नए राजकीय संस्कृत विद्यालयों के बनने की राह आसान नहीं
नए सत्र 2024-25 से नए राजकीय संस्कृत विद्यालयों के शुरू करने की तैयारी पिछड़ी अभी तक न एजेंसी का पता, न ही जारी हो सका बजट
प्रयागराज । संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में दस नए राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने का निर्देश दिया था। इसके लिए तेजी से तैयारी भी शुरू हो गई। जमीन की व्यवस्था के बाद एजेंसी के चुनाव और बजट का इंतजार शुरू हुआ, लेकिन अभी तक दोनों ही कार्य नहीं हो सके। ऐसे में नए सत्र 2024-25 से नए राजकीय संस्कृत कालेजों के शुरू होने को लेकर संशय दिखने लगा है। अधिकारी भी इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
संस्कृत भाषा को लोगों में अधिक प्रचलित करने और उसमें छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन स्तर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। ऐसे में शासन की तरफ से वाराणसी, रायबरेली, मुरादाबाद समेत कुल 10 जिलों में नए राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने की तैयारी की गई थी। इन कॉलेजों में 12वीं स्तर यानी उत्तर मध्यमा स्तर तक की पढ़ाई होनी है।
इसके लिए उपशिक्षा निदेशक संस्कृत सीएल चौरसिया ने नए कॉलेज की भवन के लिए जमीन की व्यवस्था करके शासन को प्रस्ताव भेज दिया। जिससे जल्द ही नए कॉलेजों के निर्माण का कार्य शुरू हो सके और नए सत्र से दाखिला शुरू हो जाए, लेकिन उसके बाद से पूरा मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक शासन ने निर्माण के लिए एजेंसी का चयन अभी होना है। इसके बाद शासन भवन निर्माण के लिए बजट जारी होगा और फिर कॉलेज के भवन का निर्माण कार्य शुरू होगा।
नए राजकीय संस्कृत विद्यालयों को खोलने के लिए जमीन की व्यवस्था हो गई है। इसका प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा चुका है। आगे की प्रक्रिया के लिए शासन के निर्देश का इंतजार है। सीएल चौरसिया, उपशिक्षा निदेशक, संस्कृत
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