मधुमेह पीड़ित बच्चे परीक्षा में कर सकेंगे इंसुलिन और ग्लूकोमीटर का प्रयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सलाह पर शासन ने दिए निर्देश
लखनऊ। बच्चों में टाइप-वन डायबिटीज के खतरों को देखते हुए शासन ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण के निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया है। इस संबंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों (बेसिक) व बीएसए को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि टाइप-वन डायबिटीज वाले बच्चों को क्लास या परीक्षा के दौरान जरूरत पर ब्लड शुगर की जांच, इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने आदि की अनुमति दी जाए।
दरअसल, आयोग ने 19 वर्ष तक के छात्रों में टाइप वन डायबिटीज के नियंत्रण के लिए राज्य सरकार से कार्यवाही की अपील की थी। इसमें बताया गया था कि इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के डायबिटीज एटलस 2021 के अनुसार दुनिया भर में सर्वाधिक टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की संख्या भारत में है। इसमें लापरवाही शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन सकती है। बच्चे अपना एक तिहाई समय स्कूलों में बिताते हैं, ऐसे में स्कूलों की ड्यूटी बनती है कि ऐसे बच्चों का विशेष ध्यान दिया जाए।
ये सामग्री व उपकरण ले जा सकेंगे छात्र
■ चीनी की टैबलेट। दवाएं, फल, नाश्ता, बिस्किट, मूंगफली, सूखे फल, पर इन्हें शिक्षक के पास रखना होगा।
■ परीक्षा हॉल में बच्चे ग्लूकोमीटर और ग्लूकोज परीक्षण स्ट्रिप्स ले जा सकेंगे। इसे भी पर्यवेक्षक या शिक्षक के पास रखना होगा।
■ ब्लड शुगर की जांच करने और आवश्यकतानुसार दवाएं लेने की अनुमति ।
■ इंसुलिन पंप का प्रयोग करने वाले बच्चे परीक्षा के दौरान इसे रख सकेंगे।
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