प्रदेश के तकरीबन डेढ़ हजार राजकीय हाईस्कूलों, पंडित दीनदयाल उपाध्याय मॉडल इंटर कॉलेजों एवं राजकीय अभिनव विद्यालयों में एक दशक बाद भी चपरासी और सफाईकर्मी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इसके चलते स्कूल में हर रोज साफ-सफाई और सुरक्षा को लेकर समस्या बनी रहती है। शिक्षक संगठनों के माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लगातार अनुरोध करने के बावजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी बनी हुई है।
तमाम स्कूलों में सुबह प्रधानाचार्य और शिक्षकों को स्कूल व कमरों के ताले खोलने पड़ते हैं। प्रिंसिपल और शिक्षकों को ही चंदा लगाकर प्राइवेट सफाईकर्मी से परिसर व शौचालय आदि की सफाई करानी पड़ती है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के न होने से इन स्कूलों में विज्ञान व अन्य विषय की प्रयोगशाला का संचालन भी मुश्किल हो रहा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत ये स्कूल 2010 से 2014 के बीच खुले थे। इनमें से अधिकांश ऐसे स्कूल हैं जो पहले उच्च प्राथमिक विद्यालय के रूप में संचालित थे और उन्हें उच्चीकृत किया गया।
प्राथमिकता में शामिल था काम, फिर भी तैनाती नहीं
राजकीय स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर तैनाती का काम माध्यमिक शिक्षा विभाग की छह महीने की कार्ययोजना में शामिल था। आउटसोर्सिंग से चयन के लिए पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक सरिता तिवारी की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की गई थी। लेकिन तकरीबन सालभर बीतने के बावजूद चयन नहीं हो सका।
इनका कहना है
राजकीय विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति पूर्ण की जाए। सफाई कर्मी एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मी की नियुक्ति न होने से स्वच्छता एवं विद्यालय में आवश्यक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। —डॉ. रवि भूषण, प्रदेश महामंत्री राजकीय शिक्षक संघ (बीपी सिंह गुट)
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