शिक्षकों को प्रबंधतंत्र की मनमानी कार्रवाई से बचाने के लिए माध्यमिक शिक्षक संघ ने विरोध के लिए कसी कमर
लखनऊ : शिक्षकों को प्रबंधतंत्र की मनमानी कार्रवाई से बचाने के लिए नए बनाए गए उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के अधिनियम में कोई प्रविधान न किए जाने का उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (मशिसं ) ने विरोध शुरू कर दिया है। संघ के प्रदेशीय उपाध्यक्ष डा. आरपी मिश्रा ने शनिवार को पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाई है। 27 अगस्त को पदाधिकारी राजधानी में एकत्र होंगे और चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने की घोषणा की जाएगी।
उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के अस्तित्व में आने के बाद उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उसका अधिनियम भी समाप्त हो गया है। इसके अधिनियम की धारा 21 में यह व्यवस्था थी कि बिना बोर्ड की अनुमति के सीधे प्रबंधतंत्र व जिला विद्यालय निरीक्षक शिक्षक पर कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। शिक्षकों को उत्पीड़न से बचाने के लिए मशिसं ने यह धारा शामिल कराई थी। वहीं धारा 18 के तहत 60 दिनों तक माध्यमिक स्कूलों में प्राचार्य का पद रिक्त रहने के बाद स्कूल प्रबंधन सबसे वरिष्ठ शिक्षक को पदोन्नति देकर तदर्थ प्राचार्य के रूप में नियुक्त कर सकता था। अब यह भी नहीं हो सकेगा। ऐसे में बड़ी संख्या में स्कूल प्राचार्य विहीन हो जाएंगे। ऐसे में इसे नए अधिनियम में शामिल कराने के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा।
63 हजार शिक्षकों की सेवा सुरक्षा खतरे में, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों का मामला, दंड पर चयन बोर्ड के पूर्वानुमोदन की व्यवस्था होगी समाप्त
● नए शिक्षा सेवा चयन आयोग में नहीं सेवा सुरक्षा का प्रावधान
● प्रबंधकों के हाथों शिक्षकों के शोषण की आशंका और बढ़ी
एडेड कॉलेजों में कार्यरत प्रधानाचार्य-शिक्षक
● 1505 प्रधानाचार्य
● 16141 प्रवक्ता
● 45869 सहायक अध्यापक
प्रयागराज : प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों की सेवा सुरक्षा पर फिलहाल खतरा मंडरा रहा है। इन स्कूलों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों का चयन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से होता है लेकिन नियोक्ता प्रबंधक होते हैं। चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की धारा-21 में यह प्रावधान है कि प्रधानाचार्य या शिक्षक पर कोई कार्रवाई करने या दंड देने से पहले प्रबंधक चयन बोर्ड से अनुमोदन लेते हैं।
हालांकि नौ अगस्त को विधानसभा से पारित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक में यह प्रावधान नहीं है। इस विधेयक की धारा-16 के अनुसार अब एडेड कॉलेज के शिक्षकों की सेवा शर्तें और सुरक्षा इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम -1921 के विनियमों के अध्याय-3 के अनुसार संचालित होगी। ऐसे में आशंका है कि अब प्रबंधकों के हाथों शिक्षकों का उत्पीड़न और भी बढ़ जाएगा।
प्रधानाचार्य के पद पर तदर्थ पदोन्नति की व्यवस्था भी नहीं रहेगी प्रयागराज। नई व्यवस्था में प्रधानाचार्य के पद पर तदर्थ पदोन्नति की व्यवस्था भी नहीं रहेगी। यानि भविष्य में नियमित प्रधानाचार्य के सेवानिवृत्त होने पर वरिष्ठतम शिक्षक प्रधानाचार्य का काम तो करेंगे पर उन्हें प्रधानाचार्य का वेतन नहीं मिलेगा। नए आयोग के विधेयक में चयनबोर्ड की धारा-18 को भी हटा दिया गया है। जिसके अंतर्गत प्रधानाचार्य के पद पर तदर्थ पदोन्नति की व्यवस्था थी।
शिक्षकों की तैनाती में मनमानी पर आपत्ति
प्रयागराज : राजकीय शिक्षकों की तैनाती में मनमानी पर आपत्ति उठी है। राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज के प्रवक्ता जय सिंह को यमुनापार के राजकीय बालिका हाईस्कूल कुंवरपट्टी जेवनिया में हेडमास्टर के पद पर तैनाती दी गई है। यही नहीं जीआईसी के ही मोहम्मद अजीजुल्लाह, जिनकी सेवानिवृत्ति में सिर्फ दो साल बचे हैं, उनको राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शाहजहांपुर में हेडमास्टर पर पदस्थापित किया गया है। राजकीय शिक्षक संघ के एक गुट अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय का कहना है कि पुरुष शिक्षकों को पुरुष विद्यालयों में तैनाती दी जानी चाहिए। दो साल से कम सेवा वाले शिक्षकों को उनके विकल्प के आधार पर पदस्थापित करना चाहिए।
हमारा सरकार से अनुरोध है कि चयन बोर्ड अधिनियम की धारा-21 की व्यवस्था को नए आयोग अधिनियम में भी संशोधन करके लाया जाए। ऐसा न करने पर सभी शिक्षकों को पूरी क्षमता और एकता के साथ इसके लिए संघर्ष करना होगा।
लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट
लंबे संघर्ष के बाद चयन बोर्ड की नियमावली बनी थी। जिसमें बिना पूर्वानुमोदन प्रबंधक की कार्रवाई शून्य मानी जाती थी। अब मनमाने तरीके से शिक्षकों पर कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है। नए विधेयक में सेवा सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। संघर्ष की योजना बन रही है। इसको सम्मिलित कराया जाएगा।
सुरेश कुमार त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ व पूर्व एमएलसी
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