अब किसी भी पीएचडी छात्र की द्वितीय या तृतीय वर्ष में नौकरी लग जाने पर उसे रेजिडेंस पीरियड पूरा करने के लिए बाध्य नहीं होना पडेगा। वह आसानी से अपने रेगुलर पीएचडी प्रोग्राम को पार्ट टाइम में बदल सकेगा। इस बिंदु को लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा अपने संशोधित पीएचडी अध्यादेश में शामिल किया जा सकता है। इसे संशोधित अध्यादेश तैयार करने वाली कमेटी की आगामी बैठक में रखा जाएगा।
अभी तक किसी भी शोधार्थी को नौकरी लग जाने के बावजूद दो साल का रेजिडेंस पीरियड़ पूरा करना पड़ता है। इससे शोधार्थी को कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। जिसको लेकर कुछ शोधार्थियों ने एलयू की अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. पूनम टंडन को पत्र व ई-मेल भेजा है।
इसमें उन्होंने दूसरे विश्वविद्यालयों का हवाला देते हुए एलयू में भी इसे लागू करने का अनुरोध किया है। जिससे नौकरी मिलने पर शोधार्थी को बार-बार विश्वविद्यालय के चक्कर न लगाना पड़े। साथ ही उन्हें पीएचडी की डिग्री भी मिल जाए। गौरतलब है कि संशोधित पीएचडी अध्यादेश के हिसाब से ही एलयू में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिले की बात है।
एलयू के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने कहा कि आईआईटी धनबाद सहित कई संस्थान व यूनवर्सिटी हैं जहां यह व्यवस्था है। एनईपी-2020 के तहत संशोधित पीएचडी अध्यादेश तैयार हो रहा है।
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