ऊर्जा संरक्षण का नियम नहीं पढ़ सकेंगे 11वीं के विद्यार्थी,
यूपी बोर्ड ने 11वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम में की कटौती
प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने कई विषयों के पाठ्यक्रम में कटौती कर दी है। 11वीं में अध्याय छह से कार्य ऊर्जा और शक्ति ऊर्जा के विभिन्न रूप ऊर्जा संरक्षण का नियम पुस्तक से हटा दिया गया है।
अध्याय सात से कणों के निकाय तथा घूर्णी गति, लंबवत एवं समानांतर अक्षरों के प्रमेय, लोटनिक गति को भी हटा दिया गया है। वहीं, अध्याय आठ से गुरुत्वाकर्षण में तुल्यकाली व ध्रुवीय उपग्रह एवं भारहीनता विषय हटाया गया है।
बोर्ड ने 11वीं के भौतिक विज्ञान में भौतिक जगत का पूरा पाठ ही हटा दिया है। अध्याय दो के मात्रक और मापन में लंबाई का मापन, द्रव्यमान का मापन, समय का मापन, यथार्थता यंत्रों की परिशुद्धता एवं मापन में त्रुटि को हटाया गया है। अध्याय तीन से सरल रेखा एवं गति में स्थिति, पथ लंबाई एवं विस्थापन, औसत वेग और औसत चाल, आपेक्षिक वेग को हटाया गया। समतल में गति और अध्याय चार से विमाओं में आपेक्षिक वेग भी अब विद्यार्थी नहीं पढ़ सकेंगे।
इसी तरह कक्षा 11 के भौतिक विज्ञान भाग दो के अध्याय नौ से 'ठोसों के यांत्रिक गुण आशो का प्रत्यास्थ व्यवहार' किसी तार के द्रव्य के यंग गुणांक का मापन, तरलों के यांत्रिक गुण, वेंदुरी मापी, उष्मागतिकी उष्मा इंजन समेत कई अन्य विषय हटाएं गए हैं। कक्षा 11 और 12 के भूगोल का पूरा-पूरा अध्याय ही समाप्त कर दिया गया है।
कक्षा 11 भूगोल से खनिज एवं शैल और मृदा को हटाया गया है। कक्षा 12 के भूगोल से जनसंख्या संगठन, मानव बस्ती, प्रवास, मानव विकास, भारत के प्रमुख उद्योग को अब छात्र नहीं पढ़ सकेंगे। 11वीं के नागरिक शास्त्र से शांति, विकास अध्याय हटाया गया है।
कक्षा 12वीं में शीतयुद्ध का दौर, समकालीन विश्व में अमेरिका वर्चस्व, एक दल के प्रभुत्व का दौर, जन आंदोलन का उदय, जीव विज्ञान का अध्याय हटाया गया। 11वीं से पौधों में परिवहन, खनिज पोषण, पाचन एवं अवशोषण का अध्याय हटाया गया है।
अब बादल को घिरते नहीं 'देख' सकेंगे छात्र-छात्राएं, यूपी बोर्ड ने नौवीं, दसवीं के पाठ्यक्रम से कई पाठों को हटाया, कुछ को किया छोटा
प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने 9वीं और 10वीं के गणित, संस्कृत, हिंदी और सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में कटौती की है। गणित व हिंदी में कुछ पाठों को हटा दिया है, वहीं संस्कृत और सामाजिक विज्ञान में कुछ पाठों को छोटा कर दिया है। यूपी बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि पाठ्यक्रम कम होने से विद्यार्थियों को अभ्यास का अधिक समय मिलेगा। इससे बोर्ड परीक्षा में उनका परिणाम बेहतर होगा। नौवीं कक्षा के गणित विषय से समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल, रचनाएं व प्रायिकता (प्रोबेबिलिटी) पाठ को हटा दिया गया है। वहीं, दसवीं में अब बच्चे 'रचनाएं' नहीं सीख सकेंगे।
कक्षा नौ संस्कृत विषय में पद्म पीयूषम के पहले पाठ 'रामस्य पितृ भक्ति' में पहले 26 श्लोक थे, उन्हें कम करके 14 कर दिया गया है दूसरे पाठ 'सुभाषितानी' में पहले 15 श्लोक थे, जो अब 10 रह गए हैं।
तीसरे पाठ 'सूक्ति सुधा' में नौ श्लोक को कम करते हुए सात कर दिया गया है। कक्षा दस की पद्य पीयूषम के 'पहले पाठ 'लक्ष्य वेध' में पहले 21 श्लोक थे, उसे 14 कर दिया गया है। इसी प्रकार अन्य पाठ और गद्य में भी बदलाव किया गया है।
गायब हुआ ठेले पर हिमालयः नौवीं के हिंदी में ठेले पर हिमालय, तोता, बादल को घिरते देखा, अच्छा होता सितार संगीत की रात को हटा दिया गया है। कक्षा 10 में हिंदी से पानी में चंदा और चांद पर आदमी, युवा जंगल भाषा एकमात्र अनंत है को हटाया गया है।
इसी प्रकार सामाजिक विज्ञान से लोकतंत्र और विविधता, जन संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां पाठ को छोटा कर दिया गया है।
यूपी बोर्ड ने नौवीं, 10वीं के पाठ्यक्रम से कई पाठ हटाए
प्रयागराज : यूपी बोर्ड ने 9वीं और 10वीं के गणित, संस्कृति, हिंदी और सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में कटौती की है। गणित व हिंदी में कुछ पाठों को हटा दिया है, वहीं संस्कृत और सामाजिक विज्ञान में कुछ पाठों को छोटा कर दिया है।
यूपी बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि पाठ्यक्रम कम होने से विद्यार्थियों को अभ्यास का अधिक समय मिलेगा। इससे बोर्ड परीक्षा में उनका परिणाम बेहतर होगा। नौवीं कक्षा के गणित विषय से समांतर चतुर्भुजों और त्रिभुजों के क्षेत्रफल, रचनाएं व प्रायिकता पाठ को हटा दिया गया है। वहीं, दसवीं में अब बच्चे 'रचनाएं' नहीं सीख सकेंगे। कक्षा नौ संस्कृत विषय में पद्य पीयूषम के पहले पाठ रामस्य पितृ भक्ति' में पहले 26 श्लोक थे, उन्हें कम करके 14 कर दिया गया है। दूसरे पाठ 'सुभाषितानी' में पहले 15 श्लोक थे, जो अब 10 रह गए हैं।
संस्कृत की पढ़ाई में लगे मन, छोटे किए गए पाठ, कक्षा नौ और दस की किताब में श्लोक कम किए, गद्य भारती के बोझिल पाठ से अंश घटाए
● इस साल यूपी बोर्ड ने छपवाई हैं संस्कृत की किताबें
● 2023 में हाईस्कूल में 3.33 लाख ने ली थी संस्कृत
प्रयागराज : संस्कृत की ओर बच्चों का रुझान बढ़ाने के उद्देश्य से यूपी बोर्ड के विशेषज्ञों ने कक्षा नौ और दस की किताब में काफी बदलाव किया है। बोर्ड ने इस साल विशेषज्ञों की सहायता से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार संस्कृत की किताबों को नए सिरे से तैयार करवाया है। हाईस्कूल संस्कृत में गद्य, पद्य, नाटक और व्याकरण चार भाग हैं। जिनमें से गद्य और पद्य के बोझिल और बड़े पाठ के अंश को कम किया गया है।
कक्षा नौ की पद्य पीयूषम के पहले पाठ रामस्य पितृभक्ति में पहले 26 श्लोक हुआ करते थे जिसे अब कम करके 14 कर दिया गया है। दूसरे पाठ सुभाषितानि में पहले 15 श्लोक थे जो अब 10 रह गए हैं। तीसरे पाठ सूक्ति सुधा में नौ श्लोक को कम करके सात कर दिया गया है। कक्षा दस की पद्य पीयूषम के पहले पाठ लक्ष्य वेध परीक्षा में पहले 21 श्लोक थे जो 14 रह गए हैं। इसी प्रकार अन्य पाठ और गद्य में भी काफी हिस्से को कम किया गया है। यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल की देखरेख में अनावश्यक और कठिन हिस्से को हटाया गया है ताकि अधिक से अधिक बच्चे संस्कृत भाषा की पढ़ाई करें। गौरतलब है कि 2023 की हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में 3,33,348 ने संस्कृत ली थी।
सरल संस्कृत में पूछे गए पाठ के प्रश्न
यही नहीं किताब में पाठों के प्रश्न सरल संस्कृत में पूछे गए हैं। पहले हिन्दी और संस्कृत मिलाकर प्रश्न पूछे जाते थे, लेकिन इस बार बदलाव किया गया है। आवश्यकता के अनुसार विभिन्न पाठों में तस्वीरों का भी उपयोग किया गया है ताकि किताब को इंटरेक्टिव बनाया जा सके।
पहली बार बोर्ड ने छपवाई किताबें
बोर्ड ने पहली बार हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की किताबों को स्वयं प्रकाशित करवाया है। पिछले साल तक इन तीनों विषयों का पाठ्यक्रम तो बोर्ड निर्धारित करता था लेकिन किताबों के प्रकाशन पर नियंत्रण नहीं था। यानि कोई भी प्रकाशक इन्हें छाप सकता था। इसका सबसे अधिक नुकसान यह होता था कि कई बार निजी प्रकाशक गलत तथ्य भी छाप देते थे।
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