों को सक्रिय प्रतिभागियों के रूप में एक साथ लाया जा सके।


तीन को करेंगे नामांकित
इस पहल के तहत यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलपतियों, निदेशकों, प्रधानाचार्यों और शिक्षाविदों से अनुरोध करेगा कि वे अपने संस्थानों से तीन छात्रों को नामांकित करें। किसी भी पाठ्यक्रम के छात्र को एनईपी सारथी के रूप में नामांकित किया जा सकेगा।

हर जिले में कैंप लगाकर यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों की समस्याओं का होगा समाधान, नहीं लगाने होंगे बोर्ड कार्यालयों के चक्कर

हर जिले में कैंप लगाकर यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों की समस्याओं का होगा समाधान, नहीं लगाने होंगे बोर्ड कार्यालयों के चक्कर


माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों को अब अपनी समस्याओं (Problems of UP Board students) के लिए परेशान न होना पड़े. इसके लिए पहली बार माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को जारी किए निर्देश


लखनऊ: माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों को अब अपनी समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रयागराज स्थित निदेशालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे. बल्कि उनकी समस्याओं का निस्तारण उनके जिले स्तर पर ही किया जाएगा. इसके लिए 12 जून से 30 जून तक सभी जिलों में कैंप लगाने के आदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों जारी किए हैं. इन कैंप के माध्यम से यूपी बोर्ड परीक्षा के बाद जिन विद्यार्थियों के मार्कशीट में नाम, माता पिता के नाम, जन्मतिथि आदि त्रुटियों के निस्तारण समय से हो सकेगा.


वहीं संबंधित प्रपत्रों, अभिलेखों का भी समाधान हो सकेगा. यूपी बोर्ड का मानना है कि विलम्ब से समस्याओं का निस्तारण होने से परिषद की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह तो लगता ही है. साथ ही परिषद की छवि धूमिल होने के साथ-साथ विद्यार्थियों व अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में इस प्रकार कुल लगभग 40 हजार से अधिक प्रकरण लंबित हैं, जिनका निस्तारण किया जाना है.


क्षेत्रीय कार्यालयों के चक्कर लगाने से बचेंगे विद्यार्थी: सचिव दिव्य कांत शुक्ला ने बताया कि विद्यार्थियों की समस्या के तत्काल निस्तारण के उद्देश्य से पहली बार यह प्रयास माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किया जा रहा है. इसके लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश की और से परिषद के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिव, समस्त जिला विद्यालय निरीक्षकों एवं समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं.


जनपद स्तर पर लगाये जाने वाले कैम्प की तिथियों का निर्धारण परिषद के सम्बन्धित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विज्ञप्तियों के माध्यम किया जायेगा. इस प्रयास से एक ओर जहां विद्यार्थियों की समस्याओं का तत्काल निस्तारण होगा. वहीं दूसरी ओर उन्हें इसके लिये बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों के अनावश्यक चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. उनकी समस्या का निस्तारण उनके जनपद में ही हो जायेगा.


क्षेत्रीय कार्यालयों की ये होगी जिम्मेदारी

• क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर लम्बित प्रकरणों की जनपदवार, विद्यालयवार सूची तैयार करायी जायेगी

• प्रकरण के निस्तारण के लिए अभिलेखों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जायेगा

• क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर जनपदवार उपसचिव, सहायक सचिव, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें गठित की जायेंगी, जो जनपदों में जाकर प्रकरणों का निस्तारण करायेंगी.


डीआईओएस प्रकरण भी निपटाने की जिम्मेदारी: माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने बताया कि जनपद स्तर पर प्रकरणों का निस्तारण सम्बन्धित जनपदीय अधिकारी, विद्यालय के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक से वांछित अभिलेख प्राप्त कर तत्काल प्रकरण का निस्तारण क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर कर सम्बन्धित विद्यालय को इस निर्देश के साथ संशोधित अंकपत्र, प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने की कार्यवाही सुनिश्चित करने को आदेश दिए गये हैं. अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए सभी समस्याओं का समाधान करने के आदेश दिए गये हैं.


जिला विद्यालय निरीक्षक प्रकरणों के निस्तारण के लिए तिथि, समय एवं स्थान का निर्धारण करेंगे. इसमें सभी जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने जिलों के सम्बन्धित विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक के साथ प्रकरणों से सम्बन्धित परीक्षार्थियों के वांछित विद्यालयीय अभिलेखों सहित जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा निर्दिष्ट तिथि, समय एवं स्थान पर उपस्थित होना सुनिश्चित करेंगे.




अंकपत्र की त्रुटियां ठीक करने छात्रों के पास जाएगा यूपी बोर्ड

40 हजार से ज्यादा लंबित मामले निपटाने को प्रयोग

12 से 30 जून के मध्य जिला स्तर पर लगाए जाएंगे कैंप


प्रयागराज : वर्ष 2023 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा एवं परिणाम में कीर्तिमान रचने के बाद यूपी बोर्ड ने अब अंकपत्रों और प्रमाणपत्रों की त्रुटियां ठीक कराने की दिशा में बड़ा और नया कदम उठाया है। इसके लिए विद्यार्थी अब यूपी बोर्ड नहीं आएंगे, बल्कि यूपी बोर्ड उनके जिले में जाएगा। जिले के किसी विद्यालय में कैंप आयोजित किए जाने के लिए स्थान की व्यवस्था डीआइओएस करेंगे, जिसमें बीएसए के साथ संबंधित दिए हैं। विद्यार्थी के विद्यालय के प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक भी उपलब्ध रहेंगे। प्रथम चरण में यह कैंप 12 से 30 जून के मध्य आयोजित करने के निर्देश यूपी बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने दिए हैं।


उन्होंने बताया है कि बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों में परीक्षार्थियों के नाम, माता-पिता के नाम, जन्मतिथि आदि त्रुटियों के निस्तारण में वांछित प्रपत्रों/ अभिलेखों के अभाव में करीब 40 हजार प्रकरण लंबित हैं। इसके लिए विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को दूर जिले से क्षेत्रीय कार्यालय तक आने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन मामलों के त्वरित निस्तारण के उद्देश्य से विद्यार्थी हित में पहली बार जनपद स्तर पर कैंप लगाने के निर्देश महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिव, सभी डीआइओएस एवं बीएसए को दिए हैं।


जिला स्तर पर लगने वाले कैंप की तिथियों व समय का निर्धारण क्षेत्रीय कार्यालय करेंगे। लंबित प्रकरणों की जनपदवार/विद्यालयवार सूची क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर तैयार कराई जा रही है। निस्तारण में लगने वाले वांछित अभिलेखों की जानकारी सूची में रहेगी, ताकि उसकी व्यवस्था डीआइओएस व बीएसए विद्यालयों के माध्यम से कैंप से पहले करा सकें। क्षेत्रीय कार्यालय से जनपदवार उपसचिव/सहायक सचिव/ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी/ प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें गठित की जाएंगी, कैंप में जाकर प्रकरण निस्तारित कराएंगी।




यूपी बोर्ड : मार्कशीट में त्रुटियों के सुधार के लिए 12 जून से लगेगा कैंप


यूपी बोर्ड का परिणाम जारी होने के बाद मार्कशीट में जन्मतिथि, नाम, माता-पिता के नाम आदि की त्रुटियों में सुधार कराने के लिए विद्यार्थी और अभिभावक बोर्ड के चक्कर लगाते रहते हैं। इसको देखते हुए बोर्ड ने पहली बार जिलों में कैंप लगाकर इस प्रकार की त्रुटियों का त्वरित निस्तारण करने का निर्णय लिया है।





माध्यमिक शिक्षा परिषद की तरफ से सभी पांचों क्षेत्रीय कार्यालयों को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है। इसमें क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों के साथ ही डीआईओएस और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भी इस कार्य में लगाया जाएगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की तरफ से भी निर्देश जारी किया गया है। 12 जून से 30 जून तक जिलों में कैंप लगाकर इस प्रकार की त्रुटियों के निस्तारण का निर्देश दिया गया है।

401 बीफार्मा संस्थानों की खंगाली जाएगी कुंडली, उत्तर प्रदेश शासन ने संस्थानों के भौतिक सत्यापन के दिए निर्देश

401 बीफार्मा संस्थानों की खंगाली जाएगी कुंडली, उत्तर प्रदेश शासन ने संस्थानों के भौतिक सत्यापन के दिए निर्देश



उत्तर प्रदेश शासन ने एकेटीयू से संबद्ध संस्थानों के भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए हैं। इस दायरे में सत्र 2022-23 व उससे पहले शुरू हुए संस्थान जांच के दायरे में आएंगे।

उत्तर प्रदेश में बीफार्मा-डीफार्मा संस्थानों की संबद्धता को लेकर चल रही उठापटक खत्म नहीं हो रही है। शासन ने प्रदेश के 401 बीफार्मा संस्थानों का भौतिक सत्यापन कराने का निर्णय लिया है। यह जांच जिलाधिकारी के माध्यम से प्रशासनिक अधिकारियों से कराई जाएगी। इसके बाद इस पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। इससे प्रदेश भर के फार्मा संस्थानों में हड़कंप मचा हुआ है।



शासन ने सत्र 2022-23 व उससे पहले स्थापित व डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) से संबद्ध बीफार्मा संस्थानों का भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं। इन संस्थानों की शैक्षिण गुणवत्ता सुनिश्चित करने व संस्थानों के निर्धारित मानक के अनुरूप संचालन के लिए भौतिक निरीक्षण कराने का निर्णय लिया गया है। प्राविधिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अन्नावि दिनेश कुमार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को इसके लिए पत्र भेजा है।


उन्होंने कहा है कि शैक्षिक सत्र 2022-23 व उसके पहले स्थापित बीफार्मा संस्थानों का भौतिक सत्यापन कराया जाना है। उन्होंने इन 401 कॉलेजों का नाम, पता, मोबाइल नंबर के साथ सूची सभी डीएम को भेजी है। इन संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता समेत, एनओसी की पूरी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। विशेष सचिव ने कहा है कि शासन ने इन संस्थानों को प्रतिबंधों के साथ अनापत्ति (एनओसी) दी थी कि यदि संस्थानों के प्रपत्रों, स्थलीय जांच में पाए गए तथ्यों व अभिलेखों में समानता नहीं मिलती तो उन पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।


ये होंगे एनओसी जांच के प्रमुख बिंदु
पाठ्यक्रम का नाम, पाठ्यक्रम के लिए सीट, आवेदक संस्था का नाम, आवेदक संस्था की संचालक सोसायटी/ट्रस्ट/संगठन का नाम, संचालक संस्था के पंजीकरण की स्थिति, भूमि से संबंधित विवरण व मालिकाना हक, भवन की उपलब्धता, भूकंप रोधी होने की स्थिति, बिल्डिंग प्लान, क्लास की संख्या, कैंपस की क्षमता, अग्निशमन यंत्र, संस्थान की आर्थिक स्थिति/क्षमता, संस्थान कैंपस व कक्षों में पूर्व से ही संचालित अन्य पाठ्यक्रम, संस्था तक यातायात की सुविधा, बाउंड्रीवाल की स्थिति, सीसीटीवी कैमरों की उपलब्धता, विद्युत, पेयजल, शौचालय, रैंप, छात्राओं व दिव्यांगजनों के लिए सुविधा, एनओसी पत्र का सत्यापन।


तीन सदस्यीय जांच समिति
संबंधित जिले का एसडीएम/तहसीलदार (जिलाधिकारी की ओर से नामित) समिति का अध्यक्ष होगा। वहीं प्राविधिक शिक्षा विभाग के प्रधानाचार्य पॉलीटेक्निक व डीआईओएस/ बीएसए (जिलाधिकारी की ओर से नामित) इसके सदस्य होंगे। जो निर्धारित प्रारूप पर जांचकर अपनी आख्या शासन को भेजेंगे।


पूर्व में दो सत्रों की कराई है जांच
शासन ने इससे पहले सत्र 2022-23 में बीफार्मा व डीफार्मा संस्थानों को दी गई संबद्धता व सत्र 2023-24 के लिए दी गई एनओसी की जांच कराई थी। यह जांच सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कराई गई थी। जानकारी के अनुसार जांच में कमियां मिलने पर 400 से अधिक डीफार्मा संस्थानों की एनओसी निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं बीफार्मा संस्थानों को लेकर अभी तक कार्यवाही नहीं की गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।

सभी शिक्षा बोर्ड में एक समान परीक्षा और मूल्यांकन की तैयारी, मंथन जारी

सभी शिक्षा बोर्ड में एक समान परीक्षा और मूल्यांकन की तैयारी, मंथन जारी


नई दिल्ली। केंद्र सरकार, केंद्र और विभिन्न राज्यों के अलग-अलग शिक्षा बोर्ड के मूल्यांकन की प्रक्रिया में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत समरूपता लाने के लिए सामान्य मूल्यांकन प्रणाली को स्थापित करना चाहता है। इस संबंध में सहमति बनने की स्थिति में देश के सभी स्कूली शिक्षा बोर्ड परीक्षा और आकलन का एक जैसा फॉर्मूला अपना सकते हैं। इस समय देश में 60 बोर्ड हैं। आठ राज्यों में सेकंडरी और सीनियर सेकेंडरी के लिए अलग-अलग बोर्ड हैं।

स्कूल शिक्षा सचिव ने मंगलवार को बताया देश के सभी स्कूली शिक्षा बोर्डों के बीच एकरूपता लाने के लिए गठित परख एजेंसी की अगुवाई में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर मंथन जारी है।



अब सभी 60 स्कूल बोर्ड के लिए एक समान सिस्टम बनेगा, परीक्षा पद्धति और बोर्ड में समानता लाने की तैयारी कर रही केंद्र सरकार


नई दिल्ली। देशभर के छात्रों और अभिभावकों के लिए बड़ी राहत की खबर है सभी 60 शिक्षा बोर्ड के लिए सरकार यूनिफार्म सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत देश के सभी बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया, मूल्यांकन, पाठ्यक्रम और सभी बोर्ड को एक समानता देने की योजना है।


राज्यों की सहमति बन जाती है तो फिर देश के सभी बोर्ड के नाम बेशक अलग होंगे, पर उनका कामकाज एक समान होगा। छात्रों को सबसे अधिक लाभ होगा। शिक्षा मंत्रालय, परख (राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के साथ पिछले दिनों मूल्यांकन पर पहली राष्ट्रीय स्तर की बैठक स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई है।



परीक्षाएं व मूल्यांकन समान होने से छात्रों को मिलेगा लाभ

सभी स्कूल बोर्ड की एक समानता होनी जरूरी है। वर्तमान में देशभर में लगभग 60 स्कूल परीक्षा बोर्ड हैं, जो विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं। हालांकि अलग-अलग परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति होने से छात्रों को परेशानी होती है। इसलिए एक एकीकृत ढांचा स्थापित करना जरूरी है। यह विभिन्न बोर्ड या क्षेत्रों के बीच छात्रों के लिए एक समान व्यवस्था बनाएगा। इसमें पाठ्यक्रम मानकों को संरेखित करना, ग्रेडिंग सिस्टम, और मूल्यांकन के तरीकों में बदलाव की जरूरत है, ताकि विश्वसनीयता, प्रमाणपत्रों की मान्यता और बोडों में प्राप्त ग्रेड को बढ़ाया जा सके। -संजय कुमार, सचिव, स्कूल शिक्षा सचिव, भारत सरकार



एक यूनिफार्म सिस्टम पर राज्यों से मांगी राय

परख को एनसीईआरटी के तहत संगठन के रूप में स्थापित किया गया है। यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूल बोर्डों को एक साझा मंच पर लाने का काम करेगा। पहली बैठक में शिक्षा मंत्रालय और परख द्वारा देश भर में स्कूल मूल्यांकन, परीक्षा पद्धतियों और बोडों की समानता विषय पर बात हुई। इसमें सभी राज्यों से उनके 60 स्कूल बोर्ड को एक यूनिफार्म सिस्टम पर लाने पर उनकी राय मांगी गयी है। 

अभी सभी बोर्ड की अलग- अलग परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति होने से छात्रों को नुकसान होता है। कुछ का रिजल्ट बेहतरीन होता है तो कुछ बोर्ड के छात्रों के अंक अधिक आने के बाद भी उनको प्राथमिकता नहीं मिल पाती है। बैठक में शिक्षा मंत्रालय, सीबीएसई, एनसीईआरटी, एनआईओएस, एनसीवीईटी और एनसीटीई के अलावा राज्य शिक्षा सचिव, राज्य परियोजना निदेशक स्कूल, एससीईआरटी समेत देशभर के प्रदेश परीक्षा बोर्ड के अधिकारी शामिल हुए थे।



देशभर के सभी शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं एक साथ कराने पर मंथन 


प्रयागराज। देशभर के शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं एकसाथ कराने पर मंथन हो रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) नई दिल्ली में पिछले दिनों देश के विभिन्न बोर्ड के अधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। इसका सबसे अधिक फायदा 12वीं के बच्चों को होगा। इस फैसले से उन्हें उच्च शिक्षा में प्रवेश के समय होने वाली परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।




दरअसल इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए जेईई-मेन्स और जेईई-एडवांस जबकि मेडिकल में दाखिले के लिए नीट भी एकसाथ होता है। पिछले साल से सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट (सीयूईटी यूजी) कराने लगी है। 


जबकि विभिन्न बोर्ड की परीक्षाएं अलग-अलग होने से किसी का परिणाम जल्द तो किसी का देरी में आता है। ऐसे में जिन बोर्ड का परिणाम देर में आता है उनके 12वीं के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश के समय कठिनाई होती है।


यह देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सभी बोर्ड के लिए परीक्षा कराने और परिणाम घोषित करने के लिए समयसीमा तय करने पर विचार हो रहा है। ताकि निर्धारित समय में 12वीं तक के रिजल्ट जारी हो जाएं और बच्चों को आगे दाखिले में कठिनाई का सामना न करना पड़े। हालांकि एनसीईआरटी दिल्ली में हुई बैठक में कम बोर्ड के प्रतिनिधियों के पहुंचने के कारण अभी इस पर कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। लेकिन आने वाले दिनों में फिर से इस पर बैठक बुलाने पर सहमति बनी है।


शीर्ष अधिकारियों ने की यूपी बोर्ड की तारीफ

एनसीईआरटी नई दिल्ली में बैठक के दौरान यूपी बोर्ड की तारीफ हुई। देश में परीक्षार्थियों की 10वीं-12वीं की परीक्षा समय से कराने और परिणाम देने पर शीर्ष अधिकारियों ने यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल समेत पूरी टीम की सराहना की।

महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता –हाईकोर्ट

महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता –हाईकोर्ट


नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कहा है कि महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता यानी मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने दो वर्षीय मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमईडी) की पढ़ाई कर रही महिला को राहत देते हुए यह टिप्पणी की।


 इसके साथ ही, न्यायालय ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता महिला को एमईडी पाठ्यक्रम की कक्षा में उपस्थिति में छूट देने के लिए मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था।


जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने विश्वविद्यालय के प्रबंधन के 28 फरवरी, 2023 के आदेश को रद्द करते हुए, याचिकाकर्ता महिल को 59 दिन की मातृत्व अवकाश का लाभ देने को कहा है। इस आदेश के जरिए कक्षा में कम उपस्थिति को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय के डीन ने महिला को मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इनकार कर दिया था। 


न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि नागरिकों को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा मातृत्व अवकाश का लाभ दिए जाने से इनकार के बाद महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। महिला की ओर से अधिवक्ता भवांशू शर्मा ने यूजीसी को स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई करने वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश के लिए समुचित नीति का आदेश देने की मांग की थी।



संविधान ने एक की परिकल्पना की है, जहां नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं और के समाज के साथ-साथ राज्य भी उनके अधिकारों की अभिव्यक्ति की अनुमति देगा। - हाईकोर्ट, (फैसले में की टिप्पणी)


59 दिन की छुट्टी का आदेश

उच्च न्यायालय ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता महिला को 59 दिन मातृत्व अवकाश का लाभ दे। साथ ही कहा है कि यदि 59 दिन की मातृत्व अवकाश के लाभ देने के बाद कक्षा में उनकी उपस्थिति 80 फीसदी पूरी होती है तो उन्हें परीक्षा में शामिल होने दिया जाए।


पढ़ो या बच्चे पैदा करो, बाध्य नहीं कर सकते

दिल्ली हाईकोर्ट ने एमएड की छात्रा को मातृत्व अवकाश का लाभ देने के साथ ही परीक्षा में भी बैठने की अनुमति देने का आदेश दिया


नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं को पढ़ने या बच्चे पैदा करने में से कोई एक विकल्प चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस अहम टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने एमएड की एक छात्रा को मातृत्व अवकाश का लाभ देने और आवश्यक उपस्थिति पूरी होने पर परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश भी दिया। 


जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने हाल ही में एमएड छात्रा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान ने एक समतावादी समाज की परिकल्पना की है, जिसमें नागरिक अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। समाज के साथ-साथ राज्य भी उन्हें इसकी अनुमति देता है। कोर्ट ने आगे कहा कि सांविधानिक व्यवस्था के मुताबिक किसी को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच किसी एक का चयन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।


मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इन्कार : कक्षा में आवश्यक रूप से उपस्थिति मानक पूरा करने को आधार बनाकर प्रबंधन ने याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


यूनिवर्सिटी प्रबंधन का फैसला रद्द

हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन का फरवरी, 2023 का फैसला रद्द करते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता को 59 दिन के मातृत्व अवकाश का लाभ देने पर पुनर्विचार करे। साथ ही, निर्देश दिया कि अगर इसके बाद कक्षा में आवश्यक 80 प्रतिशत उपस्थिति का मानक पूरा होता है तो उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।


यह है मामला
महिला याचिकाकर्ता ने दिसंबर, 2021 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में दो साल के एमएड  कोर्स के लिए दाखिला लिया था। उन्होंने मातृत्व अवकाश के लिए यूनिवर्सिटी डीन और कुलपति के पास आवेदन किया था। इसे 28 फरवरी को खारिज कर दिया गया।

Tuesday, May 30, 2023

DGSE की अध्यक्षता में दिनांक 07 जून को आयोजित मासिक समीक्षा बैठक के सम्बन्ध में सूचना प्रेषित किये जाने विषयक वित्त नियंत्रक (माध्यमिक) का पत्र।

DGSE की अध्यक्षता में दिनांक 07 जून को आयोजित मासिक समीक्षा बैठक के सम्बन्ध में सूचना प्रेषित किये जाने विषयक वित्त नियंत्रक (माध्यमिक) का पत्र।



BEd Admit Card : छह जून से डाउनलोड किए जा सकेंगे बीएड के प्रवेश पत्र

BEd Admit Card : छह जून से डाउनलोड किए जा सकेंगे बीएड के प्रवेश पत्र



झांसी। बुंदेलखंड विवि ने 15 जून को होने वाली बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा की तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रदेशभर में 1108 केंद्रों पर परीक्षा होगी। वहीं छह जून से प्रवेश पत्र डाउनलोड किए जा सकेंगे।


बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2023 के लिए इस बार कुल 4,72,882 आवेदन आए थे। प्रयागराज में 108 केंद्रों पर बीएड की प्रवेश परीक्षा होगी। झांसी में प्रवेश परीक्षा के लिए 13 परीक्षा केंद्र निर्धारित हुए हैं। 


एक परीक्षा केंद्र पर 200 से 500 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। प्रवेश परीक्षा के लिए छह जून से प्रवेश पत्र जारी कर दिए जाएंगे। परीक्षार्थी ऑनलाइन बीयू की वेबसाइट www.bujhansi.ac.in से प्रवेश पत्र से डाउनलोड कर सकते हैं।

Monday, May 29, 2023

देश में सबसे अभागे यूपी के शिक्षामित्र, छह साल से दस हजार रुपये मानदेय पर कर रहे गुजारा, अन्य कई राज्यों में ज्यादा मिल रहा मानदेय

छह साल से शिक्षामित्रों के मानदेय में नहीं हुई बढ़ोत्तरी 

देश में सबसे अभागे यूपी के शिक्षामित्र, छह साल से दस हजार रुपये मानदेय पर कर रहे गुजारा, अन्य कई राज्यों में ज्यादा मिल रहा मानदेय



प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में दो दशक से अधिक समय से बच्चों को पढ़ा रहे उत्तर प्रदेश के एक लाख से अधिक शिक्षामित्र पूरे देश में सबसे अभागे हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत दो दशक पहले पूरे देश में तकरीबन 7.5 लाख संविदा शिक्षक (शिक्षामित्र ) रखे गए थे। 


इस दौरान कई राज्यों में ये संविदा शिक्षक पूर्ण शिक्षक बन गए हैं तो तमाम राज्यों में इनका मानदेय बढ़ गया है, लेकिन यूपी के शिक्षामित्र साल में 11 महीने दस हजार रुपये मानदेय पर बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं। पिछले तकरीबन छह साल में इनके मानदेय में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है।


महाराष्ट्र में बस्तीशाला शिक्षक, हिमाचल में पैट (प्राइमरी असिस्टेंट टीचर) और मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मी के रूप में नियमित शिक्षक बना दिया गया है। बिहार में 2006 में ही समायोजित कर दिया गया था और फिलहाल इन्हें 35 से 48 हजार रुपये तक मानदेय मिल रहा है। वर्तमान में राजस्थान में नौ और 18 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षा अनुदेशकों को क्रमशः 29600 व 51000 मासिक पारिश्रमिक जबकि हरियाणा में गेस्ट टीचर के पद पर कार्यरत संविदा शिक्षकों को 34580 रुपये मिल रहे हैं। पंजाब में 11 हजार मानदेय मिल रहा है और 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले अस्थाई शिक्षकों को नियमित करने प्रक्रिया चल रही है। 


उत्तराखंड में शिक्षामित्रों को 20 हजार तो पश्चिम बंगाल में 15 हजार मानदेय दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को 1.37 लाख शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को निरस्त कर दिया था। उसके बाद शिक्षामित्रों ने 12 माह का मानदेय देने, सेवाकाल 62 वर्ष करने, मानदेय बढ़ाने, निःशुल्क चिकित्सा सुविधा आदि मांगों को लेकर आंदोलन किया था। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अगस्त 2017 में मानदेय 3500 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार कर दिया था।


एमडीएम की परिवर्तन लागत भी 32 प्रतिशत तक बढ़ी

पिछले छह साल में केंद्र सरकार ने आठवीं तक के स्कूलों में निःशुल्क बंटने वाले | मिड-डे-मील की परिवर्तन लागत (कन्वर्जन कास्ट) में 32 फीसदी तक की वृद्धि कर दी है। प्राथमिक विद्यालय के एक बच्चे पर 5.45 जबकि उच्च प्राथमिक में 8.17 रुपये परिवर्तन लागत के लिए मिल रहे हैं। लेकिन शिक्षामित्रों का मानदेय नहीं बढ़ा। 2017 में सीएम योगी ने उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान के लिए हाईपावर कमेटी गठित की थी। लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है।



जुलाई 2017 में शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद दस हजार मानदेय निर्धारित किया गया था, परंतु छ: वर्ष से कोई वृद्धि नहीं हुई है। शिक्षामित्र आखिर कब तक शिक्षक के बराबर कार्य करने के बाद भी दस हजार मानदेय में ही जीवन यापन करेंगे। - कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री, प्राथमिक शिक्षामित्र संघ



फैक्ट फाइल

■ 26 मई 1999 को यूपी में शिक्षामित्र योजना लागू हुई।

■ अक्तूबर 2005 में मानदेय 2250 रुपये से बढ़कर 2400 हुआ।

■ 15 जून 2007 को मानदेय 2400 रुपये से बढ़कर 3000 हुआ।

■ 11 जुलाई 2011 को शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण का आदेश । 

■ 23 जुलाई 2012 को कैबिनेट ने समायोजन का निर्णय लिया।

■ 19 जून 2014 को प्रथम बैच में 60442 शिक्षामित्रों का समायोजन।

■ 8 अप्रैल 2015 को 77075 शिक्षामित्रों का समायोजन किया गया। 

■ 6 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन पर रोक लगाई।

■ 12 सितंबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त किया।

■ 7 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई।

■ 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को गैरकानूनी ठहराया। 

■ अगस्त 2017 में मानदेय 3500 से बढ़कर 10 हजार रुपये किया गया।

Top-10 University of India : ये हैं भारत की टॉप-10 यूनिवर्सिटी, CUET के अभ्यर्थियों के लिए जरूरी जानकारी

Top-10 University of India : ये हैं भारत की टॉप-10 यूनिवर्सिटी, CUET के अभ्यर्थियों के लिए जरूरी जानकारी 



इस वक्त देशभर की सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एडमिशन एंट्रेस टेस्ट (CUET) आयोजित किए जा रहे हैं। परीक्षा के बाद रिजल्ट जारी किया जाएगा। जिसके बाद छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा। ऐसे में अभ्यर्थी देश की टॉप-10 यूनिवर्सिटीज के बार में जरूर जान लें, ताकि एडमिशन के दौरान गतलियां न हों...


​JUN, नई दिल्ली
सीयूईटी एंट्रेंस क्लियर करने के बाद छात्र जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले सकते हैं। यह यूनिवर्सिटी भारत की नंबर-1 यूनिवर्सिटी है। फीस आदि की जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक किया ज सकता है।


​बीएचयू​, बनारस
छात्र बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से भी ग्रेजुएशन कर सकते हैं। NIRF 2022 की रैंकिंग में इस यूनिवर्सिटी को दूसरा स्थान प्राप्त है। यह यूनिवर्सिटी वाराणसी में स्थित है। इसको मदन मोहन मालवीय ने बनवाया था।


​AMU​ अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसे मूल रूप से सर सैयद अहमद खान द्वारा 1875 में मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया था। मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया। ऐसे में छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी एडमिशन ले सकते हैं।


​हैदराबाद विवि​
इसका स्थान 5वां है। ऐसे में सीयूईटी के बाद छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी एडमिशन ले सकते हैं। यहां पर यूजी के कई कोर्स संचालित किए जाते हैं। यह यूनिवर्सिटी हैदराबाद में स्थित है।


​दिल्ली यूनिवर्सिटी​
छात्र सीयूईटी क्लियर करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश ले सकते हैं। इससे पहले डीयू के सभी कॉलेजों में 12वीं के अंकों के आधार पर एडमिशन दिया जाता था। लेकिन अब सीयूईटी के जरिए प्रवेश दिया जाएगा।


​जामिया मिलिया इस्लामिया
जामिया मिलिया इस्लामिया ने 1920 में अलीगढ़ में अपने संस्थापक सदस्यों - शैखुल हिंद मौलाना महमूद हसन, मौलाना मुहम्मद अली जौहर, जेनाब हकीम अजमल खान, डॉ मुख्तार अहमद अंसारी, जेनाब अब्दुल मजीद ख्वाजा, और के दृढ़ संकल्प के साथ एक मामूली शुरुआत की। बाद में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला है। इसका स्थान चौथा है। ऐसे में छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश ले सकते हैं।


​सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब
सीयूईटी क्लियर कर चुके छात्र, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब में भी एडमिशन ले सकते हैं। यह यूनिवर्सिटी भी टॉप-10 यूनिवर्सिटी में शामिल है। यहां पर अच्छे प्रोफेसर्स द्वारा शिक्षा दी जाती है।


​सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान
अजमेर के एनएच-8 पर स्थित इस यूनिवर्सिटी में भी छात्र प्रवेश ले सकते हैं। इस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। अधिक जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक किया जा सकता है।


​विश्वभारती यूनिवर्सिटी​
यह यूनिवर्सिटी केरल में स्थित है। सीयूईटी क्लियर करने के बाद छात्र इस यूनिवर्सिटी में भी प्रवेश ले सकते हैं। इसका कैम्पस कई वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।


​EFLU​, हैदराबाद 
अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय EFLU के रूप में जाना जाता है । यह यूनिवर्सिटी हैदराबाद में स्थित है। यह भारत में स्थित अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है ।यह एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो दक्षिण एशिया में भाषाओं को समर्पित है । ऐसे में छात्र यहां पर सीयूईटी क्लियर करने बाद प्रवेश के बारे में सोच सकते हैं। अधिक जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक किया जा सकता है।


राजकीय और परिषदीय विद्यालयों में खुलेंगे उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज के अध्ययन केंद्र

राजकीय और परिषदीय विद्यालयों में खुलेंगे उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज के अध्ययन केंद्र 


जो छात्र किन्हीं कारणोंवश शिक्षा की मुख्य धारा से दूर हो चुके हैं उन छात्रों के लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद, प्रयागराज की ओर से राजकीय, परिषदीय, सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अपने अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाने की योजना बनायी गयी है।


 इसमें शिक्षा से दूर हो चुके छात्र मुक्त विद्यालय की तर्ज पर शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। परिषद के सचिव की ओर से डीआईओएस को इसको लेकर निर्देश भी जारी किए गए हैं। शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ो की तादाद में बच्चे शिक्षा की मुख्य धारा से दूर हैं। परिषदीय शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए बेशक महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं मगर ऐसे बच्चों की कमंीं नही है जो कि अल्प समय में ही शिक्षा से दूर हो जाते हैं। 


ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने को शिक्षा मंत्रालय की ओर से पहल की गयी है जिससे कि पढ़ाई से दूरी बनाने वाले छात्र छात्राओं को इसका लाभ मिल सके। राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की ओर से दूरस्थ शिक्षा में उच्चतर माध्यमिक स्तर तक के सभी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को योजना बनायी गयी है। इसमें किसी भी स्तर से कोई भी छात्र, छात्रा शिक्षा से वंचित न रहे । 


इसी के अंतर्गत सभी विद्यालयों में उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज का अध्ययन केंद्र स्थापित किया जाना है। शिक्षा से विमुख हो चुके छात्र छात्राओं को अध्ययन केंद्र के माध्यम से शिक्षित कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। 


 राजकीय, परिषदीय, सहायता प्राप्त एवं मान्यता प्राप्त विद्यालयों सहित अन्य केंद्रों में परिषद का अध्ययन केंद्र स्थापित किया जायेगा। बताया जा रहा है कि परिषद के सचिव राकेश कुमार का पत्र मिला है। पत्र के आधार पर अग्रिम कार्रवाई क ी जा रही है।

UP Madarsa Board Exam: अगले साल से मदरसों में नहीं होंगी बोर्ड परीक्षाएं, सरकारी इंटरमीडिएट कालेजों में परीक्षा केन्द्र बनाने पर हो रहा विचार

UP Madarsa Board Exam: अगले साल से मदरसों में नहीं होंगी बोर्ड परीक्षाएं, सरकारी इंटरमीडिएट कालेजों में परीक्षा केन्द्र बनाने पर हो रहा विचार 


UP Madarsa Board Exam 2023: उत्तर प्रदेश में मदरसा बोर्ड एग्जाम को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. कहा जा रहा है कि अगले साल मदरसा बोर्ड के एग्जाम मदरसों में नहीं लिए जाएंगे. इसके लिए इंटरमीडिएट कालेज का इंतेजाम किया जाएगा. 


Madarsa Board Exam 2023: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड मदरसों के बजाय इंटरमीडिएट कॉलेजों को एग्जाम सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने पर गौर कर रहा है. अफसरों ने कहा कि इस संबंध में आखिरी फैसला जुलाई में होने वाली बोर्ड की मीटिंग में लिया जाएगा. मदरसा बोर्ड के सदस्य कमर अली और परीक्षा नियंत्रण कक्ष (लखनऊ में स्थापित) के इंचार्ज ने न्यूज एजेंसी को बताया,"अगले सेशन से, बोर्ड मदरसों के बजाय सरकारी इंटरमीडिएट कॉलेजों को एग्जाम सेंटर बनाने पर गौर कर रहा है. इस संबंध में आखिरी फैसला जुलाई में होने वाली बोर्ड की मीटिंग में लिया जाएगा."


उन्होंने कहा कि अब तक मदरसा बोर्ड के एग्जाम मदरसों में ही होते थे. "हालांकि, यह देखा गया कि इंटरनेट कनेक्टिविटी और अन्य व्यावहारिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा, मदरसों के प्रिंसिपल और मैनेजरों ने संसाधन की कमी का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की. इंटरमीडिएट के कॉलेज एग्जाम नहीं होने का रास्ता नहीं अपना सकते." इससे नकल मुक्त परीक्षा कराने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मकसद की भी पूर्ति होगी.


अली ने कहा कि अगले साल से जिले के सभी एग्जाम सेंटर्स को अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की निगरानी वाले कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा. ये कंट्रोल रूम मदरसा बोर्ड के कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे और किसी तरह की गड़बड़ी होने पर अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा.


उन्होंने कहा, "इस वक्त 539 एग्जाम सेंटर हैं जहां मदरसा बोर्ड के एग्जाम होते हैं. एक ही वक्त में सभी सेंटर्स पर एग्जाम की निगरानी मुमकिन नहीं है और अगले साल से इसे मंडलवार आयोजित किया जाएगा. इससे विसंगतियों की आसानी से पहचान करने में मदद मिलेगी."


उन्होंने कहा कि लखनऊ, कन्नौज, अलीगढ़, आजमगढ़, मऊ और अंबेडकर नगर में हुई परीक्षाओं के दौरान कुछ कमियां पाई गईं, क्योंकि परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी और ड्यूटी पर तैनात लोग कथित तौर पर ड्यूटी से गायब थे. राज्य में 16,531 मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं. इनमें से 558 सरकारी सहायता प्राप्त हैं.

गरीब बच्चों का ऐसे हक मार रहे निजी स्कूल, 25% सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को देना होता है दाखिला, इसलिए स्कूल आरटीई पोर्टल पर कुल सीटें ही कम दिखा रहे

कक्षा-1 में एक सीट, उस पर भी आरटीई से दाखिला, ये दरियादिली नहीं, निजी स्कूलों का घालमेल है...

गरीब बच्चों का ऐसे हक मार रहे स्कूल

25% सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को देना होता है दाखिला, इसलिए स्कूल आरटीई पोर्टल पर कुल सीटें ही कम दिखा रहे



लखनऊ। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को दाखिला न देना पड़े, इसके लिए निजी स्कूलों ने राजधानी लखनऊ में शासन की नाक के नीचे ही नया खेल शुरू कर दिया है। कई स्कूल ऐसे हैं जो आरटीई पोर्टल पर अपने यहां कक्षा एक की कुल सीटों की संख्या ही कम दर्शा रहे हैं। आरटीई पोर्टल से पता चलता है कि राजधानी में कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें कक्षा एक की कुल सीटें 10 से कम हैं, जबकि 30 से कम सीट किसी भी विद्यालय को आवंटित नहीं होती।


निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी निजी स्कूलों को अपने यहां की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को निशुल्क दाखिला देना है। इनकी फीस प्रतिपूर्ति सरकार करती है। पर, फीस प्रतिपूर्ति की रकम सरकारी मानकों के हिसाब से होती है। लिहाजा यह निजी स्कूलों के लिए घाटे का सौदा होता है।


आरटीई के तहत दाखिला के लिए आवेदन ऑनलाइन आते हैं। विद्यालयों को बच्चों का आवंटन लॉटरी से होता है। चूंकि, पोर्टल पर दर्ज विद्यालयों की 25 फीसदी सीट पर ही निशुल्क दाखिले के लिए सीट का आवंटन हो सकता है, ऐसे में स्कूल कक्षा एक की कुल सीटों की संख्या में ही हेरफेर कर रहे हैं। गरीब बच्चों का हक मारकर बची सीटों पर स्कूल सुविधा संपन्न घरों के बच्चों को दाखिला देते हैं।



गरीब बच्चों का ऐसे हक मार रहे स्कूल


उदाहरण: 1 बेसिक शिक्षा विभाग के पोर्टल पर चिनहट के स्टडी होम स्कूल में कक्षा एक में महज एक सीट होने की सूचना दर्ज है। यह सीट भी आरटीई के तहत निशुल्क दाखिले के लिए आवंटित है। इसी तरह ओमनगर के नेशनल पब्लिक इंटरनेशनल स्कूल में कुल तीन सीट होने की सूचना दर्ज है। इसमें से आरटीई के लिए एक सीट है और उस पर दाखिला भी हो चुका है।


उदाहरण: 2 आरटीई पोर्टल के अनुसार मलिहाबाद के डॉ. आंबेडकर ज्ञान पब्लिक स्कूल में सिर्फ तीन सीटें हैं। 25 फीसदी के हिसाब से इसमें से एक सीट आरटीई के तहत दाखिले के लिए है और उस पर आवंटन भी है।


उदाहरण: 3 मल्लाही टोला वार्ड के सिटी इंटरनेशनल स्कूल में महज दो सीटें होने की सूचना आरटीई के पोर्टल पर दर्ज है। इस लिहाज से आरटीई के लिए यहां एक सीट है। इस एक सीट पर दावेदार बच्चे के दाखिले की सूचना दर्ज है।



दूर कराएंगे खामी

पहली लॉटरी के समय पोर्टल पर स्कूलों की फीडिंग की गई थी। इसमें कुछ गड़बड़ी है। दूसरी लॉटरी से पहले बैठक करके सीटों की संख्या को दुरुस्त कराया जाएगा। -अरुण कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी


रेगुलर PhD को पार्ट टाइम में बदल सकेंगे छात्र, नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहा अध्यादेश

रेगुलर PhD को पार्ट टाइम में बदल सकेंगे छात्र, नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहा अध्यादेश



अब किसी भी पीएचडी छात्र की द्वितीय या तृतीय वर्ष में नौकरी लग जाने पर उसे रेजिडेंस पीरियड पूरा करने के लिए बाध्य नहीं होना पडेगा। वह आसानी से अपने रेगुलर पीएचडी प्रोग्राम को पार्ट टाइम में बदल सकेगा।

अब किसी भी पीएचडी छात्र की द्वितीय या तृतीय वर्ष में नौकरी लग जाने पर उसे रेजिडेंस पीरियड पूरा करने के लिए बाध्य नहीं होना पडेगा। वह आसानी से अपने रेगुलर पीएचडी प्रोग्राम को पार्ट टाइम में बदल सकेगा। इस बिंदु को लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा अपने संशोधित पीएचडी अध्यादेश में शामिल किया जा सकता है। इसे संशोधित अध्यादेश तैयार करने वाली कमेटी की आगामी बैठक में रखा जाएगा। 


अभी तक किसी भी शोधार्थी को नौकरी लग जाने के बावजूद दो साल का रेजिडेंस पीरियड़ पूरा करना पड़ता है। इससे शोधार्थी को कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। जिसको लेकर कुछ शोधार्थियों ने एलयू की अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. पूनम टंडन को पत्र व ई-मेल भेजा है।


 इसमें उन्होंने दूसरे विश्वविद्यालयों का हवाला देते हुए एलयू में भी इसे लागू करने का अनुरोध किया है। जिससे नौकरी मिलने पर शोधार्थी को बार-बार विश्वविद्यालय के चक्कर न लगाना पड़े। साथ ही उन्हें पीएचडी की डिग्री भी मिल जाए। गौरतलब है कि संशोधित पीएचडी अध्यादेश के हिसाब से ही एलयू में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिले की बात है।


एलयू के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने कहा कि आईआईटी धनबाद सहित कई संस्थान व यूनवर्सिटी हैं जहां यह व्यवस्था है। एनईपी-2020 के तहत संशोधित पीएचडी अध्यादेश तैयार हो रहा है। 

शिक्षकों के जिले के अंदर ही नहीं पारस्परिक तबादले भी फंसे, शासन ने जनवरी में जारी किया था इसके लिए आदेश, छुट्टियों में पूरी होनी थी इसकी प्रक्रिया

शिक्षकों के जिले के अंदर ही नहीं पारस्परिक तबादले भी फंसे

शासन ने जनवरी में जारी किया था इसके लिए आदेश

गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में पूरी होनी थी इसकी प्रक्रिया



लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में तैनात शिक्षकों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। विभाग न तो जिले के अंदर तबादले की प्रक्रिया शुरू कर रहा है न ही पारस्परिक तबादले की। जबकि इसको गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में पूरा किया जाना था । इसे लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी है।


जनवरी में शासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का जिले के अंदर पारस्परिक तबादला किया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कभी भी किए जा सकेंगे। किंतु तबादले साल में दो बार गर्मी व जाड़े की छुट्टी के दौरान ही किए जाएंगे। इसके लिए डायट प्राचार्य की अध्यक्षता वाली कमेटी होगी। इसमें डीआईओएस, बीएसए व वित्त एवं लेखाधिकारी भी होंगे। 


लेकिन विभाग इस आदेश को भी जारी कर भूल गया। शिक्षकों का कहना है कि गर्मी की छुट्टियां शुरू हुए एक सप्ताह से अधिक बीत गया, लेकिन इसके लिए कार्यवाही शुरू नहीं की गई।


शिक्षकों की वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई है। अब इन शिक्षकों को नए स्कूलों का आवंटन किया जाएगा। इसके बाद रिक्तियों की जानकारी मिलने पर जिले के अंदर तबादला प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं जिले में परस्पर तबादला की प्रक्रिया जल्द ही गर्मी की छुट्टियों में शुरू करेंगे। - विजय किरन आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा

29334 विज्ञान गणित शिक्षक भर्ती में एक दशक की लड़ाई के बाद सहायक अध्यापक बनने की जगी उम्मीद

29334 विज्ञान गणित शिक्षक भर्ती में एक दशक की लड़ाई के बाद सहायक अध्यापक बनने की जगी उम्मीद


प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में गणित व विज्ञान विषय की 29334 सहायक अध्यापक भर्ती की लड़ाई लड़ रहे बेरोजगारों को एक दशक बाद नियुक्ति की आस जगी है। 13 जुलाई 2013 को शुरू हुई इस भर्ती में खाली रह गए छह हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला अगस्त महीने में आएगा।


प्रयागराज के अभ्यर्थी मनोज कुमार और अलीगढ़ के आलोक चौधरी का कहना है कि प्रदेश सरकार ने 23 मार्च 2017 को मौखिक आदेश से यह भर्ती रोक दी थी। इसके खिलाफ पीड़ित अभ्यर्थियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने मौखिक आदेश को दरकिनार करते हुए दो महीने में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार ने आदेश नहीं माना और हाईकोर्ट में ही स्पेशल अपील और पुनर्विचार याचिकाएं दायर कर दीं।


हालांकि दोनों ही याचिकाएं खारिज हो गईं। इसके बाद अभ्यर्थियों ने भर्ती न होने पर अवमानना याचिका दाखिल कर दी।


सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में छह दिसंबर 2018 को काउंसिलिंग करवा चुके और हाईकोर्ट में याचिका करने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की बात कही थी। लेकिन बाद में सरकार की ओर से मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल अपील दायर कर दी गई।

अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों एवं राजकीय संस्कृत विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2023-24 एवं 2024-25 (ग्रीष्मावकाश की अवधि को छोड़कर) अथवा नियमित चयनित शिक्षक के आने तक जो भी पहले हो नितान्त अस्थायी रूप से मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था किए जाने के सम्बन्ध में

संस्कृत स्कूलों में मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति की समय सारिणी जारी

तीन जून तक डीआईओएस जारी करेंगे विज्ञापन, 19 तक आवेदन

31 जुलाई तक 850 मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति की पूरी होगी कार्यवाही

जुलाई तक संस्कृत विद्यालयों को मिलेंगे 850 मानदेय शिक्षक


लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत स्कूलों व राजकीय संस्कृत विद्यालयों में 850 मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति की समयसारिणी जारी कर दी गई है। इसके मुताबिक 31 जुलाई तक भर्ती कार्यवाही पूरी की जाएगी। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

शासन की ओर से जारी समय सारिणी के अनुसार 30 मई तक विद्यालय खाली पदों की सूचना डीआईओएस को भेजेंगे। इसी बीच डीएम चयन समिति का गठन करेंगे 1 विज्ञापन तीन जून तक जारी कर 19 जून तक आवेदन लिए जाएंगे। आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी व शैक्षिक गुणांक 24 जून तक तैयार कर साक्षात्कार के लिए अभ्यर्थियों को पत्र भेजा जाएगा। छह जुलाई तक साक्षात्कार होंगे। इसका परिणाम व नियुक्ति पत्र 16 जुलाई तक जारी किया जाएगा। 31 जुलाई तक चयनित अभ्यर्थियों को संस्थान में ज्वाइनिंग करा दी जाएगी। ताकि नए सत्र की शुरुआत के साथ ही इन शिक्षकों से पठन-पाठन शुरू कराया जा सके।


पारदर्शी होगी नियुक्ति प्रक्रिया

अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी हो, इसके लिए अभ्यर्थियों के शैक्षिक व साक्षात्कार गुणांक को वेबसाइट पर दिखाया जाएगा। पूरी प्रक्रिया के लिए मंडल स्तर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक नोडल अधिकारी होंगे। चयन प्रक्रिया की शुचिता व पारदर्शिता की जिम्मेदारी मंडलायुक्त व डीएम की होगी। यदि कोई सेवानिवृत्त शिक्षक शिक्षण कार्य कर रहा है तो उसे हटाया नहीं जाएगा। उसके पद को घटाकर विज्ञापन जारी किया जाएगा। शिक्षा निदेशक माध्यमिक के अनुमोदन के बाद ही मानदेय पर चयनित शिक्षकों का वेतन जारी होगा।


लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों व राजकीय संस्कृत विद्यालयों में कैबिनेट की हरी झंडी के बाद लगभग 850 मानदेय शिक्षकों को रखे जाने की कार्यवाही तेज हो गई है। शासन ने इसके लिए विस्तृत समयसारिणी जारी कर दी है। 31 जुलाई तक भर्ती कार्यवाही पूरी करनी है, ताकि नए सत्र की शुरुआत के साथ ही इन शिक्षकों से पठन-पाठन शुरू कराया जा सके। शासन की ओर से जारी समय सारिणी के अनुसार 30 मई तक विद्यालय खाली पदों की सूचना जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईएस) को भेजेंगे। 


अस्थाई संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया तीन जून से, आवेदन की अंतिम तिथि 19 जून


लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों एवं राजकीय संस्कृत विद्यालयों में अस्थाई रूप से मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इस सम्बन्ध में बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से सर्कुलर जारी कर दिए गए हैं। इसकी प्रक्रिया तीन जून से शुरू हो जाएगी।

आवेदन की अंतिम तिथि 19 जून है जबकि 24 जून तक स्क्रूटनी होगी। छह जुलाई तक साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और 16 जुलाई तक नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाएंगे। 31 जुलाई तक चयनित अभ्यर्थियों को संस्थानों में योगदान करा दिया जाएगा। पिछले दिनों कैबिनेट ने अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी।


अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों एवं राजकीय संस्कृत विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2023-24 एवं 2024-25 (ग्रीष्मावकाश की अवधि को छोड़कर) अथवा नियमित चयनित शिक्षक के आने तक जो भी पहले हो नितान्त अस्थायी रूप से मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था किए जाने के सम्बन्ध में


Sunday, May 28, 2023

सरकारी स्कूल की किशोरियों को मुफ्त सेनेटरी पैड के लिए 30 करोड़ मंजूर

सरकारी स्कूल की किशोरियों को मुफ्त सेनेटरी पैड के लिए 30 करोड़ मंजूर



लखनऊ। छात्राओं की सेहत के लिए नेशनल हेल्थ मिशन ने अहम कदम उठाया है। राष्ट्रीय किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी पैड उपलब्ध कराया जाएगा। सेनेटरी पैड छात्राओं को मुफ्त दिया जाएगा।



सरकारी स्कूल की कक्षा छह से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी पैड मुहैया कराए जाएंगे।


 शिक्षा विभाग की तरफ से 26,27,176 छात्राओं की सूची एनएचएम को सौपी गई है। इसमें कक्षा छह से आठ में 22,90,798 छात्राएं हैं। 3,36,378 छात्राएं हैं।


 इन छात्राओं को सेनेटरी पैड देने के लिए 30 करोड़ रुपये बजट आवंटित किया गया है। अफसरों का कहना है कि पैड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग खरीदेगा।

बेसिक शिक्षकों की अन्तः जनपदीय स्थानान्तरण की प्रक्रिया अब तक नहीं हो पाई, तबादले को लेकर शिक्षकों के बीच बनी हुई है भारी संशय की स्थिति

बेसिक शिक्षकों की अन्तः जनपदीय स्थानान्तरण की प्रक्रिया अब तक नहीं हो पाई

शिक्षकों के जिलों के भीतर तबादले की प्रक्रिया फंसी

28 अप्रैल  पोर्टल को लाइव किया जाना था, 23 से 29 मई तक भरे जाने थे ऑनलाइन फार्म

तबादले को लेकर शिक्षकों के बीच बनी हुई है भारी संशय की स्थिति



लखनऊ । प्रदेश में बेसिक शिक्षकों की अन्तः जनपदीय स्थानान्तरण के साथ अब पारस्परिक अन्तः जनपदीय तबादले की प्रक्रिया भी अटकती नजर आ रही है। बेसिक शिक्षा परिषद ने अब इस कार्य को शिक्षकों की ज्येष्ठता सूची के आधार पर प्रोन्नति आदेश जारी होने के बाद शुरू करने का निर्णय किया है। मजे की बात यह है कि शिक्षकों की ज्येष्ठता सूची भी तमाम तरह की त्रुटियों की शिकायतों के कारण अटक गई है। ऐसे में तबादले को लेकर शिक्षकों के बीच भारी संशय की स्थिति बनी हुई है।


हताश शिक्षक  कहते हैं कि शासन अपने ही आदेश को समय से पूरा नही करा पा रहा। अधिकारी जान बूझ कर समय से शिक्षकों की समस्याओं को हल करने और उलझा रहें हैं। एक दशक बाद शिक्षको में यह उम्मीद जगी थी कि अन्तः जनपदीय पारस्परिक ट्रान्सफर में वह अपने परिवार के नज़दीक आ जायेंगे, परन्तु विभागीय उदासीनता के कारण शिक्षकों में निराशा होने लगी है। सरकार को तय समय ग्रीष्म अवकाश में पारस्परिक ट्रांसफर की कार्यवाही पूरी करनी चाहिए, जिससे आदेश का अनुपालन हो सके एवं शिक्षकों को राहत मिल सके।


यहां यह उल्लेखनीय है कि बीते मार्च में शिक्षा के अन्तः जनपदीय तबादले की प्रक्रिया शुरू की गई इसके लिए शासन की ओर से बकायदा समय सारिणी जारी की गई। थी जिसमें अन्तः जनपदीय स्थानांतरण एवं समायोजन के लिए तिथिवार कार्य पूरा करने की बात कहीं गई थी। 28 अप्रैल को प्रक्रिया शुरू करने के लिए पोर्टल को लाइव किया गया था जबकि एक से आठ मई तक पोर्टल पर किसी प्रकार की गड़बड़ी प्रदर्शित होने पर आपत्तियां अंकित किया जाना था। 16 मई तक बीएसए द्वारा आपत्तियों का निवारण किया जाना था जबकि 22 मई को सूची ऑनलाइन प्रदर्शित होनी थी।



23 से 29 मई तक भरे जाने थे ऑनलाइन फार्म

23 मई से 29 मई तक अध्यापकों द्वारा स्थानान्तरण के लिए ऑनलाइन विद्यालय का विकल्प भरा जाना था। 30 मई से बीएसए की ओर से काउन्सिलिंगके बाद सत्यापित आवेदन पत्रों के आधार पर डाटा लॉक किया जाना था लेकिन यह सब प्रक्रिया अभी ठप पड़ गई है। इसी प्रकार से अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के लिए चार सदस्यी समिति बनाई गई थी।


यह समिति भी अब बेसिक शिक्षा परिषद के पत्र का इंतजार कर रही है। इसमें भी समय सारिणी बनाई गई थी जिस पर अब तक कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है।


यूपी बोर्ड : कोर्स में क्लाउड कम्प्यूटिंग, शिक्षक नहीं

यूपी बोर्ड : कोर्स में क्लाउड कम्प्यूटिंग, शिक्षक नहीं

● यूपी बोर्ड ने संशोधित किया कम्प्यूटर का पाठ्यक्रम

● राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत जोड़े अहम टॉपिक

● राजकीय और एडेड कॉलेजों में कम्प्यूटर शिक्षकों का अभाव

प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कक्षा नौ से 12 तक के कम्प्यूटर के पाठ्यक्रम को संशोधित करते हुए क्लाउट कम्प्यूटिंग, क्रिप्टो करंसी और ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसे टॉपिक को तो शामिल कर लिया है लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है। यूपी बोर्ड ने 1998 में हाईस्कूल और 2000 में इंटर में कम्प्यूटर का कोर्स लागू किया था लेकिन राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में दो दशक बाद भी नियमित कम्प्यूटर शिक्षक नहीं मिल सके हैं। प्रदेश के 2355 राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में ही कम्प्यूटर शिक्षक नहीं है।


सरकार ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली को संशोधित करते हुए 2016 में पहली बार कम्प्यूटर शिक्षकों की भर्ती का प्रावधान किया था। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2018 में कम्प्यूटर विषय के 1673 एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इन 1673 पदों में से 898 पुरुष व 775 महिला शाखा के थे। आयोग की ओर से 23 अक्टूबर 2019 को जारी परिणाम में पुरुष वर्ग में 30 व महिला वर्ग में केवल छह अभ्यर्थी सफल थीं।


उसके बाद से राजकीय विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षकों की भर्ती नहीं आई और किसी प्रकार दूसरे विषय के शिक्षकों से कामचलाऊ तरीके से इसकी पढ़ाई कराई जा रही है। इसी प्रकार प्रदेश के 4509 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में भी कम्प्यूटर शिक्षकों की कमी बनी हुई है। शिक्षा निदेशालय ने पिछले साल शासन को पद सृजन का प्रस्ताव भेजा था लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिल सकी है।

Saturday, May 27, 2023

यूपी बोर्ड : कक्ष निरीक्षकों व मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के बकायों का भुगतान शीघ्र

यूपी बोर्ड : कक्ष निरीक्षकों व मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के बकायों का भुगतान शीघ्र


लखनऊ। बोर्ड परीक्षाओं के लिए संकलन केन्द्रों पर नियुक्त मुख्य नियंत्रकों से लेकर परीक्षा केन्द्रों के कक्ष निरीक्षक व मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के बकाये पारिश्रमिकों का शीघ्र भुगतान हो जाएगा। इस सम्बन्ध में स्कूल शिक्षा के महानिदेशक विजय किरन आनन्द ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेजकर इस बारे में तत्काल सारी सूचनाएं महानिदेशालय को भेजने के निर्देश दिए हैं।


 पत्र में कहा गया है कि परीक्षा वर्क 2022 के लिए संकलन केन्द्रों पर नियुक्त मुख्य नियंत्रकों इत्यादि से लेकर परीक्षा केन्द्रों नियुक्त कक्ष निरीक्षक तथा मूल्यांकन केन्द्रों पर नियुक्त शिक्षकों के पारिश्रमिक के लिए परिषद कार्यालय द्वारा आपकी मांग के अनुसार बजट आवंटित किया गया।


 ऐसे में अगर बजट के अभाव के कारण मुख्य नियंत्रकों, कक्ष निरीक्षकों अथवा मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के भुगतान लम्बित रह गए हों तो तय प्रारूप पर अवशेष पारिश्रमिक देयकों की सूचना तत्काल परिषद कार्यालय को ई-मेल के द्वारा तथा मूल प्रति डाक के माध्ययम से भेज दें।

उत्तर प्रदेश में अब जरूरत वाली उपयुक्त जगहों पर स्कूल, अस्पताल व गेहूं खरीद केंद्र आसानी से बन सकेंगे

उत्तर प्रदेश में अब जरूरत वाली उपयुक्त जगहों पर स्कूल, अस्पताल व गेहूं खरीद केंद्र आसानी से बन सकेंगे 



लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब पीएम गतिशक्ति प्रोजेक्ट के जरिए जरूरत वाली उपयुक्त जगहों पर स्कूल, अस्पताल व गेहूं खरीद केंद्र आसानी से बना करेंगे। इस हिसाब से पूरे प्रदेश की संबंधित विभागों ने सघन मैपिंग कर ली है । अब एप के जरिए राज्य के दूरस्थ स्थानों पर इस तरह की सुविधाएं जनता की सहूलियत के हिसाब सेउपलब्ध होने लगेंगी। यही नहीं नई शराब की दुकाने खोलने के लिए नए क्षेत्र भी गतिशक्ति पोर्टल से चिन्हित होंगे।


इस तरह खुलेंगे स्कूल कालेज 

माध्यमिक शिक्षा के लिए 'पहुंच' ऐप विकसित किया गया है। इसके जरिए उन गांवों की पहचान की गई है जिनके आसपास माध्यमिक शिक्षा वाले स्कूल नहीं हैं। पहले राज्य भर में यूपी बोर्ड, सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों की मैपिंग की गई। इसके बाद पांच किमी, दस किमी व 15 किमी के दायरे में आने वाले स्कूलों का आंकड़ा तैयार किया गया। 


इस आधार पर अब जाना सकेगा कि उपरोक्त तीन श्रेणी में कहां कहां स्कूल नहीं हैं और वहां जरूरत है। यह काम स्कूल मैपिंग साफ्टवेयर और ' पहुंच' पोर्टल के जरिए होगा । इसके जरिए पता चलेगा कि छात्रों को निकटस्थ स्कूल जाने के लिए कितने किमी और चलना पड़ेगा?

इसी तरह नए अस्पतालों की स्थापना से इस ऐप के जरिय यह देखा जाएगा कि कहां इसकी जरूरत है। गतिशक्ति पोर्टल में दर्ज आंकड़ों की मदद से हाइवे, एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशन की लोकेशन जानी जा सकती है। 



पीएम गतिशक्ति प्रोजेक्ट

साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान लांच किया गया था। इसमें दर्ज आंकड़ों के आधार पर इंफ्रास्ट्रक्चर व अन्य विकास योजनाओं को बनाने में सहूलियत होगी। योजनाओं का दोहराव बचेगा। यूपी में इस मामले में संबंधित 39 विभागों में नोडल अधिकारी तैनात हो गए हैं।

Friday, May 26, 2023

राजकीय शिक्षकों ने गर्मी की छुट्टी के स्थान पर 30 दिन का उपार्जित अवकाश देने की रखी मांग

राजकीय शिक्षकों ने गर्मी की छुट्टी के स्थान पर 30 दिन का उपार्जित अवकाश देने की रखी मांग


लखनऊ। राजकीय शिक्षक संघ की समन्वय समिति ने राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की गर्मी की छुट्टी के स्थान पर 30 दिन का उपार्जित अवकाश देने की मांग की है। 

समिति की अध्यक्ष छाया शुक्ला ने प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र भेजकर कहा है कि ग्रीष्मावकाश में भी शिक्षक मुख्यालय नहीं छोड़ पाते हैं। उन्हें विभिन्न योजनाओं व प्रशिक्षण में शिरकत करनी पड़ती है।


 ऐसे में गर्मी की छुट्टी उपयोगी नहीं होती है। इसलिए राज्य कर्मचारियों की भांति उन्हें भी 30 दिन का उपार्जित अवकाश दें।

यूपी बोर्ड का वार्षिक शैक्षिक कैलेंडर जारी, फरवरी में बोर्ड परीक्षा, वर्ष 2023-24 के वार्षिक कैलेंडर में कई नई गतिविधियों का समावेश

सही करियर चुनने में पंख पोर्टल करेगा छात्र - छात्राओं की मदद, यूपी बोर्ड ने 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों का पोर्टल पर पंजीकरण कराना किया अनिवार्य


प्रयागराज : करियर को लेकर मन में उठने वाले सवालों के समाधान पंजीकरण कराना किया अनिवार्य के लिए अब पंख पोर्टल छात्रों की मदद करेगा।

माध्यमिक स्कूलों में दाखिले के साथ ही करियर को लेकर विषयों के चयन, उसमें संभावनाएं, सफलता के तरीके सहित कई प्रश्न विद्यार्थियों के मन में उठते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों के इन सवालों के समाधान के लिए यूपी बोर्ड ने सभी माध्यमिक स्कूलों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया है कि वह अपने यहां 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों का पंजीकरण पंख पोर्टल पर अवश्य कराएं।

पंख पोर्टल पर भविष्य में नौकरियों की स्थिति, विद्यार्थियों के काउंसलिंग की व्यवस्था सहित विद्यार्थियों को उनकी रुचि के करियर चुनने में मदद मिलेगी।

बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल के मुताबिक पोर्टल पर विद्यार्थियों को सही करियर चुनाव करने में आसानी होगी।



यूपी बोर्ड : पूरे साल चलेंगी उपचारात्मक कक्षाएं

कक्षा नौ से 12 तक के प्रत्येक विद्यार्थी का कॅरियर गाइडेंस पोर्टल पंख पर होगा पंजीकरण, अभिरुचि के अनुरूप कॅरियर संबंधी निर्णय लेने में मिलेगी सहायता 


प्रयागराज । यूपी बोर्ड ने शुक्रवार को वार्षिक शैक्षिक कैलेंडर जारी कर दिया। मई में प्रथम मासिक टेस्ट के बाद पूरे सत्र में कमजोर बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई है। बोर्ड परीक्षाओं की बेहतर तैयारी के उद्देश्य से जनवरी में विद्यार्थियों की समस्याओं और जिज्ञासाओं के समाधान के लिए विद्यालय के शिक्षकों द्वारा जिज्ञासा-ऑन कॉल का संचालन किया जाएगा।


प्रत्येक स्कूल में आज के सुविचार की एक पंजिका बनाई जाएगी और महीने के अंत में सर्वश्रेष्ठ सुविचार प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थी को प्रार्थना सभा में सम्मानित किया जाएगा। कक्षा नौ से 12 तक के प्रत्येक विद्यार्थी का कॅरियर गाइडेंस पोर्टल पंख पर पंजीकरण कराएंगे जिसके जरिए विद्यार्थियों को अपनी अभिरुचि के अनुरूप कॅरियर संबंध निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। नियमित पठन-पाठन में ई-मेल आईडी के व्यवहारिक प्रयोग को बढ़ावा देंगे। 


तीन दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन होगा और 22 दिसंबर को महान गणितज्ञ रामानुजन की जयंती पर मेंटल मैथ्स से संबंधित प्रश्नोत्तरी/तार्किक अभिरुचि/पजल गतिविधियां आयोजित होंगी ताकि विद्यार्थियों में तार्किक चिंतन एवं समस्या समाधान की प्रवृत्ति विकसित हो सके।



यूपी बोर्ड का वार्षिक शैक्षिक कैलेंडर जारी, फरवरी में बोर्ड परीक्षा, वर्ष 2023-24 के वार्षिक कैलेंडर में कई नई गतिविधियों का समावेश


प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए तिथिवार शैक्षिक कैलेंडर जारी किया है। वर्ष 2024 की यूपी बोर्ड परीक्षा फरवरी में कराई जाएगी। अर्द्धवार्षिक परीक्षा सितंबर माह तक निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर अक्टूबर 2023 के द्वितीय और तृतीय सप्ताह में होगी।

 इस नए सत्र में बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने कई नए पहलुओं का समावेश किया है, जिससे विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति लगाव बढ़े और वह प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों से दृढ़ता से निपट सकें। नए सत्र में नया सवेरा कार्यक्रम को भी कैलेंडर में शामिल किया गया है।



पहली बार यह गतिविधियां

● आज के सुविचार की बनेगी पंजिका । सर्वश्रेष्ठ सुविचार प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थी को प्रार्थना सभा में सम्मानित किया जाएगा।

● एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के उत्पादों का विद्यार्थी यथासंभव प्राथमिकता से उपयोग करें, इसके लिए जिला स्तर पर होने वाले शिल्प मेलों व ओडीओपी पर आधारित प्रदर्शनी का भ्रमण विद्यार्थियों को कराया जाए। इससे उनमें स्वावलंबन तथा व्यावसायिक विकसित होगा। अभिरुचि की भावना बढ़ेगी।

● कक्षा नौ से 12 तक के प्रत्येक विद्यार्थी का करियर गाइडेंस पोर्टल 'पंख' पर पंजीकरण कराया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को अपनी अभिरुचि के अनुरूप करियर संबंधी निर्णय लेने में सहायता मिलेगी।

● विद्यालय के वार्षिकोत्सव में पुरातन छात्रों को भी आमंत्रित किया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों में अपने विद्यालय के प्रति विश्वास एवं गौरव भाव दृढ़ होगा।

● नए सत्र में नया सवेरा कार्यक्रम का शुभारंभ प्रत्येक सप्ताह में दो दिन शिक्षाधिकारी प्रातः कालीन सभा में विद्यार्थियों से जीवन मूल्यों, अनुशासन, करियर, नियमित दिनचर्या आदि विषयों पर प्रेरक संवाद करेंगे। विद्यालयों के पुरा छात्रों एवं विभिन्न क्षेत्रों में सफल व्यक्तियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। 

● तीन दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस' के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों में दिव्यांग सहपाठियों/ शिक्षकों/ कर्मियों तथा आस-पास के दिव्यांगजनों के प्रति सम्मान एवं सहज दृष्टिकोण

● 22 दिसंबर को महान गणितज्ञ रामानुजन के जन्मदिन पर विद्यार्थियों के लिए 'मेंटल मैथ्स' से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी / तार्किक अभिरुचि के आयोजन होंगे। इससे उनमें तार्किक चिंतन एवं समस्या समाधान की प्रवृत्ति विकसित हो सकेगी।

● नियमित पठन-पाठन में ई-मेल आइडी के व्यावहारिक प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे विद्यार्थी ईमेल का प्रयोग दैनिक जीवन की आवश्यकताओं में भी सहजता से कर पाने में सक्षम हो सकेंगे।

● मई माह में प्रथम मासिक टेस्ट के उपरान्त संपूर्ण सत्र में कमजोर विद्यार्थियों के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गयी है।

● बोर्ड परीक्षाओं की बेहतर तैयारी के उद्देश्य से जनवरी में विद्यार्थियों की समस्याओं और जिज्ञासाओं के समाधान के लिए शिक्षक जिज्ञासा- आन काल का संचालन करेंगे।

Thursday, May 25, 2023

यूपी बोर्ड : गर्मियों की छुट्टी के बाद सस्ती किताबें, नौ जून तक प्रकाशकों से आवेदन मांगे,16 जून को प्रकाशकों के साथ होगा अनुबंध

यूपी बोर्ड : गर्मियों की छुट्टी के बाद सस्ती किताबें, नौ जून तक प्रकाशकों से आवेदन मांगे,16 जून को प्रकाशकों के साथ होगा अनुबंध 


लखनऊ : प्रदेश में सस्ती पुस्तकों की समस्याएं शीघ्र ही दूर होंगी। सत्र शुरू होने के दो माह बीत जाने के बाद भी बाजारों से पुस्तकों के गायब रहने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। अब जाकर इस समस्या के निदान की कोशिश शुरू हुई है। इसके तहत ग्रीष्मावकाश के ठीक बाद प्रदेश के छात्र-छात्राओं को सस्ती किताबें मिलने लग जाएंगी।


तमाम प्रयासों के बाद यूपी बोर्ड के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को सस्ती किताबें मिलने का रास्ता साफ हुआ है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने के लिए टेंडर जारी कर नौ जून तक प्रकाशकों से आवेदन मांगे हैं। 


बताया जाता है कि 16 जून को प्रकाशकों के साथ अनुबंध होगा। इसके बाद विभिन्न विषयों की एनसीईआरटी से अधिकृत 70 और नॉन-एनसीईआरटी की 12 किताबें 30 जून तक बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगी।


पिछले साल भी पुस्तकों के प्रकाशन में विलम्ब हुआ था और जुलाई के पहले सप्ताह में किताबों का टेंडर जारी हो सका था।


हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की किताबें छापने का भी टेंडर

वर्तमान में बाजारों में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध हैं लेकिन एक तो वह पर्याप्त संख्या में नहीं हैं और दूसरे यूपी बोर्ड की किताबों से महंगी है। लिहाजा छात्रों को बोर्ड की किताबों का बेसब्री से इंतजार है। दूसरी तरफ अधिकृत और त्रुटिहीन किताबें उपलब्ध कराने के मकसद से यूपी बोर्ड ने इस बार हिन्दी, संस्कृत और उर्दू विषयों की किताबों के प्रकाशन का भी टेंडर जारी कर दिया है। अब तक इन तीन विषयों का पाठ्यक्रम तो बोर्ड निर्धारित करता था लेकिन किताबों के प्रकाशन पर बोर्ड का कोई नियंत्रण नहीं था।



यूपी बोर्ड : सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद मिल सकेंगी सस्ती किताबें


यूपी बोर्ड के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को शैक्षिक सत्र 2023-24 शुरू होने के तीन महीने बाद सस्ती किताबें मिल सकेंगी। 


बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने के लिए टेंडर जारी कर नौ जून तक प्रकाशकों से आवेदन मांगे हैं। 16 जून को प्रकाशकों से अनुबंध होगा। विभिन्न विषयों की एनसीईआरटी से अधिकृत 70 और नॉन-एनसीईआरटी की 12 किताबें 30 जून तक बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी।


पिछले साल भी जुलाई के पहले सप्ताह में किताबों का टेंडर जारी हो सका था। बाजार में देर से किताबें आने के कारण अधिकांश बच्चे अनाधिकृत प्रकाशकों की महंगी किताबें और गाइड खरीद लेते हैं। वैसे तो एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन एक तो वह पर्याप्त संख्या में नहीं है और दूसरे यूपी बोर्ड की किताबों से महंगी है।


हिंदी-उर्दू-संस्कृत की किताबें छपवाएगा बोर्ड

प्रयागराज। अधिकृत और त्रुटिहीन किताबें उपलब्ध कराने के मकसद से यूपी बोर्ड ने इस बार हिन्दी, संस्कृत और उर्दू विषयों की किताबों के प्रकाशन का भी टेंडर जारी किया है। अब तक इन तीन विषयों का पाठ्यक्रम तो बोर्ड निर्धारित करता था लेकिन किताबों के प्रकाशन पर बोर्ड का नियंत्रण नहीं था। यानि कोई भी प्रकाशक इन्हें छाप सकता था।

पॉलीटेक्निक में अब 31 मई तक आवेदन

पॉलीटेक्निक में अब 31 मई तक आवेदन

 
लखनऊ : प्राविधिक शिक्षा परिषद से संबद्ध राजकीय, अनुदानित, पीपीपी अथवा निजी क्षेत्र के पॉलीटेक्निक संस्थाओं में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। इसकी अंतिम तिथि अब तक 25 मई निर्धारित थी। प्राविधिक शिक्षा परिषद ने आवेदन की तिथि को 25 मई से बढ़ाकर 31 मई तक कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा का आयोजन 20 जून से 30 जून के बीच प्रस्तावित है। ऐसे में आवेदन क तिथि बढ़ाए जाने से छात्र और छात्राओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।




उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में उल्लंघन की जांच एवं निगरानी नियमित रूप से होगी –UGC

उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में उल्लंघन की जांच एवं निगरानी नियमित रूप से होगी –UGC 



उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में उल्लंघन की जांच एवं निगरानी नियमित रूप से होगी। नियमित निगरानी के लिए यूजीसी ने इस साल 24 अप्रैल को आयोजित अपनी 568वीं बैठक में एक स्थायी समिति के गठन का फैसला किया है। शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में कोई अनियमितता मिलने पर यूजीसी ने गंभीर कार्रवाई की चेतावनी दी है।


यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने बुधवार को बताया, यूजीसी द्वारा गठित स्थायी समिति कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों को चिह्नित कर वहां शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी अवॉर्ड करने की प्रक्रिया की जानकारी लेगी। नियुक्ति और पीएचडी के दस्तावेज की जांच की जाएगी।


उन्होंने कहा कि यह देखा जायेगा कि यूजीसी द्वारा तय मानकों का पालन किया गया है या नहीं। उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई की सिफारिश की जायेगी। चेयरमैन ने कहा कि यूजीसी, समय-समय पर शिक्षकों की गुणवत्ता और शोध डिग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमों को अधिसूचित करता है।



इस समय दो नियमों से नियंत्रण
इस समय उच्च शिक्षण संस्थानों में नियुक्ति और पीएचडी के लिए मानकों का अनुपालन दो विनियमन द्वारा किया जाता है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता पर यूजीसी विनियम और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय, 2018 के अलावा दूसरा विनियम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं) विनियम, 2022 का प्रावधान है। दोनों विनियम शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के चयन में मानकों को निर्धारित करने और बनाए रखने के लिए शर्तें निर्धारित करते हैं और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रदान की जाने वाली शोध डिग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।

Wednesday, May 24, 2023

कई माह से प्रमोशन में ही उलझे, बड़ा सवाल तबादले कब होंगे? विभाग की कार्यप्रणाली से शिक्षक हताश, जिम्मेदारों की भी जवाबदेही तय करने की मांग

कई माह से प्रमोशन में ही उलझे, बड़ा सवाल तबादले कब होंगे? विभाग की कार्यप्रणाली से शिक्षक हताश, जिम्मेदारों की भी जवाबदेही तय करने की मांग


लखनऊ : परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के प्रमोशन की वरिष्ठता सूची जारी करने में ही तीन महीने बीत गए। इसके बाद अब प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू होगी। शिक्षकों के अंत: जनपदीय तबादले भी होने थे। उसके बारे में विभाग की ओर से बताया गया था कि तबादले 3 मई के बाद होंगे। तब से अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई। शिक्षकों को चिंता सता रही है कि विभाग अभी प्रमोशन प्रक्रिया ही पूरी नहीं कर पाया है। कहीं तबादलों का मामला टल ही न जाए।


10 बार बढ़ी तारीख, तब अपलोड हुई सूची : परिषदीय शिक्षकों के कई साल से प्रमोशन नहीं हुए हैं। इस साल फरवरी में प्रमोशन का आदेश हुआ। कार्यक्रम भी जारी हुआ । उसकी पहली ही प्रक्रिया यह थी कि सबकी ज्येष्ठता सूची तैयार की जाए। ज्येष्ठता सूची की 10 बार अंतिम तिथि बढ़ी। इसके बाद इसे पूरा किया जा सका। प्रमोशन की प्रक्रिया तब पूरी हो पाएगी जब सभी जिले अपने यहां खाली पदों का ब्योरा अपलोड करेंगे। उसके बाद खाली पदों के सापेक्ष शिक्षकों से विकल्प मांगे जाएंगे। इस तरह अभी प्रमोशन की प्रक्रिया लंबी चलेगी।



ट्रांसफर की कोई सूचना नहीं

अब शिक्षकों को अंत: जनपदीय तबादलों की चिंता भी सताने लगी है। पिछले साल सरकार ने साल में दो बार सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों में म्युचुअल ट्रांसफर के आदेश दिए थे। पिछली सर्दियों की छुट्टियां निकल गईं। उसके बाद फरवरी में अतः जनपदीय तबादलों के साथ ही म्युचुअल तबादलों के भी आदेश हुए। तब से वह प्रक्रिया भी लंबित है।


शिक्षक निराश

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि विभाग की कार्यप्रणाली से शिक्षक निराश हो चुके हैं। वरिष्ठता सूची तैयार करने में ही तीन महीने बीत गए। अब तो शिक्षकों को चिंता है कि अंतः जनपदीय तबादले होंगे भी या नहीं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भर सिंह कहते हैं कि शिक्षकों से किसी काम में जरा भी विलंब हो जाए तो तुरंत दंडित किया जाता है। अधिकारियों की भी कोई जिम्मेदारी होनी चाहिए।


आपत्तियों का निस्तारण हो चुका है। कोई गलती न रह जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए ही इतना वक्त लगा। जल्द ही प्रमोशन किए जाएंगे। उसके बाद तबादले भी होंगे। -प्रताप सिंह बघेल, सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद