शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एक से अधिक विषयों में एक साथ PhD का मौका
शैक्षणिक सत्र 2023-24 में एनईपी की सिफारिश के तहत नए नियमों से दाखिला
बहुविषयक समस्याओं पर कर सकेंगे शोध
जिस विभाग में पंजीकरण, डिग्री में उसी का नाम, दूसरे विभाग के शोध के काम का मिलेगा क्रेडिट
नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एक से अधिक विषयों में एक साथ पीएचडी का मौका मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत अंतर्विषयक (इंटरडिस्पलिनरी) में दो या दो से अधिक शैक्षणिक विषयों में छात्र पीएचडी में शोध कर सकेंगे। देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आगामी सत्र से नए पीएचडी नियम-2023 लागू होंगे। नए नियमों से ही दाखिले लिए जाएंगे।
खास बात यह है कि जिस विभाग में शोधार्थी ने पंजीकरण कराएंगे, पीएचडी डिग्री में उसी का नाम होगा। दूसरे विषयों के शोध में मदद के लिए उनको को-सुपरवाइजर मिलने के साथ-साथ उसके क्रेडिट भी दिये जाएंगे।
सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में यूजीसी (पीएचडी उपाधि प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानदंड और प्रक्रिया) विनियम 2022 लागू हो चुका है। इसका मकसद शिक्षकों और अनुसंधान डिग्री की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है। पीएचडी की गुणवत्ता के लिए नियमों को सख्त किया गया है। यूजीसी ने एक स्थायी समिति भी गठित की है। इसका मकसद उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने की निगरानी करना है।
समिति का काम विशिष्ट संस्थानों का चयन, संकाय नियुक्तियों और पीएचडी डिग्री पुरस्कारों पर जानकारी एकत्रित कर यूजीसी नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज को सत्यापित करना है। इसके अलावा किसी भी उल्लंघन पर यूजीसी से उचित कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
यदि कोई संस्थान नियमों का उल्लंघन करता है तो फिर जुर्माना, मान्यता और कोर्स रद्द की सिफारिश की जाएगी। ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड से पीएचडी कार्यक्रम नहीं चलाए जाएंगे।
शोध क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की तैयारी
नए नियमों में महिला शोधार्थियों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा। महिला शोधार्थियों को पीएचडी पूरा करने के लिए दो साल का अतिरिक्त समय मिलेगा। इसके अलावा ऐसे शोधार्थियों को कार्यक्रम की पूरी अवधि में 240 दिनों तक के लिए मातृत्व अवकाश, शिशु देखभाल अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
प्रत्येक सेमेस्टर में शोधार्थी को शोध सलाहकार समिति के समक्ष मूल्यांकन और आगे के मार्गदर्शन के लिए अपने कार्य की प्रगति पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट जमा करनी होगी। समिति फिर शोधार्थी की प्रगति रिपोर्ट की एक प्रति के साथ अपनी सिफारिशें संबंधित उच्चतर शिक्षण संस्थान को देगी। यह प्रति शोधार्थी को भी दी जाएगी।
रिपोर्ट संतोषजनक होने पर शोध सलाहकार समिति इसके कारणों को दर्ज करेगी और सुधारात्मक उपाय सुझाएगी। यदि सुधारात्मक उपायों के बाद भी शोधार्थी विफल रहता है तो फिर समिति उसका पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश कर सकती है। क्योंकि शोध प्रस्ताव की समीक्षा करना और शोध के शीर्षक को अंतिम रूप देना समिति का काम होगा।
थीसिस जांचने में पहली बार विदेशी परीक्षक
थीसिस जांचने में पहली बार विदेशी परीक्षक
नए नियमों में पीएचडी शोधार्थी के शोध प्रबंध या थीसिस का मूल्यांकन उसके शोध पर्यवेक्षक और कम से कम दो ऐसे बाहरी परीक्षकों द्वारा किया जाएगा। यह संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ तो होंगे, लेकिन संबंधित उच्चतर शिक्षण संस्थान के नहीं होंगे। यह परीक्षक शिक्षाविद होंगे। जबकि दूसरा परीक्षक भारत के बाहर से होना चाहिए। मौखिक परीक्षा में दोनों परीक्षक में से एक शामिल होगा।
चार वर्षीय यूजी व पीजी वाले कॉलेज भी करवा सकेंगे पीएचडी
नए नियमों में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम या स्नातकोत्तर कार्यक्रम चलाने वाले पीएचडी कार्यक्रम चला सकते हैं। बशर्तें वे इन विनियमों के अनुरूप पात्र शोध पर्यवेक्षकों, अपेक्षित अवसंरचना, सहायक प्रशासनिक और अनुसंधान सुविधाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करते हैं।
वहीं, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा स्थापित वे महाविद्यालय और शोध संस्थान, जिनकी डिग्री उच्चतर शिक्षण संस्थानों द्वारा दी जाती है वे भी पीएचडी शुरू कर सकते हैं। या जिन महाविद्यालय में कम से कम दो संकाय सदस्य या शोध संस्थान में दो पीएचडी उपाधि धारक वैज्ञानिक हों, या प्रशासनिक सहायता, अनुसंधान और पुस्तकालय संसाधन की सुविधा हो।
रिटायरमेंट में तीन साल तो नहीं बनेंगे सुपरवाइजर
रिटायरमेंट में तीन साल तो नहीं बनेंगे सुपरवाइजर
नए नियमों के तहत जिन प्रोफेसर की रिटायरमेंट में तीन वर्ष से कम समय सीमा बची होगी, उन्हें पर्यवेक्षण में नए शोधार्थियों को लेने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन ऐसे संकाय अपनी रिटायरमेंट तक पहले से ही पंजीकृत शोधार्थियों का पर्यवेक्षण जारी रख सकते हैं। सेवानिवृति के बाद सह-पर्यवेक्षक के रूप में 70 वर्ष की आयु तक ही वे कार्य कर सकेंगे, उसके बाद नहीं।
परीक्षा और इंटरव्यू से दाखिला:
परीक्षा और इंटरव्यू से दाखिला:
पीएचडी में दाखिले के लिए लिखित परीक्षा होगी, उसमें उम्मीदवार को 50 अंक लेने जरूरी होंगे। तभी उनका इंटरव्यू के लिए चयन होगा। इसके अलावा यूजीसी नेट, यूजीसी सीएसआईआर नेट, गेट, सीईईडी वाले उम्मीदवारों को सीधे इंटरव्यू में बुलाया जाएगा। जो विश्वविद्यालय अपनी पीएचडी दाखिला प्रवेश परीक्षा से दाखिला देंगे, उनके लिए 70 फीसदी लिखित और 30 फीसदी इंटरव्यू के आधार पर चयन होगा। पीएचडी की अवधि कम से कम तीन साल रहेगी। जबकि छह साल में पूरी करनी होगी
पीएचडी नियमों में कोताही तो सख्त कार्रवाई:
आगामी सत्र से नए पीएचडी नियमों से दाखिला होगा। इसका मकसद पीएचडी की गुणवत्ता में सुधार और कमियों को दूर करना है। अब यदि कोई संस्थान पीएचडी दाखिला नियमों का उल्लंघन करता है तो फिर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एनईपी 2020 के तहत पीएचडी प्रोग्राम में बहुविषयक शोध की आजादी मिल रही है। अब अलग-अलग विषयों में एक साथ पीएचडी की जा सकेगी।
पीएचडी नियमों में कोताही तो सख्त कार्रवाई:
आगामी सत्र से नए पीएचडी नियमों से दाखिला होगा। इसका मकसद पीएचडी की गुणवत्ता में सुधार और कमियों को दूर करना है। अब यदि कोई संस्थान पीएचडी दाखिला नियमों का उल्लंघन करता है तो फिर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एनईपी 2020 के तहत पीएचडी प्रोग्राम में बहुविषयक शोध की आजादी मिल रही है। अब अलग-अलग विषयों में एक साथ पीएचडी की जा सकेगी।
उदाहरण के तौर पर यदि कोई शोधार्थी पीएचडी में फिजिक्स विषय में पंजीकरण करवाता है तो वह इलेक्ट्रानिक्स विषय में भी साथ में शोध कर सकता है। जबकि पॉलिटिक्ल साइंस वाला शोधार्थी इॅकोनोमिक्स आदि में भी शोध कर सकता है। -प्रोफेसर एम जगदीश कुमार, अध्यक्ष, यूजीसी।
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