यूपी : सात वर्षों में छात्र घटे पर छात्र-शिक्षक अनुपात लगातार बेहतर
यूपी में प्री-प्राइमरी से हायर सेकेंड्री तक के छात्रों को लेकर बड़ा चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। वर्ष 2015-16 के शैक्षणिक सत्र में प्रदेश में इन कक्षाओं के पंजीकृत कुल छात्रों की संख्या 4 करोड़ 84 लाख 82 हजार 681 थी। वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 4 करोड़ 71 लाख 81 हजार 438 था यानि बच्चों की संख्या 13 लाख से अधिक घट गई। हालांकि कई साल गिरावट के बाद अब यह आंकड़ा ऊपर चढ़ रहा है। वहीं प्रदेश का छात्र-शिक्षक अनुपात लगातार बेहतर हो रहा है।
यूडाइस प्लस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफारमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) के डैशबोर्ड पर अंकित आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए होने वाले बेतहाशा खर्च को भी आंकड़े मुंह चिढ़ाते हैं। 2015-16 के बाद लगातार तीन सालों तक प्रदेश की कुल छात्र संख्या में गिरावट दर्ज होती रही।
सबसे ज्यादा 18 लाख छात्र की गिरावट वर्ष 2016-17 के शैक्षणिक सत्र में दर्ज की गई। वर्ष 2019-20 से फिर छात्र संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई लेकिन अभी तक प्रदेश में प्री-प्राइमरी से हायर सेकेंड्री के बच्चों का आंकड़ा 2015-16 के बराबर नहीं पहुंच सका है। वर्ष 2015-16 के शैक्षणिक सत्र की बात करें तो 10 लाख 84 हजार 249 शिक्षक थे। वहीं 2021-22 में 15 लाख 7 हजार 828 शिक्षक थे यानी पहले यूपी में 44.7 बच्चों पर एक शिक्षक था। वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 31.3 बच्चों पर एक शिक्षक का हो गया।
डाटा से बजट आवंटन
केंद्र सरकार से पैसा भी इसी डाटा के आधार पर मिलता है। पूरे प्रदेश के जिलों में यू-डाइस का डाटा अपडेट करने का काम बीएसए के पास है। बेसिक के साथ ही माध्यमिक का डाटा भी बीएसए दफ्तर ही अपडेट करता है। जो हो नहीं पा रहा है।
सरकारी में बढ़ी संख्या
प्रदेश में सरकारी स्कूलों के स्तर और शिक्षा में बीते सालों में बदलाव आया है। वर्ष 2015-16 में कुल स्कूलों में से 63.5 फीसदी सरकारी थे। इनमें 35.3 फीसदी बच्चे पढ़ रहे थे। वहीं 2021-22 में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों का आंकड़ा 40.4 फीसदी हो गया।
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