बहुत कराया इंतजार, अब तो टैबलेट दे दो सरकार!
तीन वर्ष पूर्व फरवरी में शासन ने खरीद के लिए दी थी रजामंदी
■ ऑनलाइन प्रशिक्षणव पोर्टल संचालन के लिए है जरूरत
बीते तीन साल से परिषदीय स्कूलों को टैबलेट दिए जाने की कई खबरें सामने आई लेकिन यह सच साबित नहीं हुईं। शासन ने परिषदीय स्कूलों एवं अपनी मॉनीटरिंग टीम को पूरी तरह डिजीटल करने का फैसला तो तीन साल पहले कर लिया था लेकिन फैसले को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
शासन ने तीन वर्ष पूर्व इण्टीग्रेडेड स्कीम फॉर स्कूली शिक्षा के अन्तर्गत आईसीटी एवं डिजीटल इनिशिएटिव प्रोग्राम के तहत उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए कम्प्यूटर हार्डवेयर एवं जनपद स्तर पर मॉनीटरिंग यूनिट, बीईओ, एबीआरसी एवं प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के हेडमास्टरों के लिए डाटा प्लान सहित मोबाइल टैबलेट उपलब्ध कराने का फैसला किया था।
प्रदेश स्तर पर कंट्रोल रूम, जनपद स्तर पर मॉनीटरिंग यूनिट, 880 बीईओ, 4400 एबीआरसी एवं 158837 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के हेडमास्टरों को मोबाइल टेबलेट दिए जाने के लिए धनराशि का प्रावधान किया गया था। इसके बावजूद हेड मास्टरों के हाथों में मोबाइल या टैबलेट नहीं आ सके। अब तक विभाग हेडमास्टरों व शिक्षकों के मोबाइल से ही विभागीय कार्य करा रहा है।
गठित हुई थी समिति
शासन ने गुणवत्ता बिन्दुओं अथवा स्पेशिफिकेशन तय करने केलिए 8 सदस्यीय समिति का गठन भी किया था। समिति में बेसिक शिक्षा निदेशक को अध्यक्ष एवं बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव को सचिव तथा राज्य परियोजना निदेशक द्वारा नामित व्यक्ति, आईआईटी कानपुर, मध्यम एवं -लघु उद्योग विभाग, यूपी डेस्को आदि के प्रतिनिधि को सदस्य का दर्जा दिया गया था।
फिर से हो रही सुगबुगाहट
अप्रैल में प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई थी। खबरें सामने आई जिनमें कहा गया कि प्रत्येक परिषदीय स्कूल को दो-दो टैबलेट दिए जाएंगे। एक टैबलेट प्रधानाध्यापक के पास तो दूसरा वरिष्ठ शिक्षक के पास होगा। इससे विद्यार्थियों की उपस्थिति की निगरानी के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी नजर रखी जाएगी। टैबलेट दो चरणो में दिए जाएंगे। पहले चरण में एक लाख 36 हजार स्कूलों का टैबलेट दिए जा रहे हैं।
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