गुरुजी फीडिंग में व्यस्त—पढ़ाई-लिखाई हुई ध्वस्त, शिक्षक संगठनों की मांग- फीडिंग के लिए अलग से नियुक्त हों कर्मचारी
क्लास में नहीं मोबाइल पर विभागीय डाटा फीड करने में बीत रहा दिन है गुरुजी का अधिकांश समय
परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का अधिकतर समय डाटा फीडिंग में ही निकल जाता है। विभाग में 10 से अधिक एप चल रहे हैं। इनके जरिए वह बच्चों की फोटो फीड करने के अलावा कितने बच्चों ने खाना खाया आदि ही दर्ज करने में व्यस्त रहते हैं। इसके चलते उनके पास पढ़ाई का अनुकूल समय निकालना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
विभाग की तरफ से न तो टेबलेट न ही डाटा व अन्य कोई सुविधा दी गई है। कार्रवाई की डर से एप न चलाने वाले शिक्षक खुद पैसे खर्च करके दूसरों का सहारा ले रहे है। वह चाहकर भी पढ़ा नहीं पा रहे है।
एक शिक्षक, कई काम, उससे ज्यादा निगहबान, स्थलीय निरीक्षण के साथ ही वीडियो कॉल से भी हो रही निगरानी, विद्या समीक्षा केंद्र से फोन पर भी लिया जा रहा है फीडबैक
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग अपने शिक्षकों को ही संदेह की निगाह से देखता है। शिक्षकों से पढ़ाई के साथ विभिन्न एपर पर डाटा फीडिंग समेत कई अन्य काम भी कराए जा रहे हैं और उनकी अलग-अलग तरीके से जांच / पर्यवेक्षण किया जा रहा है। इनमें से कई चीजों के लिए वह सीधे जिम्मेदार नहीं होते हैं लेकिन कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है।
प्राथमिक विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार के लिए ऑपरेशन कायाकल्प, निपुण भारत लक्ष्य आदि कई योजनाएं चल रही हैं। इन्हें समय से पूरा कराने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर है। कई जिलों में शिक्षकों को स्कूल चलो अभियान के तहत बच्चों का नामांकन का लक्ष्य दिया गया है। सिद्धार्थनगर में 20 से कम नामांकन होने पर वेतन रोकने की चेतावनी दी गई है। आगरा में यू- डायस पर स्कूल व शिक्षक प्रोफाइल पूरा न होने पर उनका वेतन रोक दिया गया था। इतना ही नहीं, डाटा फीडिंग में देरी होने पर भी उनका वेतन रोका जा रहा है।
विभाग जूता-मोजा व स्कूल यूनीफॉर्म के लिए सीधे पैसा अभिभावक के खाते में भेजता है। बच्चा बिना यूनीफॉर्म और जूता-मोजे के स्कूल आता है तो इसके लिए शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। उन्हें बच्चों की यूनीफॉर्म में फोटो भी भेजनी पड़ती है। विद्यालयों की साफ-सफाई और पेयजल की सुविधा की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर है। इन सभी कार्यों की निगरानी भी हो रही है। हाल यह है कि एक ही दिन में कभी दो तो कभी तीन टीमें विद्यालयों में निरीक्षण के लिए पहुंच रही हैं।
जिला स्तर पर डीएम, बीएसए व बीईओ की तरफ से गठित अलग-अलग टीमें निरीक्षण कर रही हैं। इसके अलावा कई बार प्रदेश स्तरीय टीम भी निरीक्षण करती है। हाल ही में मिले निर्देश के बाद अब डायट की टीम भी ऑनलाइन वीडियो कॉल से क्लास की जांच कर रही है। इतना ही नहीं, विद्या समीक्षा केंद्र आदि के माध्यम से भी शिक्षकों की जांच और कार्रवाई भी चल रही है। इसका असर कामकाज पर पड़ रहा है।
अच्छे शिक्षकों को करें प्रोत्साहित
शिक्षकों का कहना है कि विभागीय निरीक्षण में कई शिक्षक अच्छा काम करते भी मिले होंगे। कई शिक्षक स्वप्रयोग से निपुण लक्ष्य को पाने के लिए बेहतर काम कर रहे हैं। गैरहाजिर मिलने वाले शिक्षकों की तरह इनकी भी सूची जारी कर प्रोत्साहित करना चाहिए।
वरिष्ठता और जिले के अंदर तबादले प्रक्रिया उलझी
शिक्षकों की वरिष्ठता की प्रक्रिया पर हर बार एक नई तिथि लगाई जा रही है। वर्षों से जिले के अंदर तबादला प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार भी खत्म नहीं हो रहा है। दो बार इसकी तिथि संशोधित करने के बाद आगे की प्रक्रिया कब होगी, विभाग ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी किया है।
शिक्षकों से पढ़ाई छोड़कर बाकी सभी काम लिए जा रहे हैं। बिना सुविधा व सहयोग के शिक्षक से सबकुछ कराने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ लोग जान-बूझकर शिक्षकों की छवि को खराब दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। संगठन, इसका विरोध करता है और जल्द ही इस मुद्दे पर लड़ाई का भी एलान करेंगे। -राजेंद्र सिंह राठौर, प्रदेश अध्यक्ष, यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन
शिक्षकों से पठन- पाठन से जुड़े काम ही ले रहे हैं। विभाग छात्रों की बेहतरी के लिए योजनाएं चला रहा और डाटा फीडिंग करवा रहा है। यह डाटा राज्य व केंद्र सरकार को देना होता है, जिससे ग्रांट मिलती है। डाटा फीडिंग के लिए टैबलेट देने की प्रक्रिया चल रही है। -दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग
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